भारत के उत्तर-पूर्वी राज्य मणिपुर में भड़की जातीय हिंसा (Manipur Violence) ने रोज़मर्रा के जीवन को काफी प्रभावित किया. इस हिंसा की वजह से राज्य की स्वयं सहायता समूह (Self Help Groups) से जुड़ी महिलाओं को भी कई चुनौतियों और परेशानियों का सामना करना पड़ा.
हिंसा के बाद 3,500 SHG महिलाएं राहत शिविरों में रहने के लिए मजबूर
मणिपुर राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (MSRLM) की राज्य मिशन निदेशक एन बंदना देवी ने तीन अधिकारियों के साथ राजभवन में मणिपुर की राज्यपाल अनुसुइया उइके से मुलाकात की और राहत शिविरों में महिलाओं की स्थिति पर चर्चा की.
उन्होंने राज्यपाल को बताया कि 3 मई को हुई हिंसा की वजह से महिला स्वयं सहायता समूहों की लगभग 3,500 सदस्य प्रभावित हुई हैं और वे अलग-अलग राहत शिविरों में रह रही हैं.
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राहत शिविरों में प्रशिक्षण कार्यक्रम हुआ आयोजित
उन्होंने कहा, MSRLM ने लोगों की आजीविका बढ़ाने के मिशन के साथ राहत शिविरों में प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए और लगभग 2 हज़ार लोगों को मैन्युफैक्चरिंग स्किल्स के साथ प्रशिक्षित किया गया. राहत शिविरों में बने उत्पादों की बिक्री के लिए मेले का आयोजन किया जायेगा.
राज्यपाल ने MSRLM टीम द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना करते हुए कहा, शिविरों में IDP को समर्थन देने के लिए हर संभव प्रयास किए जाने चाहिए.
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भारतीय रेड क्रॉस सोसाइटी जैसी एजेंसियों के सहयोग से, IDP को स्वच्छता किट, किचन सेट, मच्छरदानी, कंबल आदि जैसी राहत सामग्री वितरित की गई. राज्यपाल ने कहा कि अब IDP के लिए आजीविका के साधनों पर ध्यान देना ज़रूरी है.
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