ज़िले में कोई एक या दो महिला नहीं बल्कि बड़ी संख्या में ऐसे कारोबार में उतरी जिसे अमूमन महिलाएं करने से कतराती हैं.अपने मेहनत के बल पर इन महिलाओं ने आवास निर्माण के साथ आसरा ढूंढ लिया.
सप्लाई के लिए पड़े मटेरियल के साथ समूह सदस्य -Image :Ravivar
मजदूरी करने पर विवश सरस्वती बाई कहती है- "मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि समूह से जुड़ने के बाद हमारी आर्थिक स्थिति बढ़िया होगी.हमने पीएम आवास निर्माण में सामान सप्लाई किया.उससे कमाई से हमारी दशा सुधर गई." छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले में self help group की महिलाओं को खास तरह के काम से जोड़ा और Ajeevika Mission Bihan के जरिए मदद मिली.
संभाल रहीं मटेरियल सप्लाई का हिसाब किताब
Ajeevika Mission के अधिकारियों ने जिले के 5 ब्लॉक अंतर्गत 974 self help group को Bihan की योजना से जोड़ दिया. समूह से जुड़ी गुरुवारी बाई कहती हैं-" मैंने सेंट्रिंग प्लेट,ईंट,गिट्टी आदि की सप्लाई की.इस मटेरियल का हिसाब किताब भी रखना सीखा.और समूह को होने वाली कमाई भी बताती.मेरे परिवार में सभी खुश हैं.मैं घर चलाने में सक्षम हो गई." जिले में ही अलग-अलग गांव में चल रहे निर्माण कार्य से महिलाएं लगातार village organizations के साथ जुड़कर काम कर रहीं.
ट्रेक्टर ट्राली से मटेरियल भेजने के लिए तैयार समूह सदस्य -Image :Ravivar
इसी जिले की सीता बाई बताती है -"मैं पहले कभी घर से निकली ही नहीं.स्वयं सहायता समूह की सदस्य बनने के बाद मुझे हिम्मत आ गई. मटेरियल सप्लाई से मुझे आमदानी हो रही.ख़ुशी है कि मैं समूह में Lakhpati Didi की श्रेणी में आ गई."
500 से अधिक महिलाएं बन गईं lakhpati didi
जांजगीर-चांपा जिले में यह योजना वरदान साबित हुई.Ajeevika Mission Bihan के DPM RL Namdev बताते हैं-"जिले में 974 समूह संगठनों के माध्यम से एक हज़ार 916 दीदियां जुड़ीं. PM Awas के काम में 1373 महिलाओं को मटेरियल सप्लाई का काम मिल गया. खास बात यह है कि इनमें 443 महिलाओं ने बेहतर काम किया और lakhapti didi की श्रेणी में भी शामिल हो गईं." जिले में लगातार बिहान के माध्यम से काम SHG को दिलाए जा रहे. जिले के DMM Upendra Jain कहते हैं-"जिले में महिलाओं को 684 .68 lakh रुपए का लोन दिलवाया गया.इसकी मदद से समूह सदस्य मटेरियल खरीद कर आगे सप्लाई कर सकीं.इसमें महिलाओं ने 183 .73 लाख रुपए कमाए." पीएम आवास योजना में अभी तक लगभग 450 आवास बन चुके हैं.