दबदबा था! दबदबा रहा नहीं।

बात हो रही है Brij Bhushan singh की, वह शख्स जिस पर महिला खिलाड़ियों ने यौन शोषण का आरोप लगाया है. हाल ही में Wrestling Federation of India के चुनाव हुए और चुनाव के नतीजे हताश करने वाले रहे. इसी वजह से यह मामला राष्ट्रीय बहस का मुद्दा बना.

author-image
मैत्री
New Update
brij bhushan singh news

Image- Ravivar vichar

पिछले कुछ दिनों में आपने कई सारी तस्वीरें देखी होंगी, कई सारे वीडियो देखे होंगे. आपको दिखाई दिए होंगे एक झुंड में खड़े हुए लोग जो एक शख्स को फूल मालाओं से लाद रहे थे, उसकी जय जयकार कर रहे थे, उसके समर्थन में नारे लगा रहे थे और उसकी एक जीत की खुशी में जश्न मना रहे थे.

आपको एक और तस्वीर दिखाई दी होगी. एक मंच पर कुछ लोग बैठे थे, कुछ रोती बिलखती महिलाएं थी और उनका साथ दे रहे लोग थे. अब तक आप शायद समझ गए होंगे कि मैं किस बारे में बात कर रही हूं. जी हां, बिल्कुल सही. बात हो रही है हमारे खिलाड़ियों की, बात हो रही है Brij Bhushan singh की, वह शख्स जिस पर महिला खिलाड़ियों ने यौन शोषण का आरोप लगाया है.

Wrestling Federation of India के चुनाव में Brij Bhushan Singh की जीत कितनी सही?

देखिए, वैसे तो मामला इस साल की शुरुआत में सामने आ गया था लेकिन क्योंकि हाल ही में Wrestling Federation of India के चुनाव हुए थे और चुनाव के नतीजे चौंकाने वाले तो नहीं लेकिन हताश करने वाले ज़रूर रहे, इसी वजह से यह मामला एक बार फिर राष्ट्रीय बहस का मुद्दा बना.

यह ही पढ़े- भारत में स्वयं सहायता समूह- आरम्भ, उत्थान और विकास

ज़रा पीछे चल के देखते हैं. दरअसल हुआ यह था कि साल की शुरुआत में भारत के कुछ पहलवानों ने जो कि देश दुनिया में अपने खेल के ज़रिए, अपनी कला के ज़रिए भारत का डंका बज चुके हैं, उन्होंने Wrestling Federation of India के अध्यक्ष पर एक बहुत संगीन आरोप लगाया. महिला पहलवानों ने कहा कि Brij Bhushan singh जो की Wrestling Federation of India में प्रेसिडेंट के पद पर आसीन था, उसने एक लंबे अरसे तक कई मौकों पर कई महिला पहलवानों का यौन शोषण किया.

brij bhushan singh news

Image credits: Mint

कुछ महिला पहलवानों का कहना था कि पीड़ितों में एक नाबालिक महिला पहलवान भी थी. मामला जल्द ही हर न्यूज़ चैनल की बहस का मुद्दा बन गया. लेकिन उस तरीके से नहीं जैसा आप सोच रहे होंगे. बल्कि सबसे पहली चीज़ जिसकी लोगों ने चर्चा की वह यह थी कि कहीं यह पहलवान, यह खिलाड़ी कोई राजनीति तो नहीं कर रहे. बिना किसी एफआइआर के, बिना किसी मुकदमे के, बिना किसी फैसले के, मानो एक होड़ सी लग गई Brij Bhushan singh को निर्दोष मानने की.

देखिए कोई नहीं कह रहा कि बिना किसी फैसले के किसी को भी गुनहगार साबित किया जाए या माना जाए. लेकिन इसका मतलब यह भी नहीं कि बिना किसी पुख़्ता सुबूत के शिकायतकर्ता की भी हर बात को झूठ माना जाए. लेकिन ऐसा लग रहा था मानो हो यही रहा था. ख़ैर, सरकार ने खिलाड़ियों को समझाने बुझाने की कोशिश की. उन्हें सख़्त कार्रवाई करने का आश्वासन दिया और पहलवानों ने अपना विरोध वापस लिया. लेकिन उसके बाद फ़िर से कुछ महीनों बाद भी जब उन्हें समझ में आया कि बात कहीं नहीं जा रही तो उन्होंने एक बार फ़िर विरोध प्रदर्शन शुरू किए.

यह भी पढ़े- भारतीय नारीवाद और ग्रामीण भारत

आपको वह तस्वीर भी याद ही होगी जब दिल्ली पुलिस ने इन खिलाड़ियों को जंतर मंतर पर विरोध प्रदर्शन करने से रोका था. उन्हें किस तरह से खींचा, किस तरह से घसीटा, ये भी आपने देखा होगा. इनमें महिला-पुरुष सभी शामिल थे. आपको यह भी याद होगा कि किस तरह से रोते बिलखते पहलवानों ने यह इरादा किया कि अपने मेडल जो उन्होंने जीते थे, जो उनके साथ-साथ इस देश की भी शान हैं, उन्हें वह गंगा में बहा देंगे.

