भारत, अपने 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के सपने को पूरा करने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठा रहा है. इस मिशन के अंतर्गत, महिला self help group की महत्वपूर्ण भूमिका है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था को विकसित करने में मददगार है.
महिलाओं का सामाजिक और आर्थिक दृष्टिकोण
महिलाएं भारतीय समाज का महत्वपूर्ण हिस्सा है और उनका सामाजिक और आर्थिक दृष्टिकोण स्वयं सहायता समूहों (growing indian economy) से जुड़ने के बाद बदल रहा है. SHGs के माध्यम से महिलाएं अब पैरों पर खड़ी होकर समृद्धि की और बढ़ रहीं है है. स्वयं सहायता समूह वह मिशन है जो महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाते है और इससे भारतीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलता है.
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महिला स्वयंसहायता समूहों का महत्व
स्वयं सहायता समूह, महिलाओं को आर्थिक स्वावलंबन की दिशा में ले रहे है. इन समूहों के माध्यम से, महिलाएं विभिन्न व्यवसायों के लिए ऋण प्राप्त कर सकती हैं और अपने व्यवसायों को सफलता बना सकती हैं. इससे वह अपने परिवारों के लिए भी आर्थिक योगदान करती है.
स्वयं सहायता समूह (SHGs) भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नए ऊंचाइयों तक पहुंचाने का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गए है. इन SHGs में जुड़ी महिलाएं ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी आर्थिक स्वतंत्रता को बढ़ाती हैं और देश को (indian economy growth) 5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था की दिशा में अग्रसर करने में महत्वपूर्ण योगदान दे रही है.
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मुख्यतः स्वयं सहायता समूह अर्थव्यवस्था में योगदान देते है इन कारणों से
आर्थिक सहायता: SHGs ने लगभग 9 करोड़ महिलाओं को आर्थिक सहायता प्रदान कर और उन्हें स्वावलंबी (women empowerment) बनाया है. SHGs के माध्यम से ग्रामीण महिलाएं ऋण प्राप्त कर सकती है, और कई छोटे व्यवसायों की स्थापना कर रोजगार तैयार कर सकती है.
बैंक खाते: SHGs के माध्यम से, करोड़ों महिलाएं बैंक खाते खोलकर वित्तीय सेवाओं और सरकारी योजनाओं का लाभ उठा रही है.
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सशक्तिकरण: SHGs में शामिल होने से महिलाएं अपनी सामाजिक स्थिति में सुधार कर रही है और अधिकारों की जानकारी भी प्राप्त कर रही है.
ग्रामीण अर्थव्यवस्था का सहयोग: SHG महिलाएं ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे व्यवसायों की स्थापना कर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को चलाने में भी सहायक बन रहीं है.
औद्योगिकीकरण: स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से महिलाएं औद्योगिकीकरण के क्षेत्र (rural women entrepreneur) में भी अधिक सक्रिय हो रही है. वह छोटे और मध्यम उद्योगों में अपने कार्यक्षेत्र को बढ़ा रही है.
ग्रामीण क्षेत्रों में महिला स्वयं सहायता समूहों के बढ़ते प्रभाव के कारण, भारतीय अर्थव्यवस्था को एक नई दिशा मिली है. इसके साथ भारत के आर्थिक संकेतकों में अब सुधार हुआ है, और देश की अर्थनीति अगले दशक में 5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था की दिशा में बढ़ रहा है. महिला स्वयं सहायता समूहों के साथ, भारत अपने लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है, और ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक स्वायत्तता और सामाजिक सशक्तिकरण का माध्यम प्रदान कर रहा है.