एक दशक से भी ज़्यादा समय से, जब भारतीय बैडमिंटन (Indian Badminton) में महिला डबल्स (women’s doubles) की बात आती है तो अश्विनी पोनप्पा (Ashwini Ponnappa) को इस खेल का गोल्ड स्टैंडर्ड (gold standard) माना गया. चाहे ज्वाला गुट्टा (Jwala Gutta) के साथ रिकॉर्ड तोड़ने वाली जोड़ी के हिस्से के रूप में या बाद में एन. सिक्की रेड्डी (N. Sikki Reddy) के साथ, अश्विनी ने सिंगल सुपरस्टार प्लेयर्स (superstar players) के बीच अपनी अलग पहचान बनाई.
पुरुष और महिला बैडमिंटन के बीच असमानता पर खुलकर बोला
भारतीय बैडमिंटन (Indian Badminton) के अलावा, अश्विनी को पुरुष और महिला बैडमिंटन के बीच असमानता (gender inequality in badminton) के बारे में बात करने के लिए भी जाना जाता है.
Image Credits: Ashwini Ponnappa/ Instagram
रेड बुल शटल अप महिला डबल्स टूर्नामेंट (Red Bull shuttle up women’s doubles tournament) के राष्ट्रीय फाइनल के मौके पर स्पोर्टस्टार (Sportstar) से बात करते हुए, अश्विनी ने कहा, "यह आश्चर्यजनक है कि हमारे पास जो लीग हैं, उनमें कोई महिला डबल्स (WD) नहीं है, चाहे वह प्रीमियर हो बैडमिंटन लीग (PBL) या बेंगलुरु में ग्रैंड प्रिक्स बैडमिंटन लीग."
#MeToo मूवमेंट का किया सपोर्ट
टॉप भारतीय शटलर अश्विनी पोनप्पा (Top Indian shuttler Ashwini Ponnappa) देश के #MeToo मूवमेंट का भी समर्थन कर चुकी है. उन्होंने कहा कि अपने अनुभव साझा करने वाली महिलाओं के साथ खड़ा होना ज़रूरी है.
ऑनलाइन #MeToo आंदोलन में महिलाओं को मीडिया और मनोरंजन जैसे कई क्षेत्रों के अपने करीबी द्वारा यौन उत्पीड़न की घटनाओं का खुलासा करते देखा गया.
अश्विनी ने आगे कहा, "भारत जैसे देश में आपको मज़बूत होने के साथ-साथ सावधान रहने की भी जरूरत है. महिलाओं के साथ खड़ा होना, उनकी बात सुनना और उन्हें शक्ति और साहस देना ज़रूरी है. बोलना और अपनी राय व्यक्त करना आसान नहीं होता."
मां ने उन्हें बैडमिंटन से कराया परिचित
जब अश्विनी पोनप्पा (Ashwini Ponnappa in hindi) महज आठ साल की थीं, तब उनकी मां ने उन्हें बैडमिंटन से परिचित कराया. कोर्ट पर अपने ज़बरदस्त स्मैश (Ashwini Ponnappa smash) और दमदार प्रदर्शन के लिए जानी जाने वाली, वह विश्व बैडमिंटन चैंपियनशिप (world badminton championship) में डबल केटेगरी (double category) में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला शटलरों (First Indian female shuttlers to win gold medal) में से एक हैं.
Image Credits: Ashwini Ponnappa/ Instagram
आज भी हमारे देश में स्पोर्ट्स (sports) एक पुरुष प्रधान फील्ड (male dominated) है. ऐसे में अश्विनी पोनप्पा (Ashwini Ponnappa) द्वारा बैडमिंटन जगत में अपनी पहचान बनाना और लैंगिक समानता (gender equality) के लिए आवाज़ उठाना, उन्हें महिला खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बनाता है.