12 साल की उम्र से औरत periods के दर्द से हर माह गुज़रती है, 9 महीने तक pregnancy और पोस्ट प्रेगनेंसी के physical, emotional और psychological आस्पेक्ट्स अकेले सहन करती हैं, abortion करवाने के बाद loneliness से जूझती है -उसी महिला को समाज sterilization (what is sterilization) करवाने के लिए भी आगे धकेल देता है. पर, मजाल हो किसी की जो औरत की इन तकलीफों के बारे में खुलकर बात भी करें !
पीरियड्स में कहां बैठे, प्रेगनेंसी में क्या करें, एबॉर्शन क्यों न करवाएं और sterilization में पति की जगह खुद का शरीर सैक्रिफाइस करें - यही चीज़ें तो समाज एक 'सर्वगुण संपन्न' महिला की गाइडबुक के पहली पंक्ति में लिखता है. दूसरी ओर, पुरुषों के लिए बर्थ कंट्रोल का इस्तेमाल उसकी ज़रूरत से ज़्यादा पुरुष की इच्छा पर निर्भर करता है.
हर 10 में से सिर्फ़ 1 पुरुष करता है Condom का इस्तेमाल
भारत की 82 % मेल पॉप्युलेशन कॉन्डम के फंक्शनल यूज़ को भली-भांती जानती है, लेकिन फिर भी 1 बिलियन की पॉप्युलेशन मार्क को क्रॉस करके इंडिया दुनिया का सबसे पॉपुलटेड देश बन चूका है . इसकी वजह - हर 10 में से 1 पुरुष कॉन्डम का इस्तेमाल करता है क्योंकि 1/3 पुरुषों का मानना है कि Family Planning सिर्फ़ औरत की ज़िम्मेदारी है. यह हम नहीं बल्कि National Family Health Survey 5 (2019-2021) की रिपोर्ट कहती है.
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रिपोर्ट के अनुसार गांव में 7.6% पुरुष contraceptives का यूज़ करते हैं और वही यह नंबर शहरों में 13 .6 % है. अगर बात महिलाओं की हो तो 38 % ग्रामीण महिलाएं और 36.3 % शहरी महिलाएं sterilization (female sterilization) करवाती हैं. कुल मिलाकर देखा जाए तो देश भर की 38 % महिलाएं tubectomy करवाती हैं और उसके मुक़ाबले सिर्फ 0. 3 % पुरुष vasectomy करवाते हैं.
वजह- अधिकतर पुरुषों में misconception है कि sterilization उनकी masculinity को कमज़ोर कर सकता है और उपहास का कारण बन सकता है. इस वजह से पति अपनी पत्नियों को sterilization करवाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं, जबकि 'vasectomy' tubectomy के मुक़ाबले ज़्यादा सेफ है.
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RISUG 99.02% प्रेगनेंसी प्रिवेंशन में है सहायक
बच्चे, नौकरी, घर, परिवार के बोझ के साथ Family Planning भी सिर्फ औरतों की ज़िम्मेदारी क्यों ? महिलाओं की इस उधेड़बुन को सुलझाने आया है ICMR का RISUG (What does RISUG do?). हाल ही में ICMR ने इस 'Male Injectable Contraceptive' (male contraception) का फाइनल टेस्ट समाप्त किया जिसमें पाया गया कि यह contraceptive 99.02% प्रेगनेंसी प्रिवेंशन में सहायक है.
Non-Hormonal, Reversible और बिना साइड इफेक्ट्स वाली ये contraceptive 10 साल तक इफेक्टिव रहती है और पॉप्युलेशन कंट्रोल में गेम चेंजर साबित होगी.
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इतना ही नहीं, यह बर्थ कंट्रोल मेथड महिलाओं के reproductive health और राइट्स को सशक्त बनाने में भी अहम योगदान देगा.
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RISUG से होंगे महिलाओं के Reproductive Rights सशक्त
1952 से राष्ट्रीय स्तर पर शुरू हुआ 'National Family Planning Programme' population ग्रोथ को धीमा करने पर केंद्रित था, लेकिन 1975 - 1977 में चली Mass Male sterilization (mass sterilization in india) ड्राइव ने पुरुषों के मन में भय पैदा कर दिया था. बिना sterilization certificate के राशन, दवाइयां, हेल्थकेयर फैसिलिटीज आदि मुहैया होना बंद हो गई थी. इन २-३ सालों में 6.2 मिलियन पुरुषों का sterilization करवाया गया. 2 से ३ हज़ार पुरुषों की 'botched surgery' की वजह से मृत्यु हो गई
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फेमिली प्लानिंग प्रोग्राम के इस वीभत्स रूप ने सारी ज़िम्मेदारी औरतों के कन्धों पर डाल दी, जो Sterilisation camps और ASHA workers के साथ तेज़ हुई.
Human Rights Watch की 2012 में प्रकाशित हुई रिपोर्ट के अनुसार,
"राज्य और जिला स्तर के अधिकारी महिला नसबंदी सहित अन्य contraceptive यूज़ के लिए स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को लक्ष्य देते थे. महिला नसबंदी के लक्ष्य को हासिल करने के लिए प्रशासन ने ज़ोर दिया और उस लक्ष्य को हासिल न कर पाने के लिए आशा कार्यकर्ताओं के वेतन में कटौती की धमकी भी दी."
Mass Women Sterilisation कैंप में 363 महिलाओं की हुई मौत
साल 2014 में छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में एक Mass Sterilization कैंप में 13 महिलाओं की मृत्यु हो गई. लोकल अथॉरिटीज के mismanagement और मेडिकल इक्विपमेंट्स के आभाव के कारण साल 2010-2013 के बीच 363 महिलाओं की मौत हुई. इन सब हादसों को देखते हुए साल 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने mass sterilization कैम्प्स पर ban लगवा दिया, लेकिन आज 7 साल बाद NFHS-5 के आकड़ें कुछ और ही कहानी बयां करते हैं.
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इतना ही नहीं, कॉन्डम जैसे बेसिक बर्थ कंट्रोल का इस्तेमाल न करने का खामियाज़ा महिलाओं को unsafe abortions के रूप में भरना पड़ता है. Unplanned pregnancy महिलाओं को unsafe abortions methods जैसे hormonal pills (oral contraceptive pills) इस्तेमाल करने पर मजबूर करती है. United Nations Population Fund की 2022 report के अनुसार unsafe abortions भारत में महिलाओं की मृत्यु का तीसरा प्रमुख कारण है.
RISUG (contraception for men) पुरुषों को फेमिली प्लानिंग प्रोसेस में इन्वॉल्व कर महिलाओं के रिप्रोडक्टिव राइट्स को सशक्त बनाने में मदद करेगा. इसके लिए ज़रूरी है कि फेमिली प्लानिंग के विषय पर समुदायों, खासकर पुरुषों को जागरुक किया जाए, सही जानकारी और जागरूकता के ज़रिये RISUG जैसे male contraceptive के options को आम जन के बीच कारगार बनाया जा सकता है. यह reproductive हेल्थ के क्षेत्र में क्रांति लाएगा और महिलाओं को उनके bodily autonomy को प्रैक्टिस करने का मौका देगा