शतरंज की बाज़ी से सभी को मात देने वाली अनुपमा गोखले

Anupama Gokhale को 1986 में पद्मश्री (Padma Shri) और 1990 में अर्जुन पुरस्कार (Arjuna Award) से सम्मानित किया गया. जब उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया, वह सिर्फ 16 साल की थी. ये सम्मान उनके उत्कृष्ट खेल कौशल और समर्पण का प्रमाण हैं.

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विधि जैन
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Indian Chess Player Anupama Gokhale

Image - Ravivar Vichar

अनुपमा गोखले (Anupama Gokhale) का नाम भारतीय शतरंज (Chess) के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा गया है. उन्होंने छोटी उम्र से ही शतरंज खेलना शुरू कर दिया था और अपनी प्रतिभा के बल पर शतरंज की दुनिया में अपने उल्लेखनीय प्रदर्शन और उपलब्धियों से एक मिसाल कायम की है.

कैसे शुरू हुआ शतरंज का सफर

अनुपमा गोखले (Anupama Gokhale) का पूरा नाम अनुपमा अभ्यंकर है. उन्होंने बहुत ही छोटी उम्र में शतरंज (Chess) खेलना शुरू कर दिया था. उनके पिता भी शतरंज के खिलाड़ी थे, जिन्होंने अनुपमा को शतरंज की बारीकियों से परिचित कराया. उनकी मेहनत और लगन ने उन्हें जल्द ही राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई.

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भारत के लिए जीते कई ख़िताब

अनुपमा गोखले (Anupama Gokhale) ने पांच बार भारतीय महिला शतरंज चैंपियनशिप जीती है. उन्होंने 1985 और 1987 में दो बार एशियन महिला शतरंज चैंपियनशिप (Asian Women Chess Championship) भी जीती है. 1985 में, उन्होंने ऑड्रे वोंग के साथ एशियन जूनियर गर्ल्स चैंपियनशिप जीती, जिससे उन्हें वुमन इंटरनेशनल मास्टर (WIM) का खिताब मिला.

अनूपमा ने तीन महिला शतरंज ओलंपियाड (Women Chess Olympiad) में भारत का प्रतिनिधित्व किया है. इसके अलावा वह दो महिला एशियन टीम शतरंज चैंपियनशिप में भी हिस्सा ले चुकी हैं. इनमें से उन्होंने 2005 में, अपनी टीम के साथ मिलकर सिल्वर मेडल जीता.

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16 साल की उम्र में मिला पद्मश्री

अनुपमा गोखले (Anupama Gokhale) को 1986 में पद्मश्री (Padma Shri) और 1990 में अर्जुन पुरस्कार (Arjuna Award) से सम्मानित किया गया. जब उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया, वह सिर्फ 16 साल की थी. ये सम्मान उनके उत्कृष्ट खेल कौशल और समर्पण का प्रमाण हैं.

अनुपमा गोखले (Anupama Gokhale) ने ना केवल अपनी प्रतिभा से भारतीय शतरंज (Chess in India) को समृद्ध किया है, बल्कि उन्होंने महिलाओं को भी प्रेरित किया है. उनके संघर्ष और सफलता की कहानी ने कई युवा लड़कियों को शतरंज और अन्य खेलों में अपनी पहचान बनाने के लिए प्रेरित किया है.

अनुपमा गोखले (Anupama Gokhale) का जीवन और उनकी उपलब्धियां हमें यह सिखाती हैं कि अगर मन में दृढ़ संकल्प और मेहनत करने की इच्छा हो, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है. उन्होंने भारतीय शतरंज में अपनी जगह बनाई और नारी शक्ति का एक अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत किया. उनकी कहानी हर उस व्यक्ति के लिए एक inspiration है, जो अपने सपनों को साकार करने की हिम्मत रखता है.

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