जल प्रबंधन में जन संस्थान निभा रहे अहम भूमिका

ग्रामीण भारत में जल संबंधी चुनौतियों से निपटने के लिए जन संस्थान शक्तिशाली संस्था के रूप में उभरे हैं. ग्राम विकास समितियां, पानी समितियां, जल उपयोगकर्ता संघ और स्वयं सहायता समूह नियमों द्वारा संचालित, परमानेंट बॉडीज के रूप में कार्य करते हैं.

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मिस्बाह
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आज भी ग्रामीण भारत में पानी की कमी एक बड़ी समस्या है (water shortage in rural India). प्रभावी जल प्रबंधन की कमी स्वच्छ और टिकाऊ जल स्रोतों तक पहुंच को सीमित कर देती है (lack of water management in villages). इस सामुदायिक समस्या का समाधान निकालने के लिए स्थानीय लोगों ने इंस्टीट्यूशंस या संस्थान शुरू किये. ये ज़मीनी स्तर के संगठन जल संसाधनों के प्रबंधन, रखरखाव और समान रूप से वितरण में अहम भूमिका निभाते हैं.

community based institutions boosting Water Management

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जल संबंधी चुनौतियों को दूर कर रहे जन संस्थान

हिमाचल प्रदेश के 60 गांवों के समुदाय वॉटरशेड समिति (community watershed committee) बनाने के लिए साथ आए. इस समिति ने कई जल संरक्षण उपायों की शुरुआत की, जिसमें खाइयों का निर्माण, चेक बांध और झरनों को रिचार्ज करने के लिए पुनर्वनीकरण के प्रयास शामिल थे. बाहरी एजेंसी के समर्थन और मार्गदर्शन के साथ, यह पहल लोगों द्वारा, लोगों के लिए संचालित की गई, जिससे साल भर पानी और सिंचाई संसाधनों तक पहुंच मिल सकी.

ग्रामीण भारत में जल संबंधी चुनौतियों से निपटने के लिए जन संस्थान शक्तिशाली संस्था के रूप में उभरे हैं. ग्राम विकास समितियां, पानी समितियां, जल उपयोगकर्ता संघ और स्वयं सहायता समूह (women self help group) नियमों द्वारा संचालित, परमानेंट बॉडीज के रूप में कार्य करते हैं.

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उनके प्राथमिक कामों में ग्रामीणों को एकजुट करना, जल परियोजनाओं की योजना बनाना और उन्हें लागू करना, संचालन और रखरखाव करना, समान जल वितरण सुनिश्चित करना और बाहरी एजेंसियों और सरकारी निकायों के साथ सहयोग करना शामिल है.

सामुदायिक स्वामित्व से समानता और स्थिरता को मिलता है बढ़ावा 

ग्रामीण भारत में जल प्रबंधन का अहम पहलू इक्विटी और सस्टेनेबिलिटी सुनिश्चित करना है. कुछ परिवारों को वर्ग, जाति या धर्म के आधार पर स्वच्छ पेयजल तक पहुंचने से बाहर रखा जाता है, उन्हें भी जल प्रबन्धन के ज़रिये जल संसाधनों तक पहुंच दी जाती है. 

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सामुदायिक स्वामित्व जल संरचनाओं को बनाए रखने, खपत की निगरानी और पानी की गुणवत्ता को संरक्षित करके लम्बे समय तक स्थिरता बनाये रखते है. लोगों के इन संस्थानों की सफलता स्थानीय लोगों की भागीदारी पर से जुड़ी है. प्रभावी सामुदायिक स्वामित्व तभी हासिल किया जा सकता है जब फैसले खुद लोगों द्वारा सामूहिक रूप से लिया जाए. इस प्रोसेस को आसान बनाने के लिए बाहरी एजेंसियां ​​मार्गदर्शन, कैपेसिटी बिल्डिंग और ट्रेनिंग का सहारा लिया जा सकता है. 

जल प्रबंधन में महिलाएं निभा रहीं अहम भूमिका 

चंद्रपुर में एक ग्राम विकास समिति ने पानी और स्वच्छता के मुद्दों से परे जाकर अपने पूरे समुदाय को एक स्मार्ट गांव में बदल दिया. उन्होंने खुले में शौच-मुक्त स्थिति हासिल की, सार्वजनिक शौचालय बनाये, पेड़ लगाए, स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराया, सुरक्षा बढ़ाई और श्रम प्रभाग में लैंगिक समानता हासिल की.

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ये संस्थान न सिर्फ जल प्रबंधन के ज़रिये पानी से जुड़ी समस्याओं को दूर कर रहे हैं पर इससे समुदायिक भागीदारी में महिलाओं को भी जगह मिली हैं. स्वयं सहायता समूहों से जुड़ महिलाएं जल सखी, जल सहेली, टैक्स सखी (SHG women contributing in water management) बन रोज़गार भी हासिल कर रहीं हैं. 

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