कहते है अगर एक महिला एक काम को करने का ठान ले तो उसे रोकना किसी के बस की बात नहीं होती. भारत में तो कुछ अलग ही जोश है महिलाओं में. इसी जूनून को देखकर 1972 में SEWA organisation का निर्माण किया गया था. इस नाम का full form है Self employed women association (SEWA). खुद का काम शुरू करने वाली महिलाओं का संगठन है SEWA.
Sewa Organisation ने स्थापित किया है Ruaab
Image credits: SEWA Ruaab
इसी association के तहत साल 2009 में एक और organisation स्तापित की गयी जिसमें आज 4.3 million कारीगर शामिल है. SEWA द्वारा 2009 में स्थापित SEWA Ruaab महिला कारीगरों को पारंपरिक रचनात्मकता को आधुनिक डिजाइनों में जोड़ने का अधिकार देता है.
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SEWA Ruaab पारंपरिक भारतीय बुनाई को प्रदर्शित करता है, जिसमें फुलिया, पश्चिम बंगाल और भागलपुर, बिहार की शिल्प कौशल पर जोर दिया गया है. महिला कारीगरों और उत्पादकों को सशक्त बनाते हुए, वे एक पारदर्शी और नैतिक परिधान मॉडल विकसित कर रहे हैं, जो उन्हें उचित रिटर्न और सार्थक रोजगार प्रदान कर रहा है.
ब्रांड का लक्ष्य माइक्रो-क्रेडिट, व्यावसायिक प्रशिक्षण और सामाजिक सुरक्षा लाभों के माध्यम से कारीगर महिलाओं के लिए सुरक्षित भविष्य को बढ़ावा देना है. SEWA Ruaab की महिलाएं जामदानी, चिकनकारी, आरी वर्क और अन्य शिल्पों का उपयोग करके उत्पाद बनाती हैं.
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लाखों महिलाएं जुड़ रही है SEWA Ruaab से
वर्तमान में, 4.3 मिलियन कारीगर इस पारंपरिक पेशे में लगे हुए हैं. SEWA Ruaab एक बेहतरीन garment sourcing और production model बनाने की दिशा में काम कर रहा है जिसे महिला कारीगर चला रही है. इसी कारण यह महिलाओं के लिए एक पारदर्शी और नैतिक वातावरण तैयार करता है.
इससे बिचौलियों का हस्तक्षेप समाप्त हो जाता है और यह भी सुनिश्चित है कि हमारी महिलाओं को उनका उचित हक मिले, जिसकी वे असली हकदार हैं. SEWA Ruaab का उद्देश्य कारीगर महिलाओं को सार्थक रोजगार प्रदान करना और उन्हें सूक्ष्म ऋण और पेंशन, सामाजिक सुरक्षा, व्यावसायिक प्रशिक्षण और बच्चों की शिक्षा, कानूनी सत्र और विभिन्न सरकारी योजनाओं से जुड़ाव जैसे लाभों के माध्यम से एक सुरक्षित भविष्य बनाने में सक्षम बनाना है.
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