टीवी पर periods advertisements तो देखे ही होंगे आपने, जिसमें लड़कियां भाग रहीं हैं, ऑफिस जा रहीं हैं, white colour के pants पहन रहीं हैं, और हर वो काम कर रहीं हैं, जो शायद असलियत में कुछ लड़कियों के लिए इस हालत में मुश्किल हो क्योंकि periods में पर इतनी भाग-दौड़ करना सबके लिए आसान नहीं होता.
Periods में cramps और pain से गुज़रती है लड़कियां
कुछ लड़कियों को तो इतना दर्द होता हैं कि बिस्तर से उठने की हालत तक नहीं होती. लेकिन ये भी सच हैं की हर लड़की इस condition से नहीं गुज़रती. हर लड़की की body अलग होती है सबका pain से deal करने का तरीका अलग होता है और सब की सहनशक्ति अलग!
Supreme court में Period Leave की याचिका दर्ज की गयी थी
सुप्रीम कोर्ट में शैलेन्द्र मनी त्रिपाठी की एक याचिका दाखिल की गयी, जिसमें उन्होंने लड़कियों के लिए 'Period leave' मांगी थी. कोर्ट में इसे एडवोकेट विशाल तिवारी ने पेश किया. लेकिन कोर्ट ने इस याचिका की hearing से मना कर दिया गया. कोर्ट का कहना था कि periods एक biological process हैं, और अगर इस तरह की अपील को आगे बढ़ाया गया तो companies लड़कियों को hire करने से पीछे हटेंगी.
यह भी पढ़े- गाँव की महिलाओं के लिए मासिक धर्म स्वच्छता में 41 साल बाद आया बदलाव
Image Credits: Global news
Menstruation या मासिक धर्म कोई बाधा नहीं है- Smriti Irani
भारत के Chief Justice D.Y. Chandrachud ने याचिकाकर्ता को नीति बनाने के लिए Union women and child ministry से बात करने को कहा.
इसी बात पर कल rajya sabha में Women and child development minister Smriti Irani ने कहा- "मैं एक menstruating women के रूप में कह सकती हूं कि periods और periods cycle एक बाधा नहीं है, यह महिलाओं की life cycle का एक स्वाभाविक हिस्सा है... हमें ऐसे मुद्दों को propose नहीं करना चाहिए जहां महिलाओं को equal opportunities से वंचित किया जाता है."
Period leaves से हो सकता है gender discrimination
क्या लड़कियों को period leaves की ज़रूरत हैं? क्या लड़कियां periods के दिनों में इतना दर्द face करती हैं कि वे कुछ भी काम ना कर पाएं? अगर इस तरह की लीव दी जाने लगी तो work culture पर कितना फर्क पड़ेगा? एक biological और natural process के लिए छुट्टी देना कितना सही हैं? क्या period leaves का गलत फायदा नहीं उठाया जा सकता? क्या workplace में इस leave से gender biasness शुरू होगी? ऐसे कई सवाल हैं जो उठाये जा सकतें हैं.
यह भी पढ़े- पीरियड्स की myths को तोडना है ज़रूरी!
Arunachal प्रदेश में भी period leaves को लेकर की गयी थी याचिका दायर
यह पहली बार नहीं हैं कि 'menstrual leave' के लिए भारत में याचिका फाइल की गयी हो. Arunachal pradesh से सांसद रहे Ninong Ering ने कुछ साल पहले Menstrual Benefits Bill 2017, जो की एक प्राइवेट मेंबरशिप बिल था, सामने लाया था. इसमें government और private female workers के लिए हर महीने दो दिन के period leave का प्रस्ताव सामने रखा गया था. लेकिन इस बिल को भी ख़ारिज कर दिया गया था.
Image credits: Nhea Private limited
दुनियां में इन देशों में मिलती है period leaves
दुनिया के भी कुछ ही देश ऐसे हैं जिनमें यह कानून अपनाया गया हैं. हाल ही में Spain भी इन देशो की list में जुड़ा और europe का पहला देश बना जहां period leave दी जाने का प्रावधान शुरू हुआ . यह policy Taiwan, Indonesia, South korea और Zambia में अपनाई गयी है.
Bihar में दी जाती है period या menstrual leaves
Bihar में भी इस period leaves policy को अपनाया गया है. आज से तीन दशक पहले बिहार में period leave दी जाने लगी थी, लेकिन इस पॉलिसी को शुरू करवाने के लिए बिहार की महिलाओं को बहुत आंदोलन करने पड़े. भारत की कुछ बड़ी कंपनियां, जो ये लीव दे रहीं है.
यह भी पढ़े- Womenhood और mentruartion को celebrate करता दूर्गा पंडाल
इन companies में मिलती है period leaves
उनमें Zomato, Byju's, Swiggy, Media Company Mathrubhumi, आदि शामिल हैं. Kerala CM Pinarayi Vijayan ने कुछ समय पहले ऐलान किया कि राज्य सरकार उच्च शिक्षा विभाग के तहत राज्य के सभी universities में female students के लिए period leaves देगी.
Image credits- iStock
क्या सच में है period leaves की ज़रूरत?
इस सवाल पर हमेशा दो पक्ष की बातें की जातीं हैं. पहला- लड़कियों को इन दिनों में आराम करने के लिए paid leave for periods मिलनी चाहिए, दूसरा- इस तरह की लीव को बढ़ावा नहीं दिया जा सकता. जब सुप्रीम कोर्ट ने इस अपील को खारिज किया था तो उन्होंने बहुत ही अच्छी बात कही.
लड़कियों के period leave से बहुत से negative points तैयार हो सकते है. सबसे बड़ा पॉइंट होगा कि कम्पनीज फीमेल वर्कफोर्स को जितना हो सकें कम कर सकती है. साथ ही office culture में भी gender biasness शुरू हो सकती है. Smriti Irani ने भी अपने statement में यह बात कही कि लड़कियों को किसी भी तरीके से महिलाओं को equal opportunities से वंचित नहीं रखा जा सकता और अगर period paid leaves दी गयीं तो यह सबसे बड़ा कारण बन जाएगा महिलाओं को नौकरी ना देने का.
हां यह सच है कि जिन लड़कियों को periods में बहुत दर्द होता है, उनके office में एक rest room होना चाहिए, जहां वे आराम कर सकें. लेकिन इसके लिए छुट्टी दे देना आगे जाकर लड़कियों के लिए ही नुकसानदायक हो जाएगा. इन दो दिनों की छुट्टी का गलत फायदा भी उठाया जा सकता है, क्यूंकि सवाल करने वाला कोई नहीं होगा. आज के ज़माने में लड़कियां हर काम में लड़को के साथ कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ा रहीं है, लेकिन अगर इस तरह की लीव को बढ़ावा दिया जाए, तो यह किस हद तक सही कहा जाएगा?
यह भी पढ़े- Menstrual hygiene policy है बदलाव की तरफ सराहनीय कदम