नए साल की नई शुरुआत 'Chivalry' के साथ

चलिए अपने इस साल के 'resolution' के नाम पर हम लोग 'chivalry', यानी कि पुरुषों का महिलाओं के प्रति जो शिष्टाचार है उसे फ़िर से लिखें. पुरानी पड़ चुकी है यह शिवल्री. बहुत पुराने ज़माने से चली आई है.

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मैत्री
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चलिए 2023 भी निकल गया और 2024 आ गया. एक बार फ़िर एक साल ऐसा लगा जैसे पलक झपकते ही निकल गया. इस वक्त के रुकने ठहरने की इस प्रक्रिया में जैसे कोविड़ का बड़ा हाथ रहा हो. जितना धीमे जितना सरक सरक कर 2020 और 2021 निकला था, 2022 और 2023 उतने ही फराटे से मानो दौड़ सा गया. और अब आया है 2024.

अब क्योंकि नया साल आ गया है तो एक नई शुरुआत तो बनती है. कई सारे लोग ख़ुद से वादे करते हैं जिसे अंग्रेजी में 'resolution' कहा जाता है. कई लोग सोचते हैं कि इस साल सुबह जल्दी उठेंगे, व्यायाम करेंगे, घूमने फिरने ज्यादा जाएंगे, अपनी सेहत पर ध्यान देंगे और भी कई चीज़ें. अब इनमें से लगभग 99% वादे तो जनवरी के पहले या दूसरे हफ़्ते में ही दम तोड़ देते हैं. लेकिन कुछ लोग हैं जो इन बातों को अंत तक निभा ले जाते हैं.

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 शायद आपने भी अपने आप से कोई वादा किया होगा. कैसा रहेगा कि रविवार के पाठक भी नए साल के उपलक्ष पर एक सामूहिक वादा करें! बहुत सोचा कि क्या हो सकता है यह एक सामूहिक वादा? तो सोचा कि कुछ बहुत ज़्यादा मुश्किल नहीं होना चाहिए. ना तो इसे याद रखना मुश्किल होना चाहिए ना ही कर पाना ज़रा सा बदलाव यहां वहां और नतीजा भरपूर आना चाहिए.

नए साल का नया resolution है chivalry को redefine करने का

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Image credits: The Michigan Daily

चलिए अपने इस साल के 'resolution' के नाम पर हम लोग 'chivalry', यानी कि पुरुषों का महिलाओं के प्रति जो शिष्टाचार है उसे फ़िर से लिखें. पुरानी पड़ चुकी है यह chivalry. बहुत पुराने ज़माने से चली आई है. उस वक्त शायद ठीक रही भी हो लेकिन आज बड़ी अटपटी सी लगती है. अब कैसी दिखती है यह chivalry.

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कभी किसी पुरुष ने किसी महिला के लिए गाड़ी का या किसी कमरे का दरवाजा खोल दिया, साथ में खाना खाने गए तो कुर्सी खींच कर महिला को पहले बैठने का आग्रह किया, कहीं साथ में गए तो हर खर्चा खुद ही किया. यह कुछ नमूने हैं, कुछ उदाहरण हैं chivalry के. अब देखिए हो सकता है कि 15वीं और 16वीं शताब्दी में दुनिया के कुछ हिस्सों में कम से कम यह फिट बैठते हों, लेकिन 21वीं सदी में कुछ जंचते नहीं हैं ये तरीके.

तो पुरुष ऐसा क्या करें कि वह महिलाओं के प्रति अपने मन में जो आदर है वह दिखा सकें, शिष्टाचार को बनाए रख सकें. इसका भी जवाब है हमारे पास. Chivalry सिर्फ दरवाज़ा खोलने या कुर्सी खींचने का नाम नहीं. शिष्टाचार बिल भर देने से बहुत आगे की चीज़ है. यकीन मानिए महिलाएं अपने लिए ख़ुद दरवाज़ा खोल सकती हैं, कुर्सी खींच कर ख़ुद बैठ सकती हैं और अपना खर्चा ख़ुद उठा सकती हैं. तो ऐसे में कौन से वह तरीके हैं जो इस रूढ़िवादी शिवल्री को रिप्लेस कर सकें.

ये तरीके करेंगे रुढ़िवादी सोच को रिप्लेस

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Image Credits: The Boston Globe

बहुत लंबी चौड़ी फहरिस्त नहीं है. जैसा कि मैंने कहा था इरादा है इस रिजॉल्यूशन को बड़ा ही सरल रखने का ताकि किसी को भी निभाने में दिक्कत ना हो. तो अगली बार जब आपको कोई ऐसी बात सुनाई दे जो किसी महिला के आचरण के खिलाफ कहीं जा रही हो तो उसे रोकें. वो chivalry होगी. कहीं किसी महिला का चरित्र हनन होते हुए देखें या सुनें तो आंख बंद कर उस बात पर भरोसा ना करें वह chivalry होगी.

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कहीं कोई मज़ाक के नाम पर कोई हल्की-फुल्की या ओछी सी बात कहता हुआ सुनाई दे, जिसे 'casual sexism' भी कहा जाता है, वहां अपनी आवाज़ उठाएं, सामने वाले को हो सके तो रोकें, उसे मना करें और समझाएं कि वह क्यों गलत है. और अगर कोई आपकी बात ना समझे तो कम से कम आप उस भद्दे मज़ाक का हिस्सा ना बनें, वह chivalry होगी. अगली बार किसी पीड़िता की कहानी पढ़े या सुनें तो उसे पर अविश्वास ना करें. इसका मतलब यह नहीं है कि हर किसी पर आंख बंद कर भरोसा करना या हर किसी कहानी को सच ही मानना है आपको.

लेकिन पहली ही बार में किसी पीड़िता को बिना किसी सुबूत के झूठा न समझें. बस या ट्रेन में महिलाओं के लिए बैठने के लिए निर्धारित सीट को, बैंक या बाकि जगह महिलाओं की अलग लाइन को पुरुष समाज पर प्रहार न मानें. अगली बार कोई 'Feminazi' शब्द इस्तेमाल करता हुआ दिखाई दे तो याद रखें कि 'Feminazi' जैसा कुछ नहीं होता. यह शब्द कुछ और नहीं, कुछ कुंठित लोग जो किसी वजह से महिलाओं से कोई बैर रखते हैं या उन्हें बराबरी नहीं देना चाहते, उनके द्वारा फेमिनिज्म यानी कि नारीवाद जैसे एक बहुत ज्यादा ज़रूरी आंदोलन पर एक बहुत ही ओछा प्रहार है.

बस इतना ही करना है. इससे ज़्यादा नहीं! कहा था ना कि इसे सरल रखेंगे. लेकिन इसका परिणाम जो है वह बहुत ज़्यादा गहरा और ठोस होगा. अगर मुट्ठी भर लोग भी इन आदतों में से एक दो आदतों को अपना लेंगे और जनवरी के सिर्फ़ पहले हफ्ते तक ही नहीं, जीवन भर के लिए अपना लेंगे, तो यह एक बहुत बड़ा कदम होगा एक ऐसे समाज के निर्माण की तरफ़ जहां पर आधी आबादी को रोज़मर्रा के जीवन में इन नाइंसाफियों को बर्दाश्त नहीं करना होगा. और यह आपके सहयोग के बिना मुमकिन नहीं. तो चलिए कोशिश करें कि पुरुषों को chivalry की नई परिभाषा बताने में, समझने-समझाने में और पूरा करने में हम सब अपना अपना योगदान देंगे.

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