तेलुगु फिल्म इष्टम (Ishtam) से शुरू कर दृश्यम (Drishyam), RRR, शिवाजी द बॉस (Sivaji: The Boss), और कब्ज़ा (Kabzaa) जैसी फिल्मों का हिस्सा रही श्रिया सरन (Shriya Saran films) को सिर्फ उनकी एक्टिंग कला (acting skill) के लिए नहीं, स्ट्रांग नज़रिया (strong opinion) पेश करने के लिए भी जाना जाता है.
फिल्मों में हो रहे बदलावों पर श्रिया सरन ने ज़ाहिर की ख़ुशी
तेलुगु, तमिल और हिंदी फिल्मों का हिस्सा रही श्रिया (about Shriya Saran in Hindi) को जब कब्ज़ा फिल्म में रोल मिला तो उन्होंने कहा, "हम एक ऐसा देश हैं जहां हमारी मुद्रा पर 17 भाषाएं छपती हैं, इसलिए हमारे इंडियन सिनेमा को भी एकता के साथ देखा जाना चाहिए."
Image Credits: Shriya Saran
श्रिया ने इंटरव्यू (Shriya Saran interview) के दौरान कहा, "आज फिल्म निर्माता अलग तरह की कहानियां बनाने की कोशिश कर रहे हैं. फिल्मों में किरदार तेजी से बदल रहे हैं, खासकर महिला किरदार. सिनेमा प्रेम कहानियों के परे सोच रहा है. " श्रिया ने सभी उम्र की महिलाओं को लेकर बनाई जा रही कहानियों पर खुशी जाहिर की.
खुलकर शेयर करती है स्ट्रॉन्ग ओपीनियंस
श्रिया सरन सोशल मीडिया (Shriya Saran social Media) पर भी अपनी दिल की बात कहने से पीछे नहीं हटती. अपने सोशल मीडिया पोस्ट में उन्होंने कहा कि महिलाओं को ऑउटफिट्स (outfits) रिपीट करने में कोई झिझक महसूस नहीं करनी चाहिए. "मैं एक ही ड्रेस दो इवेंट्स में कॉन्फिडेंटली पहनती हूं."
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श्रिया सरन का मानना है कि महिलाओं को शादी के बाद काम करने के लिए किसी की परमिशन लेने की ज़रुरत नहीं होनी चाहिए. उन्हें क्या करना है, ये उनकी चॉइस है (Shriya Saran feminism).
उनकी 'मनम' को-स्टार सामानथा रुथ प्रभु (Samantha Ruth Prabhu) को जब रेयर ऑटो इम्यून डिसीस मायोसाइटिस (rare autoimmune disease Myositis) हुई तो श्रिया ने उन्हें खूब सपोर्ट किया.
फिल्म 'ए लिटिल बर्ड' (A Little Bird) में सुजाना के साथ काम कर श्रिया को इस बात की ख़ुशी हुई कि उन्हें पहली बार टॉलीवुड (Tollywood) की किसी महिला निर्देशक (woman director) के साथ काम करने का मौका मिला. वह बताती हैं, ''मुझे खुशी है कि फिल्म उद्योग में महिलाएं अब किनारे पर नहीं बैठी हुई. इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि यह एक पुरुष-प्रधान इंडस्ट्री है. महज पांच साल पहले महिलाओं को मेकअप आर्टिस्ट के लिए लड़ना पड़ता था!"
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वह आगे कहती है, "हमें मजबूत महिला लेखिकाओं, निर्देशकों और फिल्म निर्माताओं की जरूरत है. हमें ज़्यादा महिलाओं की जरूरत है, न सिर्फ कैमरे के सामने, बल्कि उसके पीछे भी, तभी बदलाव आ सकेगा."
श्रिया सरन फिल्म इंडस्ट्री (film industry) के परे रियल लाइफ में महिलाओं को स्ट्रॉन्ग ओपिनियन (strong opinion) रखने और खुलकर अपनी बात कहने के लिए मोटीवेट कर रही है.