पीरियड्स को हमेशा से ही शर्म से जोड़ा गया. पर, हाल ही में हो रहे प्रयासों की वजह से इस मुद्दे पर लोगों ने खुलकर बात करना शुरू किया है.
राष्ट्रीय मासिक धर्म स्वच्छता नीति को सफल बनाने में पुरुषों का योगदान ज़रूरी
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय (Union Health Ministry) ने पीरियड्स से जुड़ी समस्याओं (challenges related to periods) का समाधान निकालने के लिए राष्ट्रीय मासिक धर्म स्वच्छता नीति (national menstrual hygiene policy) बनाई. यह प्रयास मासिक धर्म स्वास्थ्य और स्वच्छता (menstrual health and hygiene) में प्रगति करने की दिशा में एक सराहनीय कदम है. यह प्रस्तावित नीति न सिर्फ स्वच्छता उत्पाद (menstrual hygiene products) की पहुंच और बेहतर स्वच्छता सुविधाओं पर जोर देती है, बल्कि समाज में फैले टैबू (period taboo) को मिटाने और पीरियड फ्रेंडली वातावरण (period friendly environment) बनाने को भी प्राथमिकता देती है.
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यह नीति सुनने में जितनी सरल लगती है, ज़मीनी स्तर पर इसे लागू करना उतना ही मुश्किल है. पीरियड से जुड़ी धारणाएं गहराई से समाज में अपनी जड़े जमा चुकी हैं. बेशक ये पहल मेंस्ट्रुअल हाइजीन (menstrual hygiene) की दिशा में अहम साबित होगी. लेकिन, इसकी सफलता सामाजिक मानदंडों (social standards) को संबोधित करने पर निर्भर करती है. इसके लिए पुरुषों और लड़कों की भागीदारी ज़रूरी हो जाती है.
पीरियड्स सिर्फ स्वास्थ्य संबंधी समस्या नहीं, सामाजिक-सांस्कृतिक चुनौती भी है
मासिक धर्म स्वास्थ्य और स्वच्छता (MHH) जितनी स्वास्थ्य संबंधी समस्या (health related issue) है, उतनी ही सामाजिक-सांस्कृतिक चुनौती (socio-cultural challenge) भी है. यह केवल एक महिला की चिंता नहीं है, बल्कि भारत जैसे पितृसत्तात्मक समाज (patriarchal society) के मानदंडों और सांस्कृतिक से जुड़ाव की वजह से इसके कई पहलू हैं. मासिक धर्म से जुड़े कलंक और गरिमा (Stigma associated with menstruation) का एहसास अक्सर महिलाओं की आवाज़ को दरकिनार करती है.
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महिलाओं को मासिक धर्म (menstruation) के दौरान सामान्य स्वच्छता सुविधाओं का इस्तेमाल करने से रोका जाता है और सामाजिक, धार्मिक, पारिवारिक और यहां तक कि शैक्षिक गतिविधियों में भाग लेने से भी बाहर रखा जाता है. मासिक धर्म के दौरान महिला को 'अपवित्र' (impure) माना जाता है. इन परम्पराओं को लागू करवाने में पुरुष वर्चस्व का बड़ा हाथ रहता है.
पिता से लेकर नीति निर्माताओं तक- समान समाज बनाने में पुरुषों का साथ ज़रूरी
इन सभी वजहों को देखते हुए, मासिक धर्म स्वास्थ्य और स्वच्छता (menstrual health and hygiene) पर चर्चा के केंद्र में पुरुषों और लड़कों को शामिल करना अहम हो जाता है (Engaging boys in menstrual hygiene management). पिता और भाइयों से लेकर पार्टनर तक, शिक्षकों और नीति निर्माताओं तक, पुरुष मेंस्ट्रुअल हाइजीन (menstrual hygiene) से जुड़ी समस्याओं का समाधान निकालने में ज़रूरी भूमिका निभाते है.
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पीरियड्स पर से 'औरतों वाली बीमारी' का टैग हटाकर, पुरुषों और लड़कों को इस बायोलॉजिकल प्रोसेस (biological process) के बारे में समझाना ज़रूरी है. इससे न सिर्फ राष्ट्रीय मासिक धर्म स्वच्छता नीति (national menstrual hygiene policy) को लागू करने में मदद मिलेगी, पर लड़कियों और महिलाओं के लिए सेफ स्पेस (safe space) बनाकर समान समाज बनाने में भी योगदान हो सकेगा.