जीते तो हम सब पूरी मस्ती और ख़ुशी से है, इस उम्मीद के साथ कि हमारा भविष्य और भी अच्छा होगा. हर दिन फ़ोन में अलार्म लगा कर अगले दिन की प्लानिंग करके सो जाते है. एक होप होती है कि सब कुछ सही ही रहेगा. लेकिन क्या हो अगर किसी दिन ये उम्मीद, जिस पर पूरी दुनिया टिकी हुई है, वो टूट जाए? ज़िंदगी का दुसरा नाम है, सरप्राइज़! हर दिन कुछ ना कुछ नयी बात, नयी चुनौती, नयी परेशानी!
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कैंसर सर्वाइवर मनीषा कोइराला की लाइफ रहीं उप्स एंड डाउन्स से भरी
जब ज़िंदगी करवट बदलती है, तो वो नहीं देखती कि इंसान गरीब है या अमीर. वह बस बदल जाती है. कल कुछ और थी, आज कुछ और. मनीषा कोइराला, एक ऐसा ही नाम जिसके पास दौलत और शोहरत की कोई कामी नहीं थी, लेकिन फिर भी उनकी लाइफ ने ऎसी करवट ली, जिसने उनकी ज़िंदगी को पूरा बदल कर रख दिया. अपनी लाइफ में मस्त होकर, बिना किसी बात की परवाह किये जी रहीं थी मनीषा. एक दिन तबियत बहुत ज़्यादा खराब होने पर वह डॉक्टर के पास गयी और बस उस दिन से उनकी ज़िंदगी बदल गयी.
जब डॉक्टर ने सारे टेस्ट किये तो पता चला कि उन्हें लास्ट स्टेज ओवरियन कैंसर डिटेक्ट हुआ है. उस रात मनीषा कि आखों में नींद नहीं थी, बस तो बहुत से सवाल थे, जिनका जवाब उनके पास नहीं था. वे US में जाकर ट्रीटमेंट लेने लगी. उन्हें उस बेड पर एक काम करने का मौक़ा सबसे ज़्यादा मिला- सोचने का, अपनी लाइफ को पूरा स्टडी करने का, क्या गलत हुआ, क्या नहीं करना चाहिए था, और क्या अब करना पड़ेगा!
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कैंसर कायर और वीमेन एम्पावरमेंट पर कर रहीं है काम
उनके दिमाग में सिर्फ एक चीज़ थी कि- "मुझे इतनी जल्दी मरना नहीं है." किसी भी और कैंसर पेशंट की तरह वो भी अपनी ज़िंदगी को बचाने के लिए कुछ भी करने तैयार थी. उन्होंने तय कर लिया कि अगर उन्हें ज़िंदगी ने दूसरा मौक़ा दिया तो वह उसे पूरी तरह बदल देंगी. ट्रीटमेंट पूरा हुआ और उन्हें दूसरा मौक़ा मिला. वह अपनी इस लाइफ को एक गिफ्ट के तौर पर देखती है, और इसे अच्छे से रखने के लिए हर संभव प्रयास कर रहीं है.
उन्होंने मरने के डर को 1 साल तक जिया और आज वह किसी और की ज़िंदगी से यह डर ख़त्म करने के लिए हर काम कर रहीं है. मई 2013 में कैंसर के इलाज के बाद उन्होंने कहा- "मैं अपनी सेलिब्रिटी पोज़िशन और व्यक्तिगत कहानी का उपयोग उन लोगों को प्रेरित करने के लिए करना चाहती हूं जो इस खतरनाक बीमारी से जूझ रहे हैं. अब से मैं बस उन लोगों के लिए उपयोगी बनना चाहती हूं जिन्हें थोड़ी सलाह की ज़रूरत है." कैंसर से लड़ाई के बाद वह एक कैंसर इन्फ्लुएंसर बन गई हैं और स्कूलों, अस्पतालों और संगठनों में विभिन्न विषयों पर बातचीत भी करती हैं.
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अपनी ज़िंदगी को शिद्दत से जीना सिखाती है मनीषा कोइराला
महिलाओं के अधिकारों को बढ़ावा देने, महिलाओं के खिलाफ हिंसा की रोकथाम और वेश्यावृत्ति के लिए नेपाली लड़कियों की मानव तस्करी को रोकने से जुड़े सामाजिक कार्यों में भी सक्रिय रूप से शामिल हैं मनीषा कोइराला. 2020 में, उन्होंने कैंसर पीड़ितों या खराब फाइनेंशियल कंडीशन वाले लोगों के बच्चों को एजुकेशन स्कॉलरशिप देने के लिए ग्लोबल कॉलेज इंटरनेशनल, काठमांडू के साथ "मनीषा कोइराला कैंसर एजुकेशन फंड" भी लॉन्च किया.
वह अपनी लाइफ को पूरी शिद्दत से जीने के पीछे लग गयी है, और हर व्यक्ति को प्रेरणा भी दी रहीं है. मनीषा कोइराला अपनी जिन्दगी में खुद को नसीब वाला मानती है. बचपन से उन्हें ऐसे माहौल में बड़ा किया गया जहां उनकी फैमिली में लड़कियों के साथ कोई भेदभाव नहीं था. वह खुल कर जीती थी, और आज महिला सशक्तिकरण की राह पर भी वह ग्रामीण महिलाओं को इस तरह जीने के लिए प्रेरित कर रहीं है. ओवरऑल, मनीषा कोइराला की ज़िंदगी आज हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा बन चुकी है, जो छोटी बातों से डरकर आगे बढ़ने से कतराते है.