मिलेट चिक्की प्रोडक्शन से मिली SHG महिलाओं को सशक्त बनने की शक्ति

नक्सल प्रभावित आदिवासी बस्तर क्षेत्र के बीजापुर जिले में स्थित गांवों की महिलाएं रागी-बाजरा चिक्की और प्रोटीन बार उत्पादन से आत्मनिर्भर बन आर्थिक रूप से स्वतंत्र हो रही हैं.

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मिस्बाह
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Image: Ravivar vichar

UN द्वारा साल 2023 को International Year of Millets घोषित किया गया. इसे सफल बनाने के लिए महिला उद्यमी (women entrepreneurs) और स्वयं सहायता समूह (self help groups) की महिलाएं मिलेट प्रोडक्शन और प्रोसेसिंग (millet production and processing) से लेकर मिलेट कैफ़े (millet cafe) तक का नेतत्त्व कर रही है.

बस्तर में महिलाएं बना रहीं रागी-बाजरा चिक्की और प्रोटीन बार 

नक्सल प्रभावित आदिवासी बस्तर (Naxal affected tribal Bastar) क्षेत्र के बीजापुर जिले में स्थित गांवों की महिलाएं रागी-बाजरा चिक्की और प्रोटीन बार उत्पादन से आत्मनिर्भर बन आर्थिक रूप से स्वतंत्र हो रही हैं.

उत्पादन कंपनी के कोऑर्डिनेटर मनोज कुमार ने बताया कि कोकड़ापारा सहित जिले के कई गांवों की कुल 36 महिलाएं कारखाने में काम कर रही हैं जो प्रोटीन बार और रागी और बाजरा चिक्की (bajra chikki) बनाती है.

adivasi women become empowered through millet chikki production in bastar

Image Credits: timesofindia

प्रोडक्शन से महिलाओं और बच्चों को मिल रहा लाभ 

इन पौष्टिक नाश्ते की आपूर्ति आंगनबाड़ियों और महिला बाल विकास केंद्रों को की जाती है, जिससे रायपुर, अंबिकापुर और रायगढ़ सहित कई जिलों की महिलाओं और बच्चों को लाभ मिलता है.

यह उत्पाद गुड़, मूंगफली और रागी जैसी सामग्रियों से बनाया गया है, जिन्हें बार में पैक किया जाता है. पिछले वर्ष में, महिलाओं ने न सिर्फ अपने कौशल को निखारा है, बल्कि वह उत्पादन प्रक्रिया का अभिन्न अंग भी बनी हैं. इन महिलाओं को काम करते हुए एक साल पूरा हो गया है. 

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millets cg

Image Credits: Ravivar vichar

प्रशिक्षण के बाद फैक्ट्री में मिली जॉब 

शुरुआत में, कार्यकर्ताओं को हैदराबाद से आई एक टीम द्वारा प्रशिक्षित किया गया था. आख़िरकार प्रशिक्षित महिलाओं को फैक्ट्री में शामिल कर लिया गया. 

इनमें से चार से पांच महिलाएं नियमित कर्मचारी बनने के बाद, नक्सली समूहों को छोड़ चुकी हैं. पहले घरेलू और खेती  तक सीमित ये महिलाएं अब अपने घरों में आर्थिक रूप से योगदान देती हैं और पुरुष सदस्यों के साथ बराबरी से खड़ी हैं. इस तरह की फैक्ट्री बालोद और सुकमा में भी खोली जाएगी.

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anita millet

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मिलेट से जुड़े महिलाओं के उद्यम (Millet based women's enterprises) न सिर्फ मिलेट को वापस थालियों में ला रहे हैं, बल्कि उन्हें आर्थिक आज़ादी हासिल करने में भी मदद कर रहे हैं.

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