"देश को की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाना हो, तो महिला उद्यमों पर विश्वास करना ही होगा." इस बात पर पूरा विश्वास हो चुका है अब हमारी सरकार और यहां के वित्तीय संस्थानों को. पहले शायद इस बात को बताने की या कहें कि जातने की ज़रूरत पड़ती थी और वो भी हर वक़्त हर समय.
लेकिन आज माहौल और साथ ही हालात बदल चुके है. जो लोग पहले महिलाओं को सिर्फ घर के काम काज संभालने के लिए निपुण समझते थे वो भी ज समझ चुके है कि देश में वीमेन लेड डेवलपमेंट के बिना कुछ भी संभव नहीं है.
Women Led Development से देश बढ़ेगा आगे
लोग मान चुके है और जान भी चुके है महिलाओं की ताकत के बारे में. हम चाहे तो कुछ भी कारण सकते है और चाहे तो सरकारों का तख़्ता-पलट भी कर सकते है. इस बार हुए मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के चुनावों में या बात जग जाहिर ही चुकी थी.
Women entrepreneurs को लोन मिलना आज भी मुश्किल
बस अब बचा है तो इन महिलाओं को अपने व्यवसाय स्थापित करने के लिए बिना किसी परेशानी के वित्त मिल जाना. माने या ना माने, आज भी अगर एक महिला अपना काम या बिज़नेस स्थापति करने के लिए लोन लेने जाती है तो उसके मन में कई सवाल घर कर लेते है. गलती उसकी नहीं, वित्त संस्थानों के नियम और कायदे कानून की है.
लिंग आधारित भेद बाव तो बहुत ही सामान्य बात हो चुकी है इन महिला उद्यमियों के लिए. आज भी, याने 21वी सदी में भी उन्हें तब बहुत अखरता है जब वे किसी वित्त्य संसथान से लोन इसीलिए नहीं ले पाती क्योंकि उनका gender आड़े आ जाता है. Indian costitution में हर मनुष्य को सामान अधिकार दिए गए है लेकिन फिर भी आज कितनी ही ऐसी बातें है जिसमें हम महिलाओं को लिंग आधारित भेद भाव झेलना पड़ता है.
WCD minister Smriti Irani ने financial Institutions से की appeal
बदलाव आ रहा है, यह समझ तब आता है जब केंद्रीय मंत्री वित्तीय संस्थानों से appeal करते है. यह बात सिर्फ कहने के लिए नहीं कही जा रही है, बल्कि हाल ही में ऐसा हुआ. WCD minister Smriti Irani ने वित्तीय संस्थानों से अपील की है कि वे उन महिला उद्यमियों की क्षमता पर भरोसा करें जो व्यापार जगत में कदम रखने की इच्छुक हैं.
मुंबई में इंडिया टेक वीक में बोलते हुए उन्होंने कहा- "डेटा से पता चलता है कि महिलाओं को दिए गए ऋण सबसे सुरक्षित हैं. महिला उद्यमियों को व्यवसाय के लिए धन जुटाने में वित्तीय संस्थानों से सहयोग की आवश्यकता है."
उन्होंने अपनी सरकार की कुछ योजनाओं के बारे में बह बात की और कहा कि- "Indian government द्वारा शुरू की गई स्वनिधि और मुद्रा योजना महिलाओं उद्यमियों के लिए बहुत फायदेमंद साबित हुई है. यह योजना swayam सहायता समूह यानि self help groups की मदद से ग्रामीण महिलाओं, जो अपना खुद का व्यापार शुरू करने की इच्छुक है, उन्हें पैसे की मदद कर रहा और उन्हें आगे बढ़ा रहा है."
Financial Institutions को विचार करने की आवश्यकता
आज भारत की महिला एवं बाल विकास मंत्री ने हर वित्त्य संसथान से यह गुज़ारिश की है जो कि बहुत बाड़ा कदम है, लेकिन सोचने वाली बात ये है कि इस गुज़ारिश को करने की आवश्यकता ही क्यों पड़ी? क्या भारत में महिला उद्यमी पुरुष उद्यमियों से कुछ काम है? या उनके काम उतने प्रभाव शाली नहीं है, जितने उनके पुरुष समकक्षों के है?
अगर गौर किया जाए, तो समझ आएगा की महिलाओं को दिए गए loans की return rates पुरुषों के मुकाबले ज़्यादा है. भले ही loan कम ले रहीं हो महिलाएं लेकिन उसे लौटना वे बेहतर तरीके से पर रहीं है. तो महिलाओं को लोन देने में क्या परेशानी आती है इन वित्त्य संस्थानों को?
सिर्फ ये कि सोच पुरानी है और लोग आज भी उन विचारधाराओं को छोड़ने के लिए तैयार नहीं है. लेकिन जिस दिन इस रूढ़िवादी सोच को पीछे छोड़कर आगे बढ़ जाएगा भारत उस दिन बदलाव इतनी तेज़ी जो आज तक देखा ही नहीं गया हो.
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