क्लाइमेट स्मार्ट खेती से कितुई महिलाएं बन रहीं सशक्त

केन्या का कितुई गरीबी और भुखमरी के लिए पहचाना जाता था. पर अब नहीं. कितुई में क्लाइमेट-स्मार्ट खेती सस्टेनेबल रोज़गार का ज़रिया बन रही है. महिलाएं आर्थिक आज़ादी हासिल करने और अपने समुदायों के विकास के लिए नई तकनीकें अपना रही हैं.  

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मिस्बाह
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Kitui kenya SHG women

Image Credits: Nation.africa

केन्या (Kenya) का कितुई (Kitui) गरीबी और भुखमरी के लिए पहचाना जाता था. पर अब नहीं. कितुई में (climate-smart farming) क्लाइमेट-स्मार्ट खेती सस्टेनेबल रोज़गार का (sustainable livelihood) ज़रिया बन रही है. महिलाएं (financial empowerment) आर्थिक आज़ादी हासिल करने और अपने समुदायों के विकास के लिए नई तकनीकें अपना रही हैं.  कठोर जलवायु परिस्थितियों और सूखे वातावरण से निपटने के लिए, महिलाओं ने (crop diversification) क्रॉप डायवर्सिफिकेशन, (water conservation) जल संरक्षण और (sustainable land management) सस्टेनेबल लैंड मैनेजमेंट जैसे जलवायु-लचीले तरीकों को अपनाया. ये तकनीकें न केवल (agricultural productivity) कृषि उत्पादकता बढ़ाती हैं, बल्कि परिवारों और  समुदायों के लिए (food security) खाद्य सुरक्षा भी सुनिश्चित करती हैं.

UN वीमेन और FAO ने किया जेंडर रिस्पॉन्सिव प्रोजेक्ट शुरू 

संयुक्त राष्ट्र महिला (UN Women) और (Food and Agriculture Organization) खाद्य एवं कृषि संगठन (Food and Agriculture Organization) ने अपने चार साल के जेंडर रिस्पॉन्सिव प्रोजेक्ट के ज़रिये हो रहे (positive changes) सकारात्मक बदलाव में अहम भूमिका निभाई. यह पहल महिलाओं को बदलते (climate) क्लाइमेट के अनुसार नई कृषि पद्धतियों को अपनाने के लिए (training) ट्रेनिंग और (support) सहायता देती है. परियोजना के तहत, महिलाएं बकरी पालन, किचन गार्डन, मुर्गी पालन और मधुमक्खी पालन जैसे छोटे व्यवसायों के ज़रिये (economic empowerment) आर्थिक रूप से सशक्त बन रही हैं.

कावेलु फार्मर्स सेल्फ हेल्प ग्रुप से जुड़कर क्लाइमेट स्मार्ट खेती को दे रहीं बढ़ावा 

कावेलु फार्मर्स सेल्फ हेल्प ग्रुप Kavelu Farmers Self-Help Group) से जुड़कर करीब 40 महिलाएं (business management) बिज़नेस मैनेजमेंट, (bookkeeping) बुक कीपिंग, (climate-smart farming techniques) क्लाइमेट स्मार्ट खेती तकनीकें, और  लीडरशिप में (training) ट्रेनिंग हासिल कर रही हैं. प्रोजेक्ट का हिस्सा रही जेन ने किचन गार्डन शुरू कर वहां के वातावरण में आसानी से उगने वाली सब्ज़ियां और (medicinal plants) जड़ी-बूटियां लगाईं. इन सब्ज़ियों को स्थानीय बाज़ार में बेच वह  आजीविका कमा रही है. जेन का बगीचा उनके परिवार को ताज़ा, पौष्टिक भोजन भी देता है.

ये सशक्त महिलाएं अपने समुदायों और किसानों को (climate-resilient farming practices) टिकाऊ कृषि पद्धतियों के लिए जागरूक कर रही हैं. इनकी वजह से कई किसानों ने जलवायु-स्मार्ट तकनीकें को अपनाया है. भुखमरी और गरीबी के लिए पहचाने जाने वाला कितुई आज क्लाइमेट स्मार्ट खेती के ज़रिये सशक्तिकरण और बदलाव की कहानी लिख रहा है. क्लाइमेट चेंज सिर्फ केन्या की नहीं,  पूरी दुनिया के लिए चुनौती है.  क्लाइमेट स्मार्ट खेती के ज़रिये इस परेशानी का समाधान निकला जा सकता है.

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