विश्व स्तर पर, महिलाएं घरों और समुदायों में पानी की प्राथमिक उपयोगकर्ता, प्रदाता और प्रबंधक हैं. इस वजह से जल प्रबंधन में महिलाओं के अनुभव और ज्ञान को इस्तेमाल किया जाना चाहिए. वॉटर मैनेजमेंट में महिलाओं की भागीदारी को कम उपयोग किए गए संसाधन के रूप में देखा जा सकता है (women in water management).
भारत में जल प्रबंधन में 2030 तक 19 मिलियन हो सकती हैं नौकरियां
पानी, एक ऐसा प्राकृतिक संसाधन है जिसमें रोजगार सृजन को बढ़ावा देने के साथ हरित अर्थव्यवस्था या ग्रीन इकॉनमी (green economy) को बढ़ावा देने की भी क्षमता है, खासकर महिलाओं के लिए.
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वॉटर रिसोर्स मैनेजमेंट (water resource management by women) से जुड़ी नौकरियों को ग्रीन जॉब्स के रूप में मान्यता मिली है क्योंकि वे पर्यावरण की गुणवत्ता को संरक्षित करने में योगदान देते हैं. अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार, भारत में जल प्रबंधन में नौकरियां 2020 में 3 मिलियन से बढ़कर 2030 तक 19 मिलियन हो सकती हैं.
जल प्रबंधन स्थिरता बढ़ाने के लिए महिलाओं की भागीदारी और नेतृत्व अहम
संयुक्त राष्ट्र की 2016 की एक रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक कार्यबल में अनुमानित चार में से तीन नौकरियां या तो पानी पर बहुत ज़्यादा या मध्यम रूप से निर्भर हैं. लगभग 1.5 बिलियन लोग, या दुनिया के कुल कार्यबल का आधा हिस्सा, पानी से संबंधित क्षेत्रों में काम कर रहे हैं.
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जल प्रबंधन प्रक्रियाओं (water management processes) की स्थिरता बढ़ाने के लिए महिलाओं की भागीदारी और नेतृत्व अहम है. विश्व बैंक द्वारा 122 जल परियोजनाओं के इवैल्यूएशन में पाया गया कि जिन परियोजनाओं में महिलाएं शामिल थीं, वह दूसरी परिजोजनों से छह से सात गुना ज़्यादा प्रभावी रहीं. विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में पानी और स्वच्छता में वेतनभोगी कार्यबल में महिलाएं 17 प्रतिशत से भी कम हैं. जल क्षेत्र में तकनीकी विशेषज्ञ के रूप में कार्यरत महिलाओं की संख्या पुरुषों की तुलना में काफी कम है.
जल प्रबंधन के लिए कार्यबल में महिलाओं को मिले रोज़गार के अवसर
सरकार द्वारा लागू किये जाने वाले जल जीवन मिशन, अटल मिशन, अटल भूजल योजना और जल शक्ति अभियान ने जल प्रबंधन के लिए कार्यबल में महिलाओं को रोज़गार के अवसर दिए हैं. इस वजह से समुदायों के बीच 'स्वामित्व की भावना' को बढ़ावा मिला है. ये महिलाएं जल बजटिंग, फाइनेंशियल प्लानिंग, संचार और बिहेवियर चेंज, और योजनाओं की निगरानी और मूल्यांकन का काम संभाल रही हैं.
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जल प्रबंधन में कुशल कार्यबल की ज़रुरत को पहचानते हुए, जल जीवन मिशन और अटल भूजल योजना जैसे कार्यक्रमों को लागू करने के दौरान सामुदायिक स्तर के हितधारकों के प्रशिक्षण पर जोर दिया जाता है. इन पहलों में महिलाओं की भागीदारी को प्रोत्साहित किया जाता है.
'जल सहेलियां', 'भुजल जानकर' बन Water Management कर रहीं महिलाएं
उदाहरण के लिए, जल जीवन मिशन कार्यक्रम ने ग्राम-स्तरीय समितियों के गठन को अनिवार्य किया, जिन्हें 'पानी समिति' के रूप में जाना जाता है, जिसमें महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण होता है, जो जल प्रशासन में उनकी अहम भूमिका को मान्यता देता है.
इसके अलावा, यह मिशन जल प्रदूषण परीक्षण किटों का इस्तेमाल करने के प्रशिक्षण की ट्रेनिंग के लिए महिलाओं को प्राथमिकता देता है. जल प्रबंधन में महिलाओं को प्रशिक्षण देने के कई सफल उदाहरण सामने आए हैं, जैसे उत्तर प्रदेश में 'जल सहेलियां' नेटवर्क, जहां महिलाओं को जल से संबंधित कई कामों में प्रशिक्षित किया गया.
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इसी तरह, राजस्थान और गुजरात में, अटल भूजल योजना के तहत भूजल स्तर और पानी की गुणवत्ता की निगरानी के लिए 'भुजल जानकर' या पैरा-हाइड्रोलॉजिस्ट, मुख्य रूप से महिलाओं को प्रशिक्षित किया गया है.
सामुदायिक भागीदारी को बढ़ावा देते हुए, जल प्रबंधन में स्थायी रोजगार के अवसर पैदा कर, ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में जल सुरक्षा को मजबूत करके महिलाओं को सशक्त बनाने की क्षमता है.