समावेशी विकास (overall development) का लक्ष्य पूरा करने के लिए कई देश महिला सशक्तिकरण (women empowerment) और ग्रामीण विकास (rural development) पर ध्यान दे रहे हैं. उज़्बेकिस्तान (Uzbekistan) और किर्गिस्तान (Kyrgyzstan) में भी इसके उदाहरण देखने को मिले. संयुक्त राष्ट्र (United Nations) के खाद्य और कृषि संगठन (FAO) ने उज़्बेकिस्तान और किर्गिस्तान के ग्रामीण लोगों की आय बढ़ाने के लिए उन्हें नए कृषि उपकरण सौंपे (new agricultural equipment).
किर्गिस्तान और उज़्बेकिस्तान में महिलाओं को मिली मदद
यह सहायता FAO और संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA) की संयुक्त परियोजना 'किर्गिस्तान और उज़्बेकिस्तान के सीमावर्ती क्षेत्रों में सहयोग के माध्यम से साझा समृद्धि' (Shared prosperity through cooperation in border regions of Kyrgyzstan and Uzbekistan) के अंतर्गत लागू की गई थी. इसे संयुक्त राष्ट्र महासचिव के शांति निर्माण कोष द्वारा फंड (UN Secretary-General's Peacebuilding Fund) किया गया है.
इस परियोजना का लक्ष्य किर्गिस्तान और उज़्बेकिस्तान के वंचित समुदायों में महिलाओं और युवाओं को सशक्त बनाना है. फ़रगना घाटी (Fergana Valley) में कृषि और दूसरे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाकर दोनों राज्यों के संबंधों को मजबूत किया जायेगा.
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अंदिजान क्षेत्र (Andijan region) के मरखमत जिले (Markhamat district) और नामंगन क्षेत्र (Namangan region) के कसानसे (Kasansay) और यांगीकुर्गन जिलों (Yangikurgan districts) के ग्रामीण लोगों को सहायता दी गई है.
FAO ने परियोजना के तहत गठित परिवारों और स्वयं सहायता समूहों (Self Help groups) को 27 मिल्क सेप्रेटर्स (milk separators) और पांच रेफ्रिजरेटर सहित डेयरी उत्पाद (dairy products) तैयार करने के लिए ज़रूरी उपकरण दिए. सामाजिक-आर्थिक सहायता (socio-economic support) के अलावा, स्वयं सहायता समूहों (SHG) को एक मोटर कल्टीवेटर और मीट मिनसर भी दिया गया.
500 से ज़्यादा लाभार्थियों को रोज़गार शुरु करने के लिए मिली सहायता
कुल मिलाकर, 500 से ज़्यादा लाभार्थियों को FAO से 39 सेपरेटर, 15 मोटर कल्टीवेटर, पांच रेफ्रिजरेटर, एक स्प्रेयर और एक मीट मिन्सर दिए गए. साथ ही, फलों के बगीचों के लिए 5,850 पौधे, दस टन आलू बीज और 24,000 सब्जियों के पौधे बांटे.
स्वयं सहायता समूहों (women SHG) को मिला ये समर्थन उन्हें सशक्त बनाने और आर्थिक रूप से मज़बूत बनाने में मदद करेगा. उज़्बेकिस्तान और किर्गिस्तान में की गई ये पहल दूसरे देशों के लिए उदाहरण है.