"ताहिरा कश्यप से मिलने से पहले मेरी सोच पुरुष प्रधान थी, लेकिन आज मैं खुद को proudly एक feminist बोलता हूं." ये शब्द है ड्रीम गर्ल फिल्म पूजा (Dream girl movie) के रोल को किसी लड़की से बेहतर निभाने वाले आयुष्मान खुराना (Ayushmann Khurrana) के. बॉलीवुड के बेहतरीन एक्टर्स में से एक आयुष्मान खुराना का जन्म (Ayushmann Khurrana Birthday) चंडीगढ़ के एक परिवार में हुआ था जहा उन्होंने बचपन से ही अपनी मां और घर की लड़कों को घर संभालते हुए देखा था.
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बॉलीवुड के Feminists Icon है आयुष्मान खुराना
जिस सोसायटी को आयुष्मान belong करते है, वहां महिलाओं को सिर्फ घर में रहकर काम करते देखा था उन्होंने जिस कारण उनकी भी सोच ऐसी ही कुछ थी. लेकिन जब वह ताहिरा कश्यप (Ayushmann khurrana wife) से मिले और उन्होंने लड़कियों के बारे में समझना शुरू किया, वे धीरे-धीरे अपनी सोच को लेकर evolve हुए और आज वो खुद को feminism का flag bearer कहते है.
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उनका मानना है की हर लड़के को इस metamorphosis की stage से निकलना ज़रूरी है. वे कहते है कि- "आज भी rural india के ज़्यादातर घरों में patriarchy को follow किया जाता है. लेकिन जब एक लड़का इस चेंज को समझने के कोशिश करता है, तब उसे life का अलसी मतलब और feminist होने की ज़रूरत समझ आती है."
Dream girl में निभाया pooja का किरदार
उनकी life का ये चेंज थी उनकी wife ताहिरा. Gender parity का मतलब समझते है आयुष्मान और इसीलिए उनके रोल्स और फिल्म्स की चोइसस भी ऐसी है जो शायद बॉलीवुड का कोई भी एक्टर नहीं निभा पाता. Dream girl 1 और 2 में पूजा का किरदार, एक ऐसी character जो हर generation को याद रहेगा. फिल्म की एक्ट्रेस से बेहतर लड़की का किरदार अगर कोई निभा सकता था तो वो थे आयुष्मान खुराना.
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आयुष्मान (Ayushmann Khurrana on feminism) का मानना है की हर आदमी में feminine energy होती है. लेकिन अपने ego और male dominancy के कारण उस energy को अक्सर दबा दिया जाता है. Pooja के किरदार में एक लड़की जैसी नज़ाकत, हरकते...और भी बहुत कुछ इस तरह से निभाया है आयुष्मान ने की शायद critics के लिए भी समझना मुश्किल हो गया होगा उनके switch को.
आयुष्मान खुराना की poem Gentlemen
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आयुष्मान ने आज से 3 साल पहले एक कविता (Ayushmann khurrana poem Gentlemen) कही थी जिसमें उन्होंने समझाने के कोशिश की थी की एक Real Man कौन होता है. वो नहीं, जो एक लड़की के लिए गाड़ी का दरवाज़ा खोले बल्कि वो जो लड़की के घर आने पर उसके लिए घर का दरवाज़ा खोले और उसे चाय बनाकर दे. जब उसके साथ कुछ गलत हो तो अपनी आवाज उठाए और उसके ना होने पर बच्चों को उतने ही अच्छे से संभाले, वो मर्द होता है.
Ayushmann khurrana- "सिक्स पैक्स से नहीं बनते है मर्द, ना ज़्यादा कमाने से बनते है, ना चिल्लाने से, ना आसूं छुपाने से बनते है... किसी को ठंड लगती है तो दिल उसका भी सर्द होता है, की जिसको दर्द होता है, असल में वो ही मर्द होता है!"