जब बात classy, charismatic, और compassionate होने की आती है, तो शायद ही ऐसा कोई होगा जिसके दिमाग में चित्रांगदा सिंह का नाम ना आए. एक आर्मी फैमिली में पलीबढ़ी महिला है चित्रांगदा. जब बड़ी हो रही थी तबसे ही gender equality का मतलब सीखा और समझा है. घर में, चाहे लड़की हो या लड़का, हर काम में बराबरी के lessons दिए जाते थे उनको.
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आर्मी फैमिली में पली बढ़ी है चित्रांगदा
कार के टायर सही करने से लेकर सारे पार्ट्स के बारे में पता होना, चित्रांगदा ने अपने घर में सब कुछ सीखा. उनके लिए लड़का और लड़की हमेशा से एक ही रहे है. दोनों में कोई अंतर कभी किया ही नहीं परिवार ने. लेकिन जब घर से बाहर निकली, तब उसे समझ आया की लोग एक जैसे नहीं होते.
लेकिन फिर भी उन्होंने कभी भी खुद को किसी से अलग नहीं समझा. वह अपनी बात को खुल कर रखना जानती है. चाहे फिर वह male gaze की ही बात क्यों न हो. वे बताती है कि लड़की जब अपने teenage में एंटर करती है तब उसे बहुत से चैंजेस से गुज़ारना पड़ता है. खुद की बॉडी में बदलाव और समाज की सोच में भी बदलाव, दोनों को face कर रही होती है एक लड़की.
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अपनी बातों और विचारों में स्ट्रांग है चित्रांगदा
वह खुद भी एक सिंगल मदर है और जानती है. अपनी इच्छाओं को सबसे ऊपर रखना उनके लिए सबसे ज़्यादा ज़रूरी है, और यह बात वे खुल कर सबके सामने भी रखती है. चित्रांगदा ने एक इंटरव्यू में कहा था- "लड़कियों को हर प्रकार की आज़ादी देना ज़रूरी है, तभी वो अपने असली रूप को समझ पाएंगी और आगे बढ़ पाएंगी." बात ये ही है की लोगों को अपनी सोच में बदलाव लाना पड़ेगा, और तभी एक लड़की देश में रात हो या दिन, बिना डरे घूम पाएगी.