सीएम भूपेश बघेल ने Millets का न्यनतम समर्थन मूल्य (MSP) न केवल तय किया बल्कि उसे तत्काल प्रभाव से लागू भी कर दिया. इसके तहत कोदो-कुटकी और रागी को शामिल किया. केंद्र और राज्य सरकार इन दिनों मोटे अनाज को बढ़ावा देने के लिए कई तरह के कदम उठा रही.
कोरिया में रागी के साथ छाए कोदो- कुटकी
छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के कोरिया (Korea) मुख्यालय पर आयोजित गौधन न्याय योजना के कार्यक्रम में CM भूपेश बघेल (CM Bhupesh Baghel) ने कहा- "हम कई दिन से केंद्र सरकार से आग्रह कर रहा था, लेकिन असर नहीं हुआ. इसलिए हम अपने राज्य में खरीफ 2023 हेतु कोदो का समर्थन मूल्य 3000 रुपए प्रति क्विटल से बढ़ा कर 3200 रुपए प्रति क्विटल करने के साथ कुटकी का समर्थन मूल्य 3100 रुपए प्रति क्विटल से बढाकर 3350 रुपए प्रति क्विटल करते हैं."
शासन के कृषि एवं किसान कल्याण तथा जैव प्रौद्योगिकी विभाग ने सीएम (CM) की घोषणा के साथ ही खरीफ 2023 में उत्पादित कोदो-कुटकी (Kodo-Kutaki) के नए समर्थन मूल्य से खरीदी के आर्डर जारी कर दिए.
वनोपज संघ निभाएगा ख़ास भूमिका
मिलेट्स (Millets) की खरीदी का समय वन विभाग तय करेगा. इसमें वनोपज संघ खास भूमिका में रहेगा. यहां तक कि रागी (Ragi) को भी सरकार ने बहुत तवज्जो दी. रागी फसल के लिए खरीफ 2023 हेतु घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य 3846 रूपए प्रति क्विटल के अनुसार ख़रीदा जाएगा.
यह किसानों और स्वयं सहायता समूह (Self Help Group) की महिलाओं के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है. जनजातीय (Tribal) क्षेत्रों में किसान और खासकर किसानों की महिला सदस्य मोटे अनाज (Millets) की प्राकृतिक देखभाल करती रहीं. इसका उपयोग खाने करते रहे. लंबे समय तक इस उपज को केवल सस्ता कहते रहे.
रायगढ़ में खुला मिलेट्स कैफे (Images: Ravivar Vichar)
रिसर्च के साथ ही बढ़े मिलेट्स कैफे
मोटा अनाज का मतलब पहले सिर्फ गरीबों की मज़बूरी और पेट भरने का साधन वाली मानसिकता रही. खेतों और जंगलों में लगने वाले इस अनाज पर जैसे-जैसे रिसर्च हुई, वैसे-वैसे इसका उपयोग बढ़ा. यहां तक कि UN ने 2023 MILLETS OF THE YEAR की घोषणा के साथ भारत ने इसका लाभ सबसे ज्यादा लिया. देश के साथ मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ सहित कई राज्यों में मिलेट्स कैफे खुल चुके हैं.
आजीविका का साधन बना मिलेट्स
आजीविका मिशन (Ajeevika Mission) के तहत Self Help Group की महिलाओं को इस खेती से जोड़ा. समूह के जरिये महिलाओं की आर्थिक हालत सुधारने में माहौल खड़ा किया. उन्हें इस खेती के लिए प्रमोट किया. न्यूट्रिशनिस्ट मेघा शर्मा कहती हैं- "मोटा अनाज या मिलेट्स में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा कम होती है. इसके अलावा कम फेट और कर्बोहाइड्रेड्स के कारण बहुत है. इसको खाने के प्रयोग में लाना चाहिए."
हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने G-20 सम्मलेन में रखे वीआईपी इंटरनेशनल डिनर में भी मिलेट्स डिश (Millets Dishes) रखी. मोदी (Modi) अपने मन की बात में भी मिलेट्स (Millets) का ज़िक्र कर चुके हैं.