बात है यहां महिलाओं के over all development की, उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की, Confident, Educated और उनकी Financial Freedom की.
World Bank के मुताबिक़ Indian महिलाएं पुरे India की अर्थवय्वस्ता में सिर्फ 17% to GDP ही अपना योगदान दें पा रहीं हैं.
इसके अनेक reasons हैं जैसे-
इस male dominated society में आज भी महिलाओं के काम को समझा और सराहा नहीं जाता. उनके काम की value नहीं होती.
अगर working वीमेन 9 to 5 की जॉब करती है, तब भी उनसे घर आकर, घर के काम करने की उम्मीद की जाती हैं.
21st century में भी महिलाओं को हर जग़ह अपने आप को prove करना पड़ता है हर बार. उनके काम को seriously नहीं लिया जाता. महिलाएं इस पुरुष प्रधान समाज में काम के सिलसिले में public travel करने में भी सुरक्षित feel नहीं करतीं. ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को सिर्फ चूल्हा-चौका संभालने के नज़रिये से देखा जाता हैं.
इसी रूढ़िवादी मानसिकता को पुरुष प्रधान समाज से हटाने और महिलाओं के workforce participation को आगे बढ़ाने के लिए, सरकार हर field में schemes launch कर रहीं हैं.
PM Jan Dhan योजना
यह scheme सुनिश्चित करती हैं financial participation .पर इस scheme का सबसे ज़ायदा फ़ायदा महिलाओं को मिला हैं. इसी के कारन आज महिलाओं ने अपने bank accounts open करवाए और वित्तीय सेवाओं का लाभ ले रहीं हैं. यह scheme financial progress को दर्शाती हैं. Digital India को मुमक़िन बनाने में इस स्कीम ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है.
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Deendayal Antyodaya Yojana - National Rural Livelihood Mission (DAY-NRLM)
महिलाओं को ग़रीबी से बाहर निकालने के लिए आय के स्त्रोत generation में यह scheme मदद करती है . Women empowerment और महिलाओं की education इस पहल का main motto है. आज बहुत सारी महिला self help groups NRLM के तहत Financially literate बन रही है.
Skill India Mission, Startup, Stand-Up India
सभी ने Shark tank India ज़रूर देखा होगा. परन्तु उसके पहले से ही सरकार महिलाओं को अपना business शुरू करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है. इन योजनाओं का main purpose है महिलाओं की भागेदारी human capital formation में बढ़ाना. इसी को ensure करने और महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए, सरकार महिला start-ups को ब्याज free bank loans उपलब्ध करवा कर subsidies प्रदान करतीं हैं. MSME (Ministry of Small and Medium Enterprise) की schemes भी इसी प्रकार से बनीं है और महिलाओं के businesses को आगे बढ़ाने में अपना योगदान दे रहीं हैं.
महिलाओं के नेतृत्व में Self Help Groups
1991 में पहला SHG बना था और आज 2024 में 1.2 crore महिला SHGs active है. इन SHGs ने बहुत ही positive impact किया है देश की महिलाओं पर. आज SHGs से जुड़ीं महिलाएं socially और politically empowered महसूस करतीं है. सारे Financial decision-making process में पूर्ण रूप से हिस्सा लेतीं है. SHGs सिर्फ एक पैसा कमाने का ज़रिया नहीं बल्कि ये महिलाओं का स्वावलंबित होकर समाज में सर उठा कर चलने का साधन भी है.
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नारी शक्ति वंदन अधिनियम (NSVA )- Women's Reservation Bill
यह bill का main aim है महिलाओं का पंचायत और governance में participation सुरक्षित करना. इसी के लिए Parliament में यह बिल पेश हुआ और उन्हें one-third reservation देने की मांग रखी गई. यह बिल भारत की G-20 Presidency का भी एक महत्वपूर्ण विषय रहा. Reservation महिलाओं की महिलाओं द्वारा demands और देश को बेहतर बनाने के लिए लाया गया हैं. इससे women empowerment को एक नई दिशा मिलेगी.
महिला welfare schemes:
Swachh Bharat mission
महिलाओं के लिए वरदान साबित हुआ है. इस scheme के ज़रिये आज महिलाएं साफ़ और बीमारी मुक्त पर्यावरण में अपने कार्य कर रहीं. Swachh bharat mission ने महिलाओं के लिए employment generation का कार्य कर उन्हें independent भी बनाया है.
Pink auto और Pink buses
इस initiative के ज़रिये सरकार आज कई राज्यों में पिंक auto और buses चलवा रहीं हैं. ये ऑटो और buses महिलाओं द्वारा चलाये जाते हैं. इस Scheme से सरकार women safety और empowerment को promote करने का प्रयास कर रही है.
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Jal jeevan mission
यह मिशन साफ़ जल और जल के स्त्रोत को साफ़ रखने में मदद करता है.जल के लिए सबसे ज़ायदा लम्बी क़तार में महिलाओं को ही लगते हुए देखा है, इसी को ध्यान में रख कर साफ़ पानी के Connections हर घर में पहुंचाने का मिशन तैयार किया गया.
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ
इस scheme से सरकार ने महिलाओं को quality education देने की नींव रखी. इस मिशन के launch होने के बाद स्कूलों में GER (Gross Enrollment Ratio) में वृद्धि देखी गई. महिलाओं का शिक्षित होना आज के युग में बेहद ज़रूरी है. इस scheme के तहत सरकार लड़कियों का secondry education में दाख़िल होना पक्का करती है. बेटी बचाओ के माध्यम से यह ensure करतीं है की sex ratio difference कम हो और बेटियों को हर प्रकार की awareness हो.
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उपरोक्त पहलों ने फल दिखाना शुरू कर दिए हैं, जिसके Women labour force का participation (LFPR) 2017-18 में 23.3 % से 2022-23 में 37 % तक बढ़ गई है. जन्म पर लिंग अनुपात में सुधार 2014-15 में 918 से 2022-23 में 933 तक हुआ है, और maternal mortality rate को कम किया गया और 2014-16 में 130/लाख जीवित जन्मों से 2018-20 में 97/लाख जीवित जन्मों तक.
भारत आज पांचवें number की economy है पुरे विश्व में. महिलाओं की भागेदारी के साथ ये रैंकिंग और ऊँचे rank पर पहुंचेगी. इसी के लिए सरकार भी हर कोशिश कर रही है. महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए ऐसी बहुत सारी पहल हैं जो आज उन्हें हर sector में आगे बड़ा रहीं हैं.