महिलाओं के शरीर को लेकर समाज ने हमेशा एक "ideal figure" की परिभाषा बनाई है. यह आकार जिसे समाज ने तय किया है, अक्सर महिलाओं को उनकी वास्तविकता से दूर कर देता है. उन्हें लगता है कि अगर उनका शरीर इन पैरामीटर्स में फिट नहीं होगा तो वे समाज की निगाहों में सही नहीं हैं.
महिलाओं के शरीर को हर समय देखा-परखा गया और आलोचना की गई है. अगर उनका शरीर थोड़ा सा भी "ideal figure" से अलग होता है, तो यह समाज के लिए एक मुद्दा बन जाता है, जैसे कि समाज को उनके शरीर पर टिप्पणी करने का अधिकार हो. इस प्रकार की टिप्पणियों से गुजरना किसी भी महिला के लिए बेहद कठिन होता है, खासकर जब वह इंडस्ट्री का हिस्सा हो.
"Body Positivity है ज़रूरी"- Nicola Coughlan
Netflix के शो Bridgerton की लीड Nicola Coughlan ने हाल ही में एक इंटरव्यू में अपने शरीर को लेकर चल रहे सवालों के खिलाफ मुंहतोड़ जवाब दिया. उन्होंने उनके bold scenes पर उठ रहे सवालों के बारे में बात करते हुए बताया कि, "हमारे पास बहुत नियंत्रण था और मैंने खुद चुना कि मुझे शरीर का कितना हिस्सा कैमरा पर दिखाना है. लोगों ने कहा कि मैंने यह बॉडी शेमर्स को दिखाने के लिए किया, लेकिन मैंने यह पूरी तरह से खुद के लिए किया."
बॉडी पॉज़िटिविटी के बारे में Irish Actress Nicola Coughlan हमेशा से ही खुल कर बात करती आई हैं. वह हमेशा ही अपने किरदारों में जान डालने के लिए जानी गई हैं, फिर उसके लिए उन्हें चाहे कितना ही बड़ा कदम क्यों न उठाना पड़े. उनके confidence पर भी आलोचकों ने उंगली उठाई, जिसके जवाब में उन्होंने कहा, "मैं प्रेशर में कुछ नहीं करती. मैंने यह इसलिए किया क्योंकि मैं यह करना चाहती थी. यह एक महिला के लिए बहुत बड़ा कदम है जो समाज की अपेक्षाओं को चुनौती देता है और उसे उसके शरीर के प्रति सशक्त और आत्मनिर्भर बनाता है."
Nicola Coughlan in Bridgerton as Penelope Featherington (Image Credits - Entertainment Weekly)
दशकों से चला आ रहा perfect figure का stereotype
दशकों से समाज में महिलाओं के लिए एक perfect figure का स्टीरियोटाइप चला आ रहा है. यह स्टीरियोटाइप अक्सर पतला, well toned और बिना किसी खामियों वाला शरीर होता है. इसे फिल्मों, विज्ञापनों और फैशन इंडस्ट्री ने बढ़ावा दिया है. इस स्टीरियोटाइप के कारण कई महिलाएं अपने शरीर को लेकर असुरक्षित महसूस करती हैं और सामाजिक दबाव का सामना करती हैं.
1960 के दशक में शुरू हुआ बॉडी पॉजिटिविटी आंदोलन उन लोगों के लिए स्वीकार्यता लाया जो समाज द्वारा सामान्य body type में नहीं आते थे. इस आंदोलन के कुछ प्रमुख चेहरे अपने शरीर को लेकर बहुत आत्मविश्वासी हैं और उन्होंने यह साबित कर दिया है कि असली खूबसूरती आत्मविश्वास और आत्म-सम्मान में है.
इन महिलाओं ने अपने शरीर की प्राकृतिकता को गले लगाया है और समाज को यह सिखाया है कि हर आकार और प्रकार का शरीर सुंदर है. उनका कहना है कि महिलाओं के शरीर पर सेल्युलाइट, बैक फैट, और स्ट्रेच मार्क्स होना सामान्य है और यह कुछ ऐसा नहीं है जिस पर किसी भी अजनबी को टिप्पणी करने का अधिकार हो.
Image Credits - Wondeermind
शरीर महिला का, कमान समाज की
महिलाओं के शरीर पर समाज की यह कठोर नजर, और उनके शरीर के आकार पर की जाने वाली टिप्पणियां, यह दर्शाती हैं कि समाज अभी भी महिला के शरीर का पूरा अधिकार महिला को नहीं देता. महिलाओं के शरीर को जैसे ही स्वीकृति मिलने लगती है, वैसे ही समाज की नजरें उसे बदलने और आलोचना करने के लिए उठ खड़ी होती हैं.
महिलाओं को उनके शरीर के प्रति सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने के लिए यह जरूरी है कि वे समाज की टिप्पणियों से ऊपर उठें और अपने शरीर को वैसे ही स्वीकारें जिसमें उन्हें आत्मविश्वास महसूस हो. Nicola Coughlan जैसी कई टैलेंटेड एक्ट्रेसेस (actresses breaking the beauty norms) ने इंडस्ट्री में इस परेशानी का सामना किया है और अपनी कला से हेटर्स का मुंह बंद किया है.
महिलाओं को यह समझना ज़रूरी है कि उनका शरीर केवल उनका है और उन्हें ही इसका पूरा स्वामित्व और अधिकार है. इसलिए, उन्हें अपने शरीर के प्रति किसी भी तरह के बाहरी दबाव या टिप्पणियों को महत्व ना देते हुए, अपनी इच्छानुसार जीवन जीने का हक है.