'चैस की हर चाल में जितना दिमाग इस्तेमाल होता है वो शायद ही किसी गेम में यूज़ किया जाता हो. हर टर्न में कोई नया ट्विटस्ट जो ना जाने कितनी मूव्स पहले ही सोच लिया गया था, एक चैस प्लेयर को हर मोमेंट प्रेज़ेंट रहना कम्पलसरी है. थोड़ा सा ध्यान भटका और सामने वाला कुछ अलग चाल चलने लगता है. महिलाएं इस खेल में भी परचम लहरा रहीं है.
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ब्यूटी विथ ब्रेन्स... तान्या सचदेव
मेल डोमिनेंट माना जाने वाला गेम है में आज ये लड़की साबित कर रही है कि कुछ भी हो महिलाएं हमेशा आगे और सबके साथ कदम मिला कर चलती रहेंगी. तान्या सचदेव, एक चैस प्लेयर, जो आज किसी भी इंट्रोडक्शन की मौहताज नहीं है. जब 6 साल की थी तान्या तब से चैस खेल रहीं है और 8 साल की उम्र में अपना पहला अंतराष्ट्रीय अवार्ड भी जीत चुकीं है. तान्या के माता पिता दोनों ही एथलीट्स है. उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि तान्या का इंट्रेस्ट चैस में उभर जाएगा. अपने पापा से ही सीखा और उन्हीं को दो दिन बाद एक गेम में हराया था. परिवार उसी दिन समझ गया था कि ये बच्ची कुछ बहुत बेहतरीन करेगी.
8 साल की उम्र में जीता पहला International Award
वो दिन था और आज का दिन है, तान्या ने आज तक जाने कितने ख़िताब जीत लिए है. उन्होंने 2006 और 2007 में दो बार भारतीय महिला शतरंज चैंपियन का खिताब हासिल किया. इसके अलावा, वह 2007 में एशियाई महिला शतरंज चैंपियन के रूप में उभरीं और 2016, 2018 और 2019 में लगातार तीन वर्षों तक राष्ट्रमंडल महिला शतरंज चैंपियन का प्रतिष्ठित खिताब अपने नाम किया. एक खिलाड़ी के रूप में अपनी उपलब्धियों के अलावा, वह एक चैस कमेंटेटर के रूप में भी शामिल हैं. वह महिला शतरंज में ग्रैंडमास्टर बनने वाली आठवीं भारतीय शतरंज खिलाड़ी हैं.
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तान्या मॉडलिंग भी कर चुकी है, और एक कथक डांसर भी है. ओवरऑल, कहा जाए तो तान्या सचदेव एक ऑल राउंडर है. तान्या ने एक ऐसे फील्ड में अपना नाम बनाया जिसे मेल डोमिनेंट समझा जाता है. तान्या सचदेव हर उस महिला को आगे बढ़ने की प्रेरणा दे रही है जो दिन रात को कर गुज़रने के सपने को संजो के रखी है. महिलाएं चाहे तो कुछ भी कर सकती है, ये बात हर व्यक्ति के ज़हन में बैठ चुकी है. देश में भी महिला सशक्तिकरण को लेकर जी तेज़ी से काम हो रहा है. वह दिन दूर नहीं जब भारत महिला पॉप्युलेशन लीड करेंगी.