विश्व एथलेटिक्स दिवस (World Athletics Day) हर साल खेलों के महत्व और उनके विकास को मनाने के लिए मनाया जाता है. यह दिन युवाओं को खेलों के प्रति उत्साहित करने और उनमें स्वास्थ्य जागरूकता बढ़ाने का एक अवसर होता है. इस वर्ष विश्व एथलेटिक्स दिवस और भी खास है क्योंकि यह पेरिस ओलंपिक 2024 (Paris Olympics 2024) की तैयारियों के बीच आया है. खासकर भारतीय महिला एथलीटों (Indian Female Athletes) के लिए, यह ओलंपिक उनके करियर में एक नई ऊंचाई को छूने का मौका साबित हो सकता है.
यह है भारतीय महिला एथलीटों का समय
पिछले कुछ वर्षों में भारत ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी पहचान बनाई है. आज का समय भारतीय महिला एथलीटों के नाम है. चाहे वह ट्रैक पर दौड़ हो, फील्ड इवेंट्स हों या मैराथन दौड़ें, भारतीय महिलाएं हर जगह अपनी छाप छोड़ रही हैं. Paris Olympics 2024 के लिए तैयारियां करते हुए, ये एथलीट्स ना सिर्फ नेशनल बल्कि इंटरनेशनल प्लेटफॉर्म्स पर भी भारत का प्रतिनिधित्व कर रही हैं.
प्रियंका गोस्वामी, पारुल चौधरी, ज्योतिका श्री दांडी, एम.आर. पूवम्मा, सुभा वेंकटेशन और रूपल चौधरी जैसी खिलाड़ियों ने अपनी मेहनत और समर्पण से युवा पीढ़ी के लिए नए मार्ग प्रशस्त किए हैं. आज इन युवा athletes ने अपने और देश के लिए सिर्फ Olympics के द्वार ही नहीं खोले हैं बल्कि इनकी सफलताएं और संघर्ष यह दर्शाते हैं कि भारतीय महिला एथलीट अपने समय की सच्ची नायिकाएं हैं.
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Paris Olympics 2024 की ओर निगाहें
पेरिस ओलंपिक 2024 (Paris Olympics 2024) में भाग लेने के लिए भारतीय एथलेटिक्स टीम (Indian Athletics Team) की तैयारी जोरों पर है. इस ओलंपिक में भारतीय महिला एथलीटों की भागीदारी उनके और पूरे देश के लिए गर्व का क्षण होगी. इन एथलीटों की सफलता नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा बनेगी और भारतीय खेलों के लिए नए आयाम स्थापित करेगी.
Paris Olympics 2024 के लिए qualify करने वाली भारतीय महिला एथलीट्स -
- प्रियंका गोस्वामी: चलने की रफ्तार से जीतने का जुनून - मेरठ की प्रियंका गोस्वामी (Priyanka Goswami), जो चाल रेस में विशेषज्ञ हैं, ने हाल ही में नेशनल गेम्स में स्वर्ण पदक जीता है. उनकी नजरें अब पेरिस ओलंपिक 2024 पर हैं. प्रियंका की तैयारियां और समर्पण उन्हें इस खेल में शीर्ष स्थान पर ले जाने की क्षमता रखते हैं. प्रियंका 10,000 मीटर रेस वॉक स्पर्धा में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला हैं. Paris Olympics 2024 में उन्होंने रेस वॉक के लिए qualify किया है.
- पारुल चौधरी: दौड़ में निपुणता की मिसाल - पेरिस ओलंपिक में अपनी चमक बिखेरने को तैयार पारुल चौधरी (Parul Chaudhary) मध्यम दूरी की दौड़ों में माहिर हैं. पारुल ने अपनी ताकत और तेजी से राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कई रिकॉर्ड्स को अपने नाम किए है. पारुल 9 मिनट से कम में 3,000 मीटर की दौड़ पूरी करने वाली पहली भारतीय महिला होने का भी रिकॉर्ड अपने नाम कर चुकी हैं. वह Paris Olympics 2024 में 3,000 मीटर स्टीपलचेज के लिए qualify हुई हैं.
