भारत में महिलाएं अपने आप को समृद्धि की ओर ले जाना चाह रही है. समृद्धि के इस सफर पर आगे बढ़ने के लिए वह कई सारे माध्यमों की तलाश कर रही है. इनमें सबसे महत्वपूर्ण माध्यम है "स्वयं सहायता समूह". समृद्धि और आर्थिक आज़ादी का यह रास्ता ग्रामीण महिलाओं के लिए नेटवर्किंग के अवसर बनाने का सफल साधन साबित हो रहा है.
स्वयं सहायता समूह (Self Help Groups in India) ने महिलाओं को एकसाथ आने और साथ मिलकर अपनी आत्म-सहायता के लिए समूह बनाने का अवसर प्रदान किया. इन समूहों में महिलाएं साझा बचत करती है, साथ ही कई तरह की कृषि और अन्य व्यवसायिक गतिविधियां मिलकर पूरा करती है. अपनी वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए साथ में काम करती है.
स्वयं सहायता समूह से जुड़कर इन महिलाओं ने अपने लिए व्यवसायिक और सामाजिक नेटवर्क तैयार कर लिया है . इस तरह का मानव संसाधन नेटवर्क जो की बहुत बड़ा है और एक जैसे सामाजिक परिवेश की महिलाओं से मिलकर बना है, उन्हें नए अवसरों की ओर ले जाने में मदद कर रहा है.
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स्थानीय स्तर पर साझेदारी और भागीदारी
महिलाओं (Women empowerment in india) के एकसाथ आने और भागीदारी निभाने से, स्थानीय स्तर पर आपसी सामंजस्य और साझेदारी मजबूत होती है. समूह के इस नेटवर्क के सहारे अपने गांव में सामाजिक परिवर्तन के साथ निजी जीवन की कठनाईयों को समझने और सुलझाने में मदद मिलती है. साथ ही प्राकृतिक और सामाजिक संघर्षों के लिए भी एक छोटा लेकिन कारगर नेटवर्क तैयार रहता है.
SHG के बीच व्यापारिक संबंध
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एक समूह अपने गांव, जिले, प्रदेश या देश के किसी भी अन्य समूहों से मिलकर व्यापार को बढ़ावा देता है. इसी के साथ महिलाएं व्यापारिक संस्थानों से मिलकर भी एक अलग तरह का नेटवर्क खड़ा कर सकती है. इस तरह का नेटवर्क बड़े स्तर पर देश में नयी स्वदेशी आर्थिक क्रांति ला सकता है. जैसे भोपाल के पास का स्वयं सहायता समूह आज आसाम के चाय उत्पादक समूह से चाय पत्ती खरीद कर उसका व्यापार मध्य प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में कर रहा है. दोनों तरफ के समूह को हो रहे फायदे के साथ एक नए तरह का व्यापारिक और उत्पादक नेटवर्क भी खड़ा हो रहा है.
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जानकारी आदान-प्रदान
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समूहों के बीच नेटवर्क खड़ा होने से जानकारी, विश्लेषण, योजनाएं पहुंच सकती है जिससे न केवल काम में बल्क़ि आपसी सलाह को भी बढ़ावा मिलेगा. खेती, स्वास्थ्य, शिक्षा आदि की जानकारी के साथ SHG नेटवर्क एक ऐसा फोरम खड़ा कर सकते है जो की व्यावसायिक, व्यापारिक, सामाजिक और निजी विचारों के साथ समाधान भी दे सके.
अलग तरह का सोशल मीडिया नेटवर्क
1 करोड़ समूह की ताक़त अगर टेक्नोलॉजी के माध्यम से जुड़ जाए तो एक ऐसा सोशल नेटवर्क खड़ा किया जा सकता है जो की सामाजिक, आर्थिक, सामुदायिक स्तर पर भारत के ग्रामीण जीवन को नए आयाम दे सकेगा. महिलाओं की ताक़त को नया जुड़ाव मिलेगा जो की हर क्षेत्र में कारगर साबित होगा.
स्वयं सहायता समूह का मजबूत नेटवर्क ग्रामीण भारत को समृद्धि, विकास और परिवर्तन के नए आयामों तक पहुंचा सकता है. यह नेटवर्क न केवल आर्थिक विकास में सहायक होता है, बल्कि समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.