'Women led development' पर ध्यान केंद्रित कर भारत सामाजिक-आर्थिक प्रगति के नए आयाम छूने के लिए तैयार है. महिलाओं को उद्यमिता से जोड़कर उन्हें आर्थिक आज़ादी (financial freedom) हासिल करने में मदद की जा रही है, ताकि महिलाएं आर्थिक विकास में भागीदार बन सके.
"भारत को High-Income देश बनने के लिए, 8 % आर्थिक बढ़त की ज़रुरत" - World Bank
विश्व बैंक ने कहा कि भारत को एक उच्च आय वाला देश (high income country) बनने के लिए, 8 % के करीब बढ़ने की जरूरत है, जिसके लिए सबसे ज़रूरी पहलुओं में से एक उच्च महिला श्रम शक्ति भागीदारी (high female labor force participation) दर होगी.
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भारत में विश्व बैंक के कंट्री डायरेक्टर ऑगस्टे तानो कौमे ने कहा, उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं के लिए महिला श्रम बल भागीदारी दर का औसत स्तर लगभग 50 % है और भारत के लिए यह 25 % है. भारत को और बेहतर करने की ज़रुरत है,"
आर्थिक विकास के लिए महिला श्रम शक्ति में बढ़ोतरी ज़रूरी
विश्व बैंक की इंडिया डेवलपमेंट अपडेट (India Development Update) रिपोर्ट ने बताया कि ग्रामीण इलाकों की महिलाएं पुरुषों की तुलना में नौकरियों में पिछड़ी हुई हैं. Q4 FY22 से Q4 FY23 में, शहरी श्रमिक जनसंख्या अनुपात (WPR) में मामूली सुधार दिखा, पुरुषों और महिलाओं के लिए क्रमशः 1.4 और 2.3 % बढ़ गया. हालांकि, महिलाओं के लिए WPR में बढ़ोतरी अवैतनिक कामों में महिलाओं की भागीदारी में 11.7 % की बढ़ोतरी की वजह से हुई.
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विश्व बैंक (world bank) के वरिष्ठ अर्थशास्त्री और रिपोर्ट के मुख्य लेखक ध्रुव शर्मा ने बताया कि भारत को अपनी आर्थिक वृद्धि की दर को 6 % से 8 % तक बढ़ाने और एक उच्च आय वाले देश के रूप में बनने के लिए महिला भागीदारी को बढ़ाने की ज़रुरत है.
महिला LFPR में सुधार से होगा देश का आर्थिक सशक्तिकरण
हिमाचल प्रदेश, मेघालय और नागालैंड जैसे पहाड़ी राज्यों में महिला LFPR (श्रम बल भागीदारी दर) ज़्यादा है. इसके विपरीत, महाराष्ट्र, गुजरात और हरियाणा जैसे औद्योगिक राज्यों में प्रति व्यक्ति आय ज़्यादा होने के बावजूद महिला LFPR कम है.
Self Help Groups की मदद से भारत बन सकता है High-Income देश
महिलाओं की भागीदारी समाज और आर्थिक विकास की कुंजी है. जब महिलाएं रोज़गार से जुड़ती हैं, तो वह सिर्फ आर्थिक रूप से सशक्त नहीं होती, देश की अर्थव्यवस्था के विकास में योगदान भी देती हैं. महिलाओं को बेहतर रोज़गार के अवसर देकर भारत को उच्च आय वाला देश बनाया जा सकता है.
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ऐसे में, स्वयं सहायता समूह (self help group) काफी कारगर साबित हो रहे हैं. छोटे ऋण तक पहुंच देकर, उद्यमिता से जोड़कर, महिलाओं को रोज़गार के आसान अवसर देकर, और फाइनेंशियल इन्क्लूसिव बढ़ाकर ये समूह महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त होने में मदद कर रहे हैं. इन महिला समूहों का समर्थन कर उन्हें और देश को आर्थिक सशक्तिकरण (financial empowerment) की दिशा में अग्रसर किया जा सकता है.