कृषि क्षेत्र में महिला उद्यमियों का संघर्ष और सफलता

हिमाचल प्रदेश की रहने वाली शिखा चौधरी सफल महिला किसान होने के साथ-साथ कृषि उद्यमी भी है. साल 2016 में कृषि विज्ञानं केंद्र से विपणन की ट्रेनिंग लेकर अच्छी आमदनी कर रही हैं. शिखा ने स्वयं सहायता समूह बनाकर अपने साथ दूसरी महिलाओं को जोड़ा.

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हेमा वाजपेयी
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महिला किसानों और  कृषि उद्यमियों की अहम भूमिका है, जो भारतीय कृषि विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं. वह न केवल अपने परिवारों के लिए खाद्य उत्पादन करती हैं, बल्कि उनके मेहनत और आत्मविश्वास से भारतीय कृषि को मजबूती भी दे रही हैं. महिला किसानों का योगदान खेती, पशुपालन, और कृषि संबंधित कई क्षेत्रों में देखा जा सकता है.

शिखा चौधरी सफल महिला किसान और कृषि उद्यमी

ऐसी ही कहानी है हिमांचल प्रदेश की रहने वाली शिखा चौधरी की, जो सफल महिला किसान होने के साथ-साथ कृषि उद्यमी भी है. साल 2016 में कृषि विज्ञानं केंद्र से विपणन की ट्रेनिंग लेकर पर्याप्त आमदनी कमा रही हैं. शिखा ने स्वयं सहायता समूह (Self Help Group) बनाकर अपने साथ दूसरी महिलाओं को भी जोड़ा.

KVK ट्रेनिंग प्रोग्राम से सीखा खाद विपणन प्रोडक्ट्स के बारे में 

शिखा के पास दस कनाल जमीन है, जिसमें वह गेहूं, धान और सब्जियां उगाती है. KVK के ट्रेनिंग प्रोग्राम से वैज्ञानिक प्रसंस्करण के साथ खाद विपणन प्रोडक्ट्स के अलग-अलग पहलुओं के बारे में जाना और समूह बनाकर कई प्रोडक्ट्स जैसे आम पाउडर, सिवई, सीरा और दलिया आदि बनाये. अब तक शिखा 1,38,000 रूपए की आय कमा चुकी है. साथ ही दूसरी लड़कियों को भी काम दे रही है.

महिला किसानों के सशक्तिकरण (women empowerment) के लिए, उन्हें औद्योगिकीकरण के क्षेत्र में ट्रेनिंग देना होगी. सरकार और संगठनों की मदद से ये महिलाएं उद्यमी बनकर आत्मनिर्भर बन सकेंगी. 

women empowerment self help group