"मैं कोर्ट पर उतरती हूं, तो सभी महिलाओं के लिए खेलती हूं"-Dipika

2012 में उन्होंने महिलाओं और पुरुषों के लिए समान वेतन की सदियों पुरानी बहस को उठाते हुए राष्ट्रीय चैंपियनशिप का बहिष्कार किया था. जिसके चलते स्क्वाश रैकेट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया ने 2016 में महिलाओं के लिए पुरस्कार राशि बढ़ादी.

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मिस्बाह
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Image Credits: Ravivar vichar

खेल जगत में कई ऐसे ट्रेंडसेटर्स ने जन्म लिया जिन्होंने उस खेल (sports) में लगन और स्किल्स से नए बेंचमार्क्स (benchmarks) सेट किये. ऐसा ही स्क्वाश (squash player) जगत का जाना- माना नाम दीपिका पल्लीकल.

'असंभव कुछ भी नहीं है' में विश्वास रखती दीपिका पल्लीकल 

किसी भी सच्चे ट्रेंडसेटर की तरह, दीपिका (Dipika Pallikal) 'असंभव कुछ भी नहीं है' में विश्वास रखती हैं. इंटरव्यू में दीपिका बताती है, "मैं भारतीय महिला होने के नाते, भारत का प्रतिनिधित्व करती हूं और सभी सीमाओं को पार करने की कोशिश करती हूं... मैं वास्तव में अपने पूरे करियर में 'असंभव कुछ भी नहीं है' में विश्वास करती हूं." 

भारतीय स्क्वाश (Indian squash player) की पोस्टर गर्ल दीपिका पल्लीकल (about Dipika Pallikal in Hindi) देश के लिए लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं. वह 2012 में प्रोफेशनल स्क्वाश एसोसिएशन (Professional Squash Association) की महिला रैंकिंग में टॉप 10 में जगह बनाने वाली पहली भारतीय (top 10 female squash players) हैं. उन्होंने जोशना चिनप्पा (Joshna Chinappa) के साथ मिलकर 2014 में CWG (commonwealth games) के ग्लासगो संस्करण में स्क्वाश में भारत का पहला कॉमनवेल्थ स्वर्ण पदक जीता (India's first Commonwealth gold medal in squash).

समान वेतन न मिलने पर किया राष्ट्रीय चैंपियनशिप का बहिष्कार 

अक्टूबर 2021 में, जुड़वां बेटों को जन्म देने के कुछ महीने बाद ही दीपिका स्क्वाश कोर्ट में वापस आई और बर्मिंघम कॉमनवेल्थ खेलों (Birmingham Commonwealth Games) में मिक्स्ड डबल्स (mixed doubles) में कांस्य पदक जीता. दीपिका पल्लीकल (Dipika Pallikal achievements) को 2012 में अर्जुन पुरस्कार और 2014 में पद्म श्री से सम्मानित किया जा चुका है.

2012 में उन्होंने  महिलाओं और पुरुषों के लिए समान वेतन (Dipika Pallikal on equal pay in sports) की सदियों पुरानी बहस को उठाते हुए राष्ट्रीय चैंपियनशिप का बहिष्कार किया था. उनका ये विरोध तब तक जारी रहा, जब तक स्क्वाश रैकेट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया ने 2016 में महिलाओं के लिए पुरस्कार राशि (prize money) बढ़ादी. लंबे समय से लैंगिक असमानता (gender inequality) से जूझ रहे देश में अकेले योद्धा के लिए यह एक बड़ी उपलब्धि थी.

जेंडर इक्वलिटी की कर रही वकालत

दीपिका कहती है, "आम तौर पर, महिलाओं का खेल अपने आप में एक लंबा सफर तय कर चुका है. आप इन सभी फीमेल टॉर्चबियरर्स को देखें - आप साइना (नेहवाल), (पीवी) सिंधु, सानिया (मिर्जा), मुक्केबाजों, निशानेबाजों, पहलवानों (Indian sportswomen)और सभी को देखें. वे सभी महिलाएं हैं. देश महिलाओं को अवसर दे रहा है, हमें बहुत ख़ुशी है."

सोशल मीडिया (social media) पर अपनी वर्कआउट (workout) की तस्वीरें साझा करते हुए दीपिका ने कहा, "मेरा नाम दीपिका पल्लीकल कार्तिक है और जब मैं कोर्ट पर उतरती हूं, तो सभी महिलाओं के लिए खेलती हूं."

अपने परफॉरमेंस के ज़रिये दीपिका  स्पोर्ट्स  में जेंडर इक्वलिटी (gender equality in sports) की वकालत करती है, और अपने बेबाक बयानों के ज़रिये लड़कियों को अपनी पहचान बनाने और स्पोर्ट्स में आने के लिए प्रेरित करती है.

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