निधि गोयल (Nidhi Goyal) एक ऐसा नाम है जिनकी आंखो में रोशनी न होते हुए भी समाज की डिसएबल महिलाओं और लड़कियों के लिए भारत में NGO राइजिंग फ्लेम (NGO Rising Flame) की शुरुआत की, ताकि विकलांगों को अपनी बात कहने का मौका और जगह मिले और उनकी आवाज सुनी जाये.
निधि गोयल की उपलब्धियां
अगर निधि गोयल की उपलब्धियों की बात करें तो लिस्ट काफी लम्बी है पर कुछ की बात करें तो वो यह है-
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निधि गोयल भारत की एक विकलांग फेमिनिस्ट एक्टिविस्ट (disabled feminist activist from India), फाउंडर एंड एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर , राइजिंग फ्लेम (Founder and Executive Director, Rising Flame), भारत की पहली डिसएबल कॉमेडियन (India’s first female disabled stand-up comedian), स्टीयरिंग समिति मेंबर : C20 इंडिया (Steering Committee Member: C20 India), डिसेबिलिटी, जेंडर & इन्क्लूसिव एक्सपर्ट (Disability, Gender & Inclusion Expert), पब्लिक स्पीकर (Public Speaker), रिसर्चर & ऑथर (Researcher & Author), फॉर्मर ग्लोबल एडवाइजर, UN वीमेन (Former Global Advisor, UN Women).
निधि है पहली महिला विकलांग स्टैंड-अप कॉमेडियन
निधि राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर ऑप-एड, जर्नल लेखों और व्याख्यानों के ज़रिये विकलांगता और लिंग के अंतरसंबंधी मुद्दों को उठाने के लिए काम करती है. निधि को संयुक्त राष्ट्र महिला कार्यकारी निदेशक के सिविल सोसाइटी सलाहकार समूह (UN Women Executive Director’s Civil Society Advisory Group) में भी नियुक्ति मिली.
निधि को जनरेशन इक्वेलिटी फोरम (Generation equality Forum) की मल्टीस्टेकहोल्डर संचालन समिति (multistakeholder steering committee, VOICE) के सलाहकार बोर्ड और विश्व स्तर पर महिला अधिकारों के लिए एसोसिएशन के बोर्ड के लिए चुना गया. निधि वर्तमान में बोर्ड ऑफ़ एसोसिएशन फॉर विमेंस राइट्स इन डेवलपमेंट (Board of Association for Women's Rights in Development, AWID) में अध्यक्ष है.
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निधि भारत की पहली महिला विकलांग स्टैंड-अप कॉमेडियन भी है, जो डिसेबिलिटी और जेंडर के बारे में प्रचलित धारणाओं को चुनौती देने के लिए कॉमेडी को एक उपकरण के रूप में इस्तेमाल करती है.
महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों से जुड़े मुद्दों की करती है वकालत
निधि गोयल सेक्शुअलिटी और सेक्शुअल एंड रिप्रोडक्टिव हेल्थ तथा विकलांग महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों से जुड़े मुद्दों की वकालत करती है. वह विकलांग महिलाओं के हाइपरसेक्शुअल या असेक्शुअल होने की धारणा को चुनौती देना चाहती है.
#MeToo मूवमेंट के दौरान भी उन्होंने विकलांग महिलाओं की चुप्पी के बारे में बात की. विकलांग महिलाओं के अंदर "undesirable" होने का कलंक, दायित्व की भावना और देखभाल करने वालों और भागीदारों पर निर्भरता के कारण,आगे बढ़ने का डर, अलगाव, और सहायक नेटवर्क की कमी.
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गोयल ने मामा कैश के #MyBodyIsMine अभियान (My Body Is Mine Campaign) में बताया था कि, कैसे विकलांग महिलाओं को या तो असहाय या सुपरहीरो के रूप में देखा जाता है, लेकिन कभी भी उन्हें "सामान्य" रूप में नहीं देखा जाता.
निधि को कई अवॉर्ड्स से किया गया सम्मानित
मार्च 2021 में निधि को सोरोप्टिमिस्ट इंटरनेशनल बॉम्बे चेम्बूर (Soroptimist International Bombay Chembur, SIBC) की तरफ से सोरोप्टिमिस्ट एक्सीलेंस अवार्ड 2020 (Soroptimist Excellence Award 2020) दिया गया था. मार्च 2018 में ABP न्यूज़ (ABP News) द्वारा सुपरवूमन ऑफ़ द ईयर (Superwoman of the Year) से नवाजा गया. निधि को जनवरी 2016 में नेशनल एसोसिएशन फॉर द ब्लाइंड (National Association for the Blind) की तरफ से नीलम कांगा अवार्ड (Neelam Kanga Award) मिला.
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निधि का बचपन
निधि गोयल (Nidhi Goyal Birth) का जन्म 21 सितम्बर 1985 में हुआ. निधि बचपन से सामान्य बच्चों की तरह ही थी. गंभीर आंखों की बीमारी के चलते जिसका कोई इलाज नहीं था महज 15 साल की उम्र में उनकी आंखों की रोशनी चली गई. विकलांगता के चलते उन्हें कई भेदभाव और चुनौतियों का सामना करना पड़ा.
भारत में NGO राइजिंग फ्लेम किया शुरु
निधि को परिवार से पूरा साथ मिला. उन्होंने परिवार और दोस्तों के साथ से विकलांग महिलाओं और युवतियों के लिए कुछ करने की ठानी. और यहीं से शुरुआत हुई राइसिंग फ्लेम की.
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निधि का सामाजिक एकीकरण की दिशा में यह अहम प्रयास है. वह एक ऐसी दुनिया बनाना चाहती है जहां हर किसी को सम्मान मिले, भेदभाव, हिंसा और दुर्व्यवहार से मुक्त जीवन जिए और विकलांग लोगों के मानवाधिकारों को मान्यता मिले. राइसिंग फ्लेम का उद्देश्य है कि विकलांग महिलाएं नेतृत्व पोसिशन्स संभाले, और आगे बढ़ बदलाव लाएं ताकि साथ-साथ दुनिया भी बदले.