विदेश में भारतीय झंडा फहरा आज़ादी की मांग करती भीकाजी कामा

भीकाजी कामा ने भारत के लिए ब्रिटिश झंडा देखा, तो उसे हटा कर भारत का नया झंडा सभा में फहरा दिया. झंडा फरहाने के बाद साहस और देशप्रेम से भरे भाषण में कहा - "ऐ दुनिया के लोगों, देखो ये भारत का झंडा है, यही भारत के लोगों का प्रतिनिधित्व करता है."

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मिस्बाह
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Bhikaji Kama

Image: Ravivar Vichar

"भारत में ब्रिटिश शासन जारी रहना मानवता के नाम पर कलंक है."

यह शब्द थे विदेश की धरती पर भारत का झंडा फहराने वाली पहली महिला भीकाजी रूस्तम कामा (Bhikaiji Cama) के. 

विदेश में लहराया भारत का परचम 

जर्मनी (Germany) के स्टुटगार्ट में हुई दूसरी इंटरनेशनल सोशलिस्ट कांग्रेस (Second International Socialist Congress) के दौरान जब भीकाजी कामा (About Bhikaiji Cama in Hindi) ने भारत के लिए ब्रिटिश झंडा (British Flag) देखा, तो उसे हटा कर भारत का नया झंडा सभा में फहरा दिया (first Indian to hoist the Indian flag on foreign soil). झंडा फहराने के बाद साहस और देश-प्रेम से भरे भाषण में कहा - "ऐ दुनिया के लोगों, देखो ये भारत का झंडा है, यही भारत के लोगों का प्रतिनिधित्व करता है."

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Image Credits: This Day in Indian History

परिवार से मिली भीकाजी कामा को समाज सेवा की प्रेरणा 

भीकाजी का जन्म 24 सितंबर 1861 को मुंबई के पारसी परिवार में हुआ (Bhikaji Cama birth place). भीकाजी का परिवार आधुनिक विचारों वाला था. वहीं से उन्हें समाज सेवा की प्रेरणा मिली (Bhikaji Cama Social work). उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा Alexandra Native Girls English Institution से प्राप्त की. वर्ष 1885 में उनकी शादी रुस्तम कामा (Bhikaji Cama husband) से हुई.

जब भारत ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन था, तो सामाजिक और सांस्कृतिक तौर पर  महिलाओं को पिछड़ा माना जाता था, वह अधिकारों से वंचित थी, और उनके विचारों का कोई मोल न था. लेकिन उन्होंने इस असमानता (gender inequality) के खिलाफ खड़े होकर, सामाजिक रूढ़िवादिता (social stereotype) को पीछे छोड़ते हुए, स्वतंत्रता संग्राम (women in Indian Freedom Struggle) में अहम भूमिका निभाई.  

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Image Credits: StarsUnfolded

प्लेग हो या आर्थिक संकट, सहायता में आगे रही भीकाजी 

भीकाजी ने स्वतंत्रता सेनानियों  की आर्थिक मदद (financial help to freedom fighters) की और जब देश