'आर्थिक आज़ादी' है 'महिला सशक्तिकरण' की चाबी

महिला सशक्तिकरण का लक्ष्य तब तक हासिल नहीं हो सकता, जब तक महिलाओं के पास आर्थिक आज़ादी न हो. महिलाओं को खुद आर्थिक आज़ादी से जुड़ी समझ को बढ़ाने के लिए कोशिश करनी होगी.

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मिस्बाह
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financial freedom of women

Image Credits: Ravivar vichar

आर्थिक आज़ादी (financial freedom) वो ताकत है, जो न सिर्फ अपनी पहचान बनाने में मदद करती है, पर परिवार और समाज से जुड़े मुद्दों में फैसले लेने का आत्मविश्वास भी देती है. महिला सशक्तिकरण का लक्ष्य तब तक हासिल नहीं हो सकता, जब तक महिलाओं के पास आर्थिक आज़ादी न हो (financial freedom leads to women empowerment). महिलाओं को आर्थिक रूप से सुरक्षित महसूस करने के लिए, पहले 'आर्थिक आज़ादी' शब्द के मायने समझने होंगे. यह जागरूकता महिलाओं को न केवल पैसे बचाने में, बल्कि सही जगह पैसा इन्वेस्ट करने का रास्ता दिखाएगी (women need to be aware on financial matters).

गृहिणियां हैं आर्थिक रूप से असुरक्षित!

दो बच्चों की मां और गृहिणी संगीता गणेशन अपने पति की मासिक आय के साथ घर के खर्चों को पूरा करने के लिए  हिसाब-किताब में जुटी रहती है. वह कहती है कि कभी-कभी उन्हें आर्थिक रूप से असुरक्षित महसूस होता है. वह बताती हैं, ''वह एक अच्छे पति और पिता है, लेकिन जब पैसे की बात आती है, तो मुझे उनसे पैसे मांगने में बहुत असहज और अजीब महसूस होता है.'' ये कहानी सिर्फ संगीता की नहीं, हर उस गृहिणी की है जो घर के तमाम खर्चों को पूरा करने के बाद अपने लिए कुछ नहीं बचा पाती.

गेट्स फाउंडेशन (Gates Foundation) द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट 'महिलाएं और धन' में कहा गया है कि पैसा पुरुषों का डोमेन है. समाज पैसा कमाने में महिला की भूमिका और पैसों से जुड़े फैसले लेने में उसके अधिकार को नज़रअंदाज़ करता आया है. रिपोर्ट में  इंदिरा का उदाहरण दिया गया है जो कहती है, "अगर मुझे पैसे की ज़रूरत होगी तो मैं अपने परिवार से मांगूंगी, लेकिन अगर उन्हें ज़रूरत होगी तो मैं मुश्किल से पैसे दे पाऊंगी." 

ग्रामीण महिलाएं हैं डिजिटल वित्तीय सेवाओं से दूर 

2019 में जारी बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन की इंडिया रिपोर्ट, 'द फाइनेंशियल एजेंसी ऑफ वुमेन' ने बताया कि अक्सर महिलाओं को कहा जाता है कि फोन और बैंक सेवाएं इस्तेमाल करने के लिए वो स्मार्ट नहीं हैं. विश्व आर्थिक मंच की रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रामीण भारतीय महिलाओं और डिजिटल वित्तीय सेवाओं के बीच अंतर बहुत बड़ा है. 

महिलाओं के लिए इन्वेस्टमेंट टिप्स 

एक्सपर्ट्स और फाइनेंशियल एडवाइसर्स का कहना है कि आर्थिक आज़ादी हासिल करने के लिए महिलाओं को कुछ बातों का ध्यान रखना ज़रूरी है (best investment options for women). अपनी शादी के बाद अपना पर्सनल सेविंग अकाउंट (personal savings account) अचानक बंद न करें. तरह-तरह की फाइनेंशियल सर्विसेज (financial services) को समझने के लिए छोटे कदम उठाएं जो सेविंग्स बढ़ाने में मदद कर सके. चाहे गृहिणी हों या कामकाजी महिलाएं, SIP (Systematic Investment Plan) उनके लिए एक अच्छा सेविंग्स ऑप्शन है, जिसे जल्दी शुरू कर ज़्यादा रिटर्न ले सकते हैं. लिक्विड फंड (liquid fund) महिला इन्वेस्टर्स को नियमित कैश फ्लो (cash flow) के प्रबंधन में मदद कर सकते हैं और बचत खाते की ब्याज दर से लगभग 1% ज़्यादा रिटर्न देते हैं.

महिलाओं के लिए आर्थिक आज़ादी का मतलब भविष्य में पर्याप्त धन होने से कहीं ज़्यादा है. यह वर्तमान में ही अपना पैसा कमाने और प्रबंधित करने की आज़ादी और अधिकार के बारे में है. महिलाओं को खुद आर्थिक आज़ादी से जुड़ी समझ को बढ़ाने के लिए कोशिश करनी होगी. सरकार, सामाजिक संगठनों, और फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस (financial institutions) को ऐसी पहलों को बढ़ावा देना होगा जिससे फाइनेंशियल इन्क्लूशन (financial inclusion) बढ़ सके और महिला सशक्तिकरण का लक्ष्य पूरा हो पाए.

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