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Image- Ravivar vichar
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सर्दियों का मौसम आते ही गरमा गरम चाय और स्वादिष्ट खाना शायद ही किसी को पसंद ना हो. इससे बेहतर कुछ हो ही नहीं सकता. हर व्यक्ति का मनपसंद काम बन जाता है ये. ऐसे में अगर पता चले कि food festivals के आयोजन किए जा रहे है, तो बिना जाए तो काम ही ना चले.
ऐसे ही food festivals के आयोजन किया जा रहे है Bharat Government द्वारा. Shimla में चल रहे Him Ira Food Festival कि बात हो या delhi में चल रहे SARAS food festival की, हर जगह खाने के लिए जो options है उन्हें देखकर मुँह में पानी आना तो बनता है.Delhi SARAS food festival में self help group की महिलाओं ने कुछ ऐसे व्यंजन लोगों के सामने पेश किए है जिसने खाने के शौक़ीन लोगों का मन ही नहीं भर रहा.
Image Credits- Aaj tak
Uttarakhand डोईवाला ब्लॉक के राधे कृष्ण self help group (SHG) की शैली (53) पहाड़ों में अपने गांव में मंडुआ (रागी) उगाती हैं. वह, विभिन्न self help groups की महिलाओं के साथ, पहाड़ी हाट भी चलाती हैं, जिसे वहां पहाड़ी रसोई के नाम से जाना जाता है. इस रसोई में बाजरा, विशेष रूप से मंडुआ या रागी से बने अनूठे व्यंजन पकाए और बेचे जाते हैं.
इस वर्ष भारत अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले (IITF) में अच्छी बिक्री करने के बाद, राधे कृष्ण self help group ने अपना स्टॉल SARAS food festival में स्थानांतरित कर दिया, जो वर्तमान में आजीविका या राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) के तत्वावधान में ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा आयोजित किया जाता है.
शैली ने कहा कि- “पर्यावरण के अनुकूल बर्तन, स्वच्छ पेयजल की बोतलें, कियोस्क और अन्य आवश्यक सामग्री तक, सरकार हमें सब कुछ प्रदान करती है. हम "मोटा अनाज" या बाजरा के क्षेत्र में योगदान करने और अपना योगदान देने के लिए उत्साहित हैं, क्योंकि मंडुआ भारत पर वैश्विक ध्यान आकर्षित कर रहा है."
राधे कृष्णा SHG की शैली जैसी और भी महिलाएं झंगोरे (बार्नयार्ड बाजरा) की खीर, मंडुआ मोमोज, पारंपरिक बाल मिठाई और मंडुआ पानी पुरी जैसे प्रामाणिक व्यंजन तैयार करने में माहिर हैं. शैली और अन्य महिलाओं ने कियॉस्क पर रागी का आटा और ताजी पूड़ियाँ बनाईं. रागी/मंडुआ पानी पुरी काउंटर ने कई लोगों को आकर्षित किया क्योंकि Bharat Government ने बाजरा को काफी प्रोत्साहन दिया है, क्योंकि 2023 को बाजरा के international year of millet के रूप में मनाया गया है.
Image Credits: Aaj tak
Arunachal pradesh के लुब्रांग self help group के दोर्जी चोजोन (31) पारंपरिक बर्तन में "शिताके" mushroom momos और Ethinic butter tea तैयार करने में व्यस्त हैं. समूह में दस महिलाएं हैं और वह कहती हैं कि इस तरह की पहल ने उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाया है.
Bihar की विशेष चाय और लिट्टी चोखा, राजस्थानी गट्टे की सब्जी, मौसमी मक्के की रोटी और पंजाब के गुड़ के साथ सरसों का साग, कश्मीरी कहवा चाय और "नमक की चाय" या दोपहर की चाय, असम की चाय और काले चावल की खीर देश के विभिन्न कोनों से स्वाद लेने के लिए कुछ रोमांचक व्यंजन है.
1 से 17 दिसंबर तक हस्तशिल्प भवन, सरस गैलरी, बाबा खड़क सिंह मार्ग पर आयोजित किया जा रहा है यह food festival. पारंपरिक व्यंजनों, स्वदेशी व्यंजनों, संस्कृतियों और स्वादों का संगम, सरस फूड फेस्टिवल 21 से अधिक राज्यों के विभिन्न व्यंजनों, विशिष्टताओं और व्यंजनों और NRLM द्वारा संचालित 150 से अधिक women SHGs की प्रतिभा का प्रदर्शन किया जा रहा है. Women SHGs के लिए यह बहतु बड़ा अवसर बनकर सामने आया है क्योंकि वे अपनीकला के प्रदर्शन के साथ आजीविका भी कमा रही है और सशक्त बन रही है.