भारत में महिला उद्यमिता को बढ़ाना क्यों ज़रूरी?

2014 में आयोजित छठी आर्थिक जनगणना के अनुसार, केवल 14% भारतीय महिलाएं व्यवसाय चलाती हैं. महिलाओं द्वारा चलाई जाने वाली 90% से अधिक कंपनियां microenterprises हैं, जिनमें से लगभग 79% self-financed हैं.

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रिसिका जोशी
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Female Entrepreneur percent

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भारत, सांस्कृतिक और सामाजिक विविधता के लिए प्रसिद्ध देश... और इस देश को सर्वोच्च बनाने के लिए महिलाओं का योगदान समृद्धि, विकास, और उनके दवारा चलाए जाने वाले बिज़नेस अत्यंत महत्वपूर्ण है. महिला उद्यमिता को बढ़ाना एक समर्थ राष्ट्र की दिशा में कदम बनेगा और आर्थिक संरचना में सुधार भी लाएगा. 

अपनी innovation और skill से युक्त, सामाजिक, आर्थिक, और तकनीकी क्षेत्रों में महिलाएं अपने उद्यमिता का प्रदर्शन कर रही हैं और इससे देश को वैश्विक मंच पर एक मजबूत और सुस्त दृष्टिकोण मिल रहा है. महिला उद्यमिता को बढ़ाना न केवल इस समय की मांग है, बल्कि यह एक बेहतर भविष्य की दिशा में हमारे समृद्धि और समाज में समंजस्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.

female entrepreneurs in india

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Female entrepreneurs के statistics

2014 में आयोजित Sixth Economic Census के अनुसार, केवल 14% भारतीय महिलाएं व्यवसाय चलाती हैं. महिलाओं द्वारा चलाई जाने वाली 90% से अधिक कंपनियां microenterprises हैं, जिनमें से लगभग 79% self-financed हैं. भारत में महिलाओं के लिए labor force participation rate 2017 में सिर्फ 27% थी, जो पुरुषों की तुलना में लगभग एक तिहाई थी.

NITI Aayog की annual report में कहा गया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में शहरी क्षेत्रों (18.42%) की तुलना में महिलाओं के स्वामित्व वाले उद्यमों की हिस्सेदारी थोड़ी अधिक (22.24%) है. इसके अलावा रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि महिला नेतृत्व वाले 82% बिज़नेस informal sector में केंद्रित हैं. रिपोर्ट में इस बात पर भी प्रकाश डाला गया है कि महिला उद्यमियों (women entrepreneurs in india) को ऋण तक सीमित पहुंच, क्षमता-निर्माण, जानकारी की कमी, नेटवर्किंग की अनुपस्थिति और low market linkages का सामना करना पड़ता है.

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Global Entrepreneurship Monitor (GIM) से पता चलता है कि भारत में महिलाओं के लिए average Total Early-stage Entrepreneurial Activity (TEA) दर केवल 2.6% है. महिलाओं के स्वामित्व वाले MMME (Micro, Small, and Medium Enterprises) का वितरण राज्यों में अलग है, जिसमें पश्चिम बंगाल में महिलाओं के नेतृत्व वाले MMME की हिस्सेदारी  23.42% है जो कि सबसे अधिक है.

संक्षेप में, डेटा indicate करता है कि भारत में महिला उद्यमियों (female entrepreneurs india) को विभिन्न चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, और जबकि शहरी क्षेत्रों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में महिला स्वामित्व वाले उद्यमों की हिस्सेदारी अधिक है.

महिला उद्यमिता की प्रमुख समस्या

महिला उद्यमियों को विभिन्न चुनौतियों (issues faced by female entrepreneurs) का सामना करना पड़ता है जो उनकी सफलता में बाधा बन सकती हैं. इसमे शामिल है:

फंडिंग प्राप्त करना: महिलाओं को अक्सर अपने व्यवसाय के लिए फंडिंग हासिल करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. इन्हे venture capital और दूसरे investors कभी-कभी अनुरोध की तुलना में कम स्तर की फंडिंग प्रदान करते हैं.

