किसी समय कीमती गहने गिरवी रखने वाली महिला ने सिलाई के हूनर से समूह में सम्मान पा लिया.मेहनत के बल पर आज यही महिला मिसाल बन गई. लगातार काम करते हुए अब नई पहचान बनाने में जुटी है यह महिला.
समूह की बैठक में हिस्सा लेते सदस्य और अभिलाषा -Image :Ravivar
घर के हालात इतने ख़राब हुए कि कीमती गहने भी गिरवी रखने पड़े. नरसिंहपुर ज़िले के करेली ब्लॉक अंतर्गत रामपिपरिया गांव की अभिलाषा महाल ने अपनी मेहनत से नया मुकाम हासिल किया और गहने भी छुड़ाए. Ajeevika Mission के साथ जीने की नई राह मिल गई.
समूह में महिलाओं के लिए रोल मॉडल
करेली ब्लॉक के रामपिपरिया की रहने वाली अभिलाषा महाल कहती हैं-" परिवार की आर्थिक स्थिति बिलकुल अच्छी नहीं थी.पति ब्रजेश को भी काम नहीं मिल रहा था.हमने बजरंग स्वयं सहायता समूह बनाया.शुरुआत में दस हज़ार का लोन लेकर पुरानी सिलाई मशीन से काम शुरू किया.स्कूल यूनिफॉर्म सिलाई का काम मिल गया.धीरे-धीरे काम और पैसा मिलने लगा." समूह के काम को देखते हुए शिव शक्ति संकुल संगठन चिनकी में शामिल किया.
गांव गांव जाकर बैठक में हिस्सा लेते हुए -Image :Ravivar
करेली Ajeevika Mission में block manager Pramod Pare बताते हैं- "अभिलाषा ने अपनी मेहनत से समूह को पहचान दिलाई.स्थानीय बाजार के व्यापारियों से भी कपड़ा लेकर डिमांड अनुसार काम मिला जिससे अभिलाषा की आर्थिक स्थिति में सुधार हो गया." अभिलाषा self help group के साथ संकुल में अन्य महिलाओं के लिए रोल मॉडल बन गई.
मिशन के साथ लिखी ज़िंदगी की सफलता
अभिलाषा ने दीपक village organizations में भी पानी जगह बनाई.मिशन के साथ भरोसा जीता.लोन समय पर उतारा.
सिलाई का काम करते हुए अभिलाषा -Image :Ravivar
नरसिंहपुर Ajeevika Mission के DPM (District Project Manager) Meena Parte बताती हैं-" बजरंग समूह की अभिलाषा को दूसरा लोन 45 हज़ार का दिलवाया.इससे उनके पति ब्रजेश के लिए बाइक खरीद ली और राजमिस्त्री का काम मिल गया. समूह की अन्य महिलाएं भी अपने रोजगार से जुड़ गईं." SHG की गतिविधि से अभिलाषा को प्रति माह लगभग दस हज़ार रुपए महीने की इनकम शुरू हो गई. अभिलाषा के अनुसार अब वह समाज और गांव में सम्मान की ज़िदगी ज़ी रही.