लेकिन शायद हम में से किसी ने नहीं सोचा होगा कि आगे जो होने वाला था वह और भी ज़्यादा हताश करने वाला होगा. इन सब विरोध प्रदर्शनों के बाद यह फैसला लिया गया कि कुश्ती संघ के चुनाव वापस करवाए जाएंगे. क्योंकि Brij Bhushan singh पर आरोप था कि उसने महिला पहलवानों का यौन शोषण अपनी कुर्सी का फ़ायदा उठाते हुए किया, तो बहुत ज़रूरी था कि Brij Bhushan singh को पद से हटाया जाए और उससे जुड़े हुए या उसके परिवार के किसी भी सदस्य को कुश्ती संघ के चुनाव में हिस्सा न लेने दिया जाए.

sakshi malik news

Image credits: ABP live

पर ऐसा हुआ नहीं. कुश्ती संघ के चुनाव में वह लोग जीते जो कि Brij Bhushan singh के वफ़ादार थे. 15 सीटों पर नियुक्ति होनी थी इनमें से 13 सीटें Brij Bhushan singh के लोगों के पास गईं. संघ का नया अध्यक्ष संजय सिंह को बनाया गया जो कि कई सालों से Brij Bhushan singh का खासमखास रहा है. एक बार फ़िर से हताश, क्रोधित रोते-बिलखते खिलाड़ी जनता के बीच पहुंचे. Sakshi Malik ने ऐलान किया कि वह कुश्ती को हमेशा के लिए अलविदा कह रहीं हैं. बजरंग पुनिया से लेकर और कई सारे खिलाड़ियों ने अपने सम्मान भी वापस किए.

यह भी पढ़े- लाडली बहना- महिलाएं रुपये पैसे की बेहतर प्रबंधक क्यों होती है

एक तरफ़ यह रोती बिलखती महिला पहलवान थीं और दूसरी तरफ़ फूलमालाओं से ढका हुआ Brij Bhushan singh था जिसने छाती ठोक कर चुनाव के नतीजे आने के बाद कहा कि उसका 'दबदबा था, दबदबा है, और दबदबा रहेगा.' शायद यही वह चीज़ थी जो लोगों के मन में सबसे ज़्यादा चोट कर गई. हम पहले ही कह चुके हैं कि किसी को भी न्यायालय का फैसला आने से पहले गुनहगार नहीं माना जा सकता. लेकिन इसका मतलब यह भी नहीं है कि इतने संगीन आरोप झेल रहे इंसान को एक हीरो की तरह समाज में ख़ुद को प्रस्तुत करने दिया जाए.

यह अपमान है हमारी न्याय व्यवस्था का है, इस देश की बेटियों का है, उन महिला पहलवानों का और उन सब लोगों का है जिन्होंने किसी भी नाइंसाफी के खिलाफ़ कभी भी आवाज उठाई थी. उस वीभत्स जश्न ने जनता के मन में वह चोट की जिसका असर सरकार भी समझ गई. नतीजा आपके सामने है. नए चुने हुए संघ को सरकार में यह आदेश दिया कि वह अब किसी भी काम को अंजाम नहीं दे सकते.

इंडियन ओलिंपिक एसोसिएशन को आदेश दिए कि अब कुश्ती संघ उनकी निगरानी में काम करेगा. कुछ लोग इसे जीत ज़रूर मान रहे हैं. लेकिन क्या सच में इसे जीत कहा जा सकता है? शायद नहीं. क्योंकि सच बात तो यह है कि यह सब होने दिया गया, इतने संगीन आरोप झेल रहे इंसान के सबसे खास लोगों को वही चुनाव लड़ने दिया गया, वह चुनाव जीतने दिया गया, और उसके बाद उसे जीत की नुमाइश भी इस तरीके से करने का मौका दिया गया.

why is sakshi malik retiring from wrestling

Image credits: The Federal News

यह सब ऐसे हुआ मानो महिला पहलवानों द्वारा लगाए गए आप कुछ मायने ही नहीं रखते. भारत सरकार के इस फ़ैसले को एक जीत के तौर पर तो शायद नहीं लेकिन एक राहत के तौर पर ज़रूर देखा जा सकता है. और यह राहत भी कोई छोटी बात नहीं है. ध्यान रखिए यह वह सरकार है जिसने बहुत ज्यादा मौकों पर अपने कदम अपने फैसलों से पीछे नहीं हटाए हैं. तो इस राहत का श्रेय जाता किसे है?

इस राहत का श्रेय जाता है विरोध प्रदर्शन में लगे हुए पहलवानों को, इंसाफ की मांग कर रहीं महिला खिलाड़ियों को और हर उस इंसान को जिसने किसी न किसी तरीके से, चाहे वह सोशल मीडिया पर हो, चाहे नुक्कड़ पर हो, चाहे चाय की टपरी पर हो या अपने परिवार में हो, Brij Bhushan singh के उस वीभत्स जश्न की निंदा की. ह राहत नतीजा है उन सभी आवाज़ों का जो एक सुर में यह मांग कर रही थी कि न्याय की सही प्रक्रिया को अंजाम दिया जाए, सुनवाई हो, मुकदमा हो और इंसाफ हो. शुक्र है उस आवाज़ का, इस राहत का कि दबदबा था ज़रूर, पर दबदबा रहा नहीं.

यह भी पढ़े- भारत में इन schemes से बढेगा महिला participation

Wrestling Federation Of India Sakshi Malik Brij Bhushan singh