भारत (India) में आबादी का एक बड़ा हिस्सा कई तरह की आर्थिक कमज़ोरियों से जूझ रहा है. बैंकिंग, बीमा, क्रेडिट जैसी वित्तीय सेवाओं (financial services) तक आसान पहुंच न होने की वजह से आर्थिक चुनौतियां बढ़ जाती हैं और गरीबी (poverty) के चंगुल से निकल पाना मुश्किल हो जाता है. इसलिए, सरकार वित्तीय सेवाओं को, समाज के इन वंचित वर्गों के पास लाने के लिए कई कोशिशें कर रही है.
ऐसी ही एक कोशिश है माइक्रोइंश्योरेंस (Microinsurance), जिसकी मदद से कम आय वर्ग (low income group) के लोगों को बीमा की सुविधा देकर वित्तीय रूप से खुद को सुरक्षित रखने का मौका मिलता है.
क्या है माइक्रोइंश्योरेंस ?
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एक बच्चा अपनी पॉकेट मनी को गुल्लक में जमा करता रहता है ताकि अचानक आई ज़रुरत पूरी हो सके (What is microinsurance?). माइक्रोइंश्योरेंस भी कुछ ऐसी अचानक आई ज़रूरतों से निपटने के लिए इस्तेमाल में आता है. स्वास्थ्य परेशानी सामने आ जाने, फसल बर्बाद हो जाने, या किसी तरह का हादसा हो जाने पर माइक्रोइंश्योरेंस आर्थिक मदद करता है. इसका फायदा लेने के लिए योजना को खरीदना पड़ता है, बिलकुल वैसे ही जैसे आप घर का कोई सामान खरीदते हैं. इस तरह के बीमा को इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया (IRDAI) रेगुलेट करती है.
माइक्रोइंश्योरेंस जनरल बीमा (General insurance) और जीवन बीमा (Life Insurance) दोनों श्रेणियों में लिया जा सकता है. माइक्रोइंश्योरेंस, सामान्य इंश्योरेंस (Insurance) की तरह ही आर्थिक सहायता (financial assistance) देता है, फर्क इसकी कवरेज राशि में है, जो कि 50 हज़ार रुपये के बराबर या उससे कम होती है. इसके ज़रिये, कम आय वाले लोग भी बीमा ले सकते हैं, जिनके लिए पारंपरिक बीमा लेना मुश्किल है.
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LIC की माइक्रो इंश्योरेंस योजनाएं (LIC’s Micro Insurance Plan) बीमा, निवेश और टेंशन फ्री जीवन की चाबी है. इसी तरह मार्केट में कई माइक्रो इंश्योरेंस योजनाओं के ऑप्शन्स मिल जायेंगे, अपने बजट के हिसाब से इन्हें खरीदा जा सकता है.
माइक्रोइंश्योरेंस पॉलिसी गैर-सरकारी संगठनों, स्वयं सहायता समूहों (self help groups) और माइक्रो फाइनेंस संस्थानों (micro finance institutes) के ज़रिये से ली जाती है. SHG लिंक्ड LIC (SHG linked LIC) से जुड़कर सदस्यों के जीवन में सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण (socio-economic empowerment) को बढ़ावा मिलता है.
माइक्रोइंश्योरेंस के प्रकार
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माइक्रोइंश्योरेंस (types of microinsurance) 5 तरह के हो सकते हैं- स्वास्थ्य माइक्रोइंश्योरेंस, लाइफ माइक्रोइंश्योरेंस, टर्म माइक्रोइंश्योरेंस, प्रॉपर्टी माइक्रोइंश्योरेंस, और पेंशन माइक्रोइंश्योरेंस.
स्वास्थ्य माइक्रोइंश्योरेंस (Health Insurance) से इलाज करवाने, अस्पताल में भर्ती होने, और दवाइयों के खर्च में आर्थिक मदद मिलती है.
लाइफ माइक्रोइंश्योरेंस (Life Insurance) से कमाने वाले के गुज़र जाने पर परिवार को आर्थिक मदद मिलती है.
टर्म माइक्रोइंश्योरेंस (Term Microinsurance) घातक चोट या दुर्घटना के बाद मदद करती है.
प्रॉपर्टी माइक्रोइंश्योरेंस (property microinsurance) चोरी या प्राकृतिक आपदा की वजह से संपत्ति को हुए नुकसान के लिए कवरेज देती है.
पेंशन माइक्रोइंश्योरेंस (pension microinsurance) से बुढ़ापे में धीरे-धीरे या एकमुश्त में, जमा पूंजी से आर्थिक मदद मिलती है.
माइक्रोइंश्योरेंस क्यों है जरूरी ?
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भारत में करीब 14 करोड़ 57 लाख लोग गरीबी रेखा से नीचे रहने पर मजबूर हैं. इनके पास वित्तीय सुरक्षा (financial security) की कमी होती है जिसकी वजह से स्वास्थ्य और दूसरी सुविधाओं तक पहुंच मुश्किल हो जाती है.
माइक्रोइंश्योरेंस योजना अचानक आई समस्या से निपटने में मदद करती है. इसे खरीदने के लिए काफी कम दस्तावेज़ों की ज़रुरत होती है और इन्हें ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीकों से आसानी से खरीदा जा सकता है. इससे छोटे हादसों, बीमारियों, मृत्यु और दूसरी आपदाओं के खिलाफ सुरक्षा मिलती है. इससे संपत्ति और परिवार की सुरक्षा को लेकर चिंता कम हो जाती है और साथ ही फाइनेंशियल इन्क्लूशन (financial inclusion) को भी बढ़ावा मिलता है.