एक सहायता नेटवर्क का निर्माण: Established professional networks और सलाहकारों तक सीमित पहुंच female entrepreneurs की व्यवसाय वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण सहायता तक पहुंच में बाधा उत्पन्न कर सकती है.

top women entrepreneurs india

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Inadequacy की भावना और Fear of Failure: महिलाएं पिछले नकारात्मक अनुभवों या रिश्तों से उत्पन्न आत्म-संदेह से जूझती हैं, जो उनके entrepreneurial प्रयासों में उनके आत्मविश्वास को प्रभावित करता है.

कार्य-जीवन संतुलन (Work-Life Balance): व्यवसाय के स्वामित्व को घरेलू जिम्मेदारियों के साथ संतुलित करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है, विशेष रूप से working mothers के लिए, जिससे व्यवसाय पर परिवार को प्राथमिकता देती है महिलाएं.

Gender Biases और Social Expectations: महिलाओं को अक्सर biases और stereotypes का सामना करना पड़ता है, उन्हें व्यवसाय जगत में गंभीरता से लिए जाने और सम्मान अर्जित करने के लिए संघर्ष से भी गुज़ारना पड़ता है.

महिला उद्यमिता के उद्देश्य

महिला उद्यमिता का मुख्य उद्देश्य है समृद्धि, समाज में जेंडर बाधा को हटाना, और महिलाओं को आत्मनिर्भरता का मार्ग दिखाना है. इसके माध्यम से, समृद्धि की प्रक्रिया में सही दिशा में कदम बढ़ाया जा सकता है जिससे समाज में सामंजस्य बढ़े और उद्यमिता के क्षेत्र में समृद्धि हो.

Women entrepreneurship में self help groups की अहमियत

Self help groups (SHGs) समुदाय-आधारित संगठन हैं जो महिला उद्यमियों को सहायता और संसाधन प्रदान करते हैं. SHGs का गठन उन महिलाओं द्वारा किया जाता है जो अपने संसाधनों को एकत्रित करने, ज्ञान साझा करने और पारस्परिक सहायता प्रदान करने के लिए एक साथ आती हैं. एसएचजी कई तरीकों से महिला उद्यमियों की मदद कर सकते हैं:

फंडिंग तक पहुंच: SHG माइक्रोफाइनेंस और फंडिंग (microfinance institutions of india) के अन्य रूपों तक पहुंच प्रदान कर सकते हैं, जिसे पारंपरिक चैनलों के माध्यम से प्राप्त करना महिला उद्यमियों के लिए मुश्किल हो सकता है.

नेटवर्किंग और मेंटरशिप: Self help groups साथियों और सलाहकारों का एक सहायक नेटवर्क प्रदान कर अन्य संसाधनों के लिए सलाह, मार्गदर्शन और कनेक्शन प्रदान कर सकते हैं.

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प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण: Women SHGs उद्यमियों को व्यवसाय में सफल होने के लिए आवश्यक कौशल और ज्ञान विकसित करने में मदद करने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम देते है.

बाज़ार संपर्क: SHGs महिला उद्यमियों को बाज़ारों और ग्राहकों से जुड़ने में मदद करते हैं, जिससे उन्हें विकास और विस्तार के नए अवसर उपलब्ध होते हैं.

भारत में, SHG विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में महिला उद्यमिता को बढ़ावा देने में सफल रहे हैं. National Rural Livelihood Mission (NRLM) SHGs को बढ़ावा देने और ग्रामीण क्षेत्रों में महिला उद्यमियों को सहायता प्रदान करने में सहायक रहा है. NRLM ने देश भर में 8 मिलियन से अधिक SHGs स्थापित किए है, जिससे 100 मिलियन से अधिक महिलाओं को सहायता प्रदान की गई है.

Self help group के साथ जुड़ी महिलाओं के साथ उद्यमिता का landscape विकसित हो रहा है और महिलाएं इस परिवर्तन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं. भारत से लेकर वैश्विक मंच तक, ये महिला उद्यमी न केवल सफल व्यवसाय बल्कि अधिक inclusive और diverse entrepreneurial future का मार्ग प्रशस्त कर रहीं हैं.

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