माइक्रोफाइनेंस उन व्यक्तियों और छोटे व्यवसायों के लिए डिज़ाइन की गई वित्तीय सेवा है जिनके पास पारंपरिक बैंकिंग तक पहुंच नहीं है (Importance of Microfinance). इन सेवाओं में माइक्रोक्रेडिट (छोटे ऋण), बचत और चेकिंग खाते, माइक्रोइंश्योरेंस और भुगतान प्रणाली शामिल है. इसका प्राथमिक लक्ष्य आर्थिक रूप से वंचित व्यक्तियों को आत्मनिर्भरता की राह पर चलाने में सहायता करना है.
MFI ग्राहकों का लगभग 98% हैं महिलाएं
भारत माइक्रोफाइनेंस रिपोर्ट 2023 के अनुसार, भारत में माइक्रोफाइनेंस क्षेत्र ने अपने ऋण पोर्टफोलियो में 21% की उल्लेखनीय बढ़ोतरी का अनुभव किया, जो वित्त वर्ष 2023 के अंत तक ₹3.52 ट्रिलियन तक पहुंच गया. इस बढ़ोतरी की वजह RBI द्वारा प्रेरित अनुकूल आर्थिक माहौल और माइक्रोफाइनेंस को सुलभ बनाने वाली योजनाएं है, जिसे सभी माइक्रोफाइनेंस संस्थानों (MFI) ने तेजी से अपनाया.
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213 MFI के आंकड़ों पर आधारित रिपोर्ट से पता चला कि ग्रामीण ऋण में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई, जिसमें 74% ग्राहक ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं. महिला उधारकर्ता की संख्या भी ज़्यादा रही, जो कुल MFI ग्राहकों का लगभग 98% हैं.
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MFI ने 53.2 मिलियन से ज़्यादा ग्राहकों को दी सेवाएं
NABARD के अध्यक्ष शाजी के.वी. ने स्वास्थ्य, शिक्षा, पानी और स्वच्छता से जुड़ी क्रेडिट-प्लस गतिविधियों, वित्तीय साक्षरता और जलवायु-लचीली कृषि में योगदान देने के लिए MFI की प्रशंसा की.
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रिपोर्ट से पता चला कि MFI ने 53.2 मिलियन से ज़्यादा ग्राहकों को सेवाएं प्रदान कीं, जिनका कुल बकाया माइक्रोक्रेडिट ₹179,855 करोड़ था. MFI के पोर्टफोलियो में 33% की बढ़ोतरी देखी गई, साथ ही ग्राहकों में 19% की वृद्धि हुई. NBFC और NBFC - MFI ने ग्राहक आउटरीच का 86% और बकाया पोर्टफोलियो का 83% हिस्सा बनाया.
स्वयं सहायता समूहों में भी हुई बढ़ोतरी
रिपोर्ट में बचत से जुड़े स्वयं सहायता समूहों (Self Help Group) में बढ़ोतरी का भी उल्लेख किया गया है, जो 16.23 करोड़ परिवारों तक पहुंच गई है. क्रेडिट-लिंक्ड SHG में वृद्धि हुई है, जिनकी कुल संख्या 6.95 मिलियन है, जिन पर ₹1,88,079 करोड़ का बकाया ऋण है (MFI empowering women entrepreneurs).
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भारत का माइक्रोफाइनेंस क्षेत्र लगातार विकसित हो रहा है. लाखों लोगों को माइक्रोक्रेडिट से जोड़ वित्तीय समावेशन (Financial Inclusion) और सामाजिक-आर्थिक विकास का रास्ता आसान हुआ है.
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