चुनाव में वोट का हक़ और कर्तव्य से दूर महिलाओं ने अक्सर कम वोट किया. लेकिन पिछले हुए विधानसभा चुनाव (Assembly Election) 2023 में महिलाओं ने अपना असर दिखाया. यह किसी भी पार्टी के हार-जीत के फैसले अहम साबित हो सकती हैं. यह प्रतिशत 2018 के प्रतिशत से और अधिक बढ़ा.
वोटिंग कतारों में लग साबित की महिलाओं ने जागरूकता
देश के पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव (Assembly Election) 2023 के चुनावों में महिलाओं का असर दिखाई दिया. वोटिंग के लिए लगी कतारों में महिलाओं की बढ़ती भीड़ ने साबित कर दिया कि अब वे जागरूकता की राह पर चल पड़ी हैं. इस बार मध्यप्रदेश के वोटिंग प्रतिशत को ही देखा जाए तो पिछले साल के मुकाबले इस बार वोटिंग अधिक हुई.
चुनाव आयोग द्वारा जारी जानकारी के अनुसार एक करोड़ 56 लाख वोट पूरे प्रदेश में डाले गए. इसमें 78.1 लाख वोट का उपयोग महिला मतदाताओं (Female Voters) ने किया. पुरुष मतदातों (Male Voters) की वोट संख्या 77.5 लाख रही.
पिछले चुनाव से वोटिंग 2 प्रतिशत ज्यादा
यानि मध्यप्रदेश (MP) में कुल वोट प्रतिशत 77.1 रहा. जो पिछले चुनाव 2018 की तुलना में बढ़ा. 2018 में वोट प्रतिशत 74.9 था.
लगभग 2 % वोट प्रतिशत का इजाफा हुआ. इसी तरह महिलाओं का वोट प्रतिशत भी 2018 के चुनाव में 74 % था जो इस बार बढ़कर 76 % हो गया. इसमें भी बढ़ोतरी हुई.
यदि हम इन आंकड़ों को देखें तो समझ सकते हैं कि कुछ साल पहले तक 50 से 55 % वोट देने वाली महिलाओं में जागरूकता आई. हालांकि यह वोट प्रतिशत और अधिक बढ़ाना होगा.
खुद की वेल्यू समझने में हो रही काबिल
मध्यप्रदेश (MP) में महिला मतदाता (Female Voter) में खुद की वेल्यू समझने की ताकत बढ़ी. यह आत्मविश्वास (Confidence) और आत्मनिर्भरता (Self Depend) का परिणाम माना जा सकता है. सामाजिक संगठन, राजनितिक दलों का ख़ास फोकस ने महिलाओं को और अधिक कॉन्फिडेनेंट बना दिया. स्वयं सहायता समूह (Self Help Group), लाड़ली बहना (Ladli Behana) के साथ नारी सम्मान (Nari Samman) जैसी राजनीतिक पार्टियों की योजनाएं और घोषणाओं ने भी महिलाओं में नई उम्मीद जगा दी.
महिलाओं ने वोट डाल अपने पिक्स कई जगह शेयर किए (Image: Ravivar Vichar)
उधर चुनाव आयोग (Election Commission) ने भी जिला प्रशासन सहित अन्य माध्यमों से मतदान जागरूकता के कार्यक्रम आयोजित किए. इसमें कोई शक नहीं कि जिला कलेक्टरों (District Collactor) की भूमिका सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण रही. शुरुआत में पिंक बूथ (Pink Booth) बनाए. बूथ पर महिला कर्मचारियों को तैनात किया.
जिला निर्वाचन आयोग के प्रयासों से आकर्षक ट्रेडिशनल बूथ (Traditional Booth) बनाए गए. इंदौर (Indore) के बूथ तो देशभर में चर्चा में रहे. महिलाओं को ब्रांड एम्बेसेडर (Brand Ambassador) बनाया गया. उसका नतीजा यह हुआ कि गली-मोहल्लों में ऑटो- बाइक से महिला मतदाओं को रिझाने वाले दिखाई नहीं दिए. महिला मतदाता खुद अपने संसाधनों से मतदान बूथ तक पहुंची. और यह मतदान प्रतिशत पिछले चुनाव की तुलना में तो बढ़ा ही पर पुरुष मतदातों को टक्कर देकर अपने हक़ को समझने में कामयाब हो गई.