- ज्योतिका श्री दांडी: युवा शक्ति का प्रतीक - ज्योतिका श्री दांडी (Jyothika Sri Dandi), जो एक युवा एथलिट हैं, ने युवा ओलंपिक्स में अपनी प्रतिभा बखूबी दिखाई है. उनका जज्बा और उनकी उम्र उन्हें आगामी ओलंपिक्स के लिए एक उत्साहित प्रतियोगी बनाती है. हालांकि ज्योतिका ने हाल ही में knee injury से वापसी की है, उनकी तैयारी और प्रतिबद्धता ने उन्हें Paris Olympics 2024 की Women Relay Team में जगह दिलवाई है.
- एम.आर. पूवम्मा: अनुभव बनाता है अमूल्य एथलिट - एम.आर. पूवम्मा (MR Poovamma), जिन्होंने 400 मीटर दौड़ में भारत को कई मेडल दिलाए हैं, अपने अनुभव से नई पीढ़ी के एथलीटों को प्रेरित करती हैं. उनकी मौजूदगी टीम के लिए मार्गदर्शक का काम करेगी. कर्नाटक से ताल्लुख रखने वाली पूवम्मा रिले दौड़ में भारत की आशा हैं. पूवम्मा ने 400 मीटर स्प्रिंट में कई मैडल जीतकर भारत का नाम रोशन किया है.
- सुभा वेंकटेशन और रूपल चौधरी: नई उम्मीदें - सुभा वेंकटेशन (Subha Venkatesan), जो 400 मीटर रिले में विशेषज्ञ हैं, और रूपल चौधरी (Rupal Chaudhary), जो हाल ही में युवा विश्व चैंपियनशिप में चमकी हैं, दोनों ही भारतीय एथलेटिक्स के भविष्य हैं. एक तरफ वेंकटेशन ने युवा उम्र से ही अपनी प्रतिभा के बल पर पहचान बनाई है. वहीं महज कुछ सालों में ही रूपल चौधरी ने अपने प्रदर्शन से यह साबित कर दिया है कि वह भारतीय एथलेटिक्स की उभरती हुई स्टार है. इन युवा प्रतिभाओं की उपस्थिति से भारतीय टीम की विविधता और मजबूती का पता चलता है.
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बन रहीं महिला सशक्तिकरण की आवाज़
World Athletics Day इस बात का प्रतीक है कि खेल किस प्रकार से समाज में सकारात्मक परिवर्तन ला सकते हैं और युवाओं को सशक्त बना सकते हैं. इस वर्ष, जैसे-जैसे हम पेरिस ओलंपिक 2024 (Paris Olympics 2024) के करीब पहुंचते हैं, हमारी भावनाएं और भी अधिक उम्मीदों से भरी हुई हैं, खासकर जब यह बात हमारी महिला एथलीटों की आती है.
ये महिला एथलीट्स न केवल खुद के लिए बल्कि देश के भविष्य के लिए भी आदर्श स्थापित कर रही हैं. उनकी कहानियां और संघर्ष यह साबित करते हैं कि सफलता के लिए लगन औरकठिन परिश्रम की आवश्यकता होती है.
पेरिस ओलंपिक 2024 (Paris Olympics 2024) की तैयारी में जुटे इन एथलीटों के प्रदर्शन पर ना केवल भारत की नजरें हैं, बल्कि पूरा विश्व भी उनके करिश्मे का इंतजार कर रहा है. ये महिला एथलीट ना सिर्फ खेल के मैदान में अपनी क्षमता और संघर्ष का प्रदर्शन कर रही हैं, बल्कि समाज में महिलाओं के लिए बदलाव की आवाज भी बन रही हैं. खेलों के जरिए वे समाज में लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा दे रही हैं, जो कि अत्यंत महत्वपूर्ण है.
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