सोफिया दलीप: ब्रिटिश महिलाओं को वोटिंग राइट दिलाने वाली राजकुमारी

सोफिया के चुनाव प्रचार ने प्रेस और सरकार दोनों का ध्यान खींचा. उन्होंने 'ब्लैक फ्राइडे' जैसे ऐतिहासिक इवेंट में हिस्सा लिया और हैम्पटन कोर्ट पैलेस के बाहर द सफ़्रागेट अखबार की नियमित प्रतियां भी बेचीं.

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मिस्बाह
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sofia duleep singh Suffragette

Image Credits: Tsem Rinpoche

भारतीय महिलाएं अन्याय और असमानता के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाती रही हैं. राजकुमारी सोफिया भी उन लोगों में से है जिन्होंने महिलाओं को उनके अधिकार दिलाने में कोई कसर न छोड़ी. राजकुमारी सोफिया दलीप सिंह (Princess Sophia Duleep Singh) महाराजा दलीप सिंह (Maharaja Duleep Singh) की बेटी और रानी विक्टोरिया की गॉड डॉटर थी. 20वीं सदी की शुरुआत में उन्होंने लैंगिक समानता की लड़ाई को गति देने के लिए अपनी प्रसिद्धि, पद और दृढ़ता का इस्तेमाल किया.

सोफिया के चुनाव प्रचार ने प्रेस और सरकार दोनों का ध्यान खींचा. उन्होंने 'ब्लैक फ्राइडे' (Black Friday) जैसे ऐतिहासिक इवेंट में हिस्सा लिया और हैम्पटन कोर्ट पैलेस के बाहर द सफ़्रागेट अखबार (The Suffragette newspaper) की नियमित प्रतियां भी बेचीं. सोफिया की बुलंद आवाज़ महिलाओं के अधिकारों  (women's rights) से कहीं आगे तक फैली हुई थी और उन्होंने कई समूहों, विशेष रूप से भारतीयों और सिखों का समर्थन किया. उन्होंने अपना जीवन समानता की लड़ाई के लिए समर्पित किया.

महिलाओं के वोट अधिकार के लिए लड़ी राजकुमारी सोफिया

1876 ​​में इंग्लैंड (England) में जन्मी सोफिया सिख शाही परिवार से थीं, लेकिन अपने पिता के निर्वासन के बाद उनका पालन-पोषण ब्रिटिश समाज में हुआ. सोफिया दलीप सिंह ने कम उम्र में महिला मताधिकार आंदोलन (women's suffrage movement) को बढ़ते देखा. धीरे-धीरे वह महिलाओं के अधिकारों की वकालत करने में जुट गईं. वह महिला सामाजिक और राजनीतिक संघ (WSPU) में शामिल हुई, जो एम्मेलिन पंकहर्स्ट (suffragette organization founded by Emmeline Pankhurst) और उनकी बेटियों द्वारा शुरू किया गया प्रमुख मताधिकार संगठन है. डब्ल्यूएसपीयू महिलाओं के वोट अधिकार (Women's voting rights in England) के लिए लड़ने वाली ताकतवर आवाज़ के रूप में जाना जाता था.

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Image Credits: Reddit

राजकुमारी सोफिया ने कई मताधिकार प्रदर्शनों, विरोध प्रदर्शनों और सार्वजनिक भाषणों में हिस्सा लिया. उन्होंने इस मुद्दे पर ध्यान खींचने और लिंग के आधार पर सामाजिक  असमानता (gender inequality) को चुनौती देने के लिए अपने नाम और पहचान का इस्तेमाल किया. उन्होंने महिलाओं के लिए मतदान के अधिकार और समाज में समानता की मांग करते हुए अन्य सफ़्रागेट्स के साथ मार्च किया.

ब्लैक फ्राइडे विरोध प्रदर्शन, विमेंस टैक्स रिफॉर्म लीग का रहीं हिस्सा 

नवंबर 1910 में ब्लैक फ्राइडे (Black Friday) विरोध प्रदर्शन उन ऐतिहासिक घटनाओं में से एक थी जिसमें वह शामिल रही. इस प्रदर्शन के दौरान, महिला सफ़्रागेट्स ने मतदान के अधिकार की मांग के लिए लंदन में संसद भवन तक मार्च किया. जब पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की तो प्रदर्शन हिंसक हो गया, जिसकी वजह से राजकुमारी सोफिया सहित 100 प्रोटेस्टर्स   की गिरफ्तारी हुई. सोफिया को विमेंस टैक्स रिफॉर्म लीग (Women’s Tax Reform League) के सदस्य के रूप में भी जाना जाता है, जिसने 'नो वोट, नो टैक्स!' (No Vote, No Tax) पर अभियान चलाया था.

राजकुमारी सोफिया की समान समाज बनाने की कोशिश सिर्फ सार्वजनिक प्रदर्शनों तक सीमित नहीं थी. उन्होंने अपने रुतबे का इस्तेमाल संसद सदस्यों को आंदलोन में शामिल करने और राजनीतिक लोगों के बीच महिलाओं के मताधिकार की जागरूकता बढ़ाने के लिए भी किया.

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Image Credits: hrp.org

1918 में, जन प्रतिनिधित्व अधिनियम पारित किया गया, जिसमें 30 वर्ष से ज़्यादा उम्र की उन महिलाओं को मतदान का अधिकार दिया गया, जिनके पास संपत्ति हो. यह ब्रिटेन में महिलाओं के मताधिकार की दिशा में ऐतिहासिक कदम था और राजकुमारी सोफिया की लगातार कोशिशों ने इसे हासिल करने में अहम भूमिका निभाई.

राजकुमारी सोफिया दलीप सिंह की विरासत महिलाओं की पीढ़ियों को अपने अधिकारों के लिए खड़े होने और अपनी आवाज़ उठाने के लिए प्रेरित करती रहेगी.

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