मलावी (malawi), दक्षिणपूर्वी अफ़्रीका (Africa) का देश विविध वाइल्डलाइफ और बीच रिसोर्ट के लिए जाना जाता है. लेकिन, यहां बेस लोगों को गरीबी जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.
मलावी के 70% से ज़्यादा लोग प्रति दिन $1.90 की अंतर्राष्ट्रीय गरीबी रेखा से नीचे रहते हैं. करीब 35% लोग मध्यम से गंभीर खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे हैं. कई लोग जीवित रहने के लिए छोटे पैमाने की खेती और रचनात्मक उद्यमिता का सहारा ले रहे हैं. लेकिन, क्लाइमेट चेंज और सही जानकारी न होने की वजह से कई चुनौतियों का सामना करने पर मजबूर हैं.
ELDS की महिलाओं ने बदलाव लाने के लिए बनाये स्वयं सहायता समूह
स्थानीय लोगों, खासकर महिलाओं की उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए वर्ल्ड हंगर (World Hunger) के समर्थन से, ELDS की महिलाओं ने एक-दूसरे से सीखने, एक-दूसरे का समर्थन करने और एक साथ सफलता हासिल करने के लिए 'स्वयं सहायता समूह' (SHG) बनाये. इवेंजेलिकल लूथरन डेवलपमेंट सर्विस (ELDS) ग्रामीण महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए काम करती है.
समूह से जुड़ी सदस्य एल्यूब ने समूह से जुड़कर क्रॉप रोटेशन और वॉटर रिटेंशन के तरीके सीखे. एल्यूब बताती है, “स्वयं सहायता समूह में शामिल होने से पहले पैदावार इतनी नहीं थी और कुपोषण भी काफी था. कई बार घर में खाना नहीं रहता था. ELDS की मदद से फसल लगभग दोगुनी हो चुकी है."
छोटे ऋण के ज़रिये शुरू किया रोज़गार
इसके अलावा, स्वयं सहायता समूह (self help group) महिलाओं को उन ऋणों तक पहुंच प्रदान करते हैं जो वे पारंपरिक बैंकों के ज़रिये प्राप्त नहीं कर पातीं. एक छोटे से ऋण ने एल्यूब को अपनी गाय खरीदने में मदद की, जिससे अतिरिक्त आय का अवसर मिला.
एलुबे की पड़ोसी, हिल्डा ने बकाली में एक दुकान खोलने के लिए ऋण का इस्तेमाल किया. हिल्डा ने बताया, "दुकान से होने वाले मुनाफे से मैं अपने परिवार के लिए भोजन, स्कूल की फीस और कपड़े जैसी ज़रूरतें पूरी कर पा रही हूं."
Image Credits: Naomi Mike
लैंगिक न्याय को भी बढ़ावा दे रहे मलावी के SHG
स्वयं सहायता समूहों से मिलने वाले फायदे भोजन, आमदनी और आश्रय जैसी ज़रूरतों को पूरा करने से कहीं ज़्यादा हैं. समूह उन महिलाओं को अवसर प्रदान करके लैंगिक न्याय को बढ़ावा देते हैं जो अक्सर भेदभाव की वजह से इन अवसरों से वंचित रह जाती हैं. समूहों के भीतर, बकाली से लेकर मुलिके तक की महिलाएं अपनी वित्तीय स्वतंत्रता (financial freedom) बढ़ाती हैं और आज और भविष्य की पीढ़ियों के लिए अपने समुदायों को बदलने के लिए मिलकर काम करती हैं.
इन समूहों के ज़रिये मलावी की महिलाओं ने अपने जीवन स्तर में सुधार लाने की ज़िम्मेदारी खुद उठाई. एक दूसरे से मिले साथ के ज़रिये वे अपने समुदायों में सामान और बेहतर कल की उम्मीद जगा रही हैं.
आज दुनियाभर में 46 देशों में 49 मिलियन लोग भुखमरी और गरीबी का सामना कर रहे हैं. समुदाय से जुड़े लोग अपनी परेशानी, संसाधन, और समाधान के बारे में बहतर समझ रखते हैं. ऐसे में, स्वयं सहायता समूह के ज़रिये वे एकजुट होकर, इन चुनौतियों का समाधान ढूंढ सकते हैं.