जब खेलना भी गुनाह बन जाए — Radhika Yadav की हत्या और भारत की बेटियों का संघर्ष

25 साल की टेनिस खिलाड़ी Radhika Yadav की उनके ही पिता ने Gurugram में गोली मारकर हत्या कर दी। यह मामला महिलाओं की स्वतंत्रता और पितृसत्ता की टकराहट को उजागर करता है।

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रिसिका जोशी
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Image credits: Google Images

एक बार ज़रा crime against women , या फिर women murder या फिर crime against girls गूगल पर जा कर सर्च कीजियेगा, इतने आर्टिकल्स और वीडियोस आ जाएंगे जिन्हे पढ़ते पढ़े आप थक जाएंगे लेकिन आर्टिकल्स नहीं खत्म होंगे. ऐसा ही एक और क्राइम सामने आया है, जिसे देख कर इंसानियत पर से यकीन ही उठ जाता है.

Tennis player Radhika Yadav की पिता ने गोली मारकर की हत्या

25 साल की Gurugram में रहने वाली Radhika Yadav, एक राज्य स्तरीय टेनिस खिलाड़ी, एक कोच, और अपने दम पर खड़ी हुई युवा महिला थी. लेकिन उनके पिता को ये सब ‘बर्दाश्त’ नहीं हुआ.10 जुलाई 2025 को, Gurugram स्थित अपने ही घर में, Radhika की उनके पिता द्वारा गोली मारकर हत्या कर दी गई. वजह? समाज की नजरों में उनकी बेटी की कमाई, उसका आत्मनिर्भर होना, और शायद उसका "ज़्यादा आगे बढ़ जाना".

Radhika अकेली नहीं थी — हजारों बेटियां हर दिन ‘ना’ सुनती हैं

Radhika की मौत एक headline बन गई, लेकिन ऐसी कहानियाँ हर गली, हर गाँव और हर घर में मौजूद हैं, बस अखबार तक नहीं पहुंचतीं. हर साल ना जाने कितने crime (crime against girls) सामने आते है. लेकिन आज भी अगर पुरुषों के प्रति कोई अपराध सामने आ जाए तो उसे पूरे देश में फैलने में देर नहीं लगती. लेकिन ज़रा देखते है महिलाओं के प्रति क्या crime rates है-

आंकड़े क्या कहते हैं?

  1. UNICEF की रिपोर्ट (2023) के अनुसार, भारत में 14 से 18 वर्ष की उम्र की 47% लड़कियाँ नियमित रूप से किसी भी प्रकार का खेल नहीं खेलतीं, क्योंकि उन्हें अनुमति नहीं है या संसाधन नहीं हैं.

  2. Sports Authority of India (SAI) के अनुसार, देश के केवल 20% स्कूलों में ही लड़कियों के लिए स्पोर्ट्स फैसिलिटी उपलब्ध है.

  3. National Family Health Survey (NFHS-5) में बताया गया कि ग्रामीण भारत की 39% लड़कियाँ शिक्षा या खेल से वंचित हैं, सिर्फ इसलिए क्योंकि घरवाले मानते हैं कि "लड़कियों के लिए नहीं है ये सब".

  4. एक NGO Breakthrough India के अध्ययन में पाया गया कि 63% लड़कियों को कभी न कभी खेल या सार्वजनिक स्थानों पर जाने से रोका गया है, “इज्ज़त” की आड़ में.

खेलना “बदतमीज़ी” है? या फिर लड़की का bold होना ही अपमान है?

जब बेटियां खेलती हैं, वो सिर्फ physical fitness नहीं बढ़ातीं — वो आज़ादी को जीती हैं. शायद यही वजह है कि उन्हें रोका जाता है. Radhika के केस में शुरुआत में ये कहा गया कि पिता reels से नाखुश था. फिर पता चला कि उसने अकादमी बंद करने को कहा था, क्योंकि "लोग क्या कहेंगे". उनकी बेटी का successful होना, उसकी social visibility, एक पिता की ‘मर्दानगी’ पर चोट थी. क्या आज भी एक लड़की की पहचान उसके पंख नहीं, उसके पिंजरे से तय होती है?

जब सफलता शर्म बन जाए — ये कैसा समाज है?

एक पिता ने बेटी को इसलिए मार डाला क्योंकि वह ख़ुद से ज़्यादा सफल थी. ये घटना सिर्फ एक घर की tragedy नहीं है — ये एक warning है कि हमारा समाज लड़कियों की तरक्की को अब भी एक 'धमकी' मानता है.

जब बेटियाँ जीतने लगती हैं...

  • उन्हें "बहुत बोलने वाली" कहा जाता है.

  • "बहुत बाहर जाने वाली" कहकर बदनाम किया जाता है.

  • और अंत में, उन्हें खत्म कर देने की कोशिश की जाती है.

Ravivar Vichar की राय: ये हत्या नहीं, एक सांस्कृतिक अपराध है

Radhika की मौत को हम “घरेलू विवाद” नहीं कह सकते. ये उस patriarchal सोच का चरम था जो लड़की की आज़ादी को बर्दाश्त नहीं कर पाती.

इस देश में लड़कियों को खेलने, बाहर निकलने, अपना करियर बनाने के लिए इतनी लड़ाई क्यों लड़नी पड़ती है?

क्या ये जरूरी नहीं है कि:

  • हर स्कूल में लड़कियों के लिए अनिवार्य खेल शिक्षा हो?

  • गांवों और कस्बों में लड़कियों के लिए अलग से स्पोर्ट्स फंड बने?

  • महिला एथलीट्स की mentoring के लिए महिला अधिकारियों की नियुक्ति हो?

Radhika अब कभी कोचिंग नहीं देगी, न वो कोई बच्ची को ग्राउंड में serve सिखाएगी, न ही उसकी मुस्कान फिर कोर्ट पर दिखेगी. लेकिन उसका सपना — एक ऐसी दुनिया का सपना जहां बेटियां खेलने से डरें नहीं — वो सपना हमें ज़िंदा रखना है

FAQs:

Q1: Radhika Yadav कौन थीं?
A: वह एक राज्य स्तरीय टेनिस खिलाड़ी थीं, जिन्होंने बाद में गुरुग्राम में अपनी खुद की टेनिस अकादमी शुरू की थी.

Q2: Radhika की हत्या क्यों की गई?
A: प्रारंभिक खबरों के अनुसार Instagram reels और संगीत वीडियो कारण बताया गया, लेकिन पुलिस ने स्पष्ट किया कि असली वजह सामाजिक तानों और बेटी की तरक्की को लेकर पिता की कुंठा थी.

Q3: भारत में कितनी लड़कियों को खेल खेलने से रोका जाता है?
A: UNICEF के अनुसार, 47% adolescent लड़कियाँ नियमित रूप से खेल नहीं खेल पातीं — सामाजिक वर्जनाओं के कारण.

Q4: सरकार क्या कर रही है महिला खिलाड़ियों के लिए?
A: Sports Authority of India और Khelo India जैसे कार्यक्रम चल रहे हैं, लेकिन ज़मीनी स्तर पर जागरूकता और सहूलियत अब भी बेहद सीमित है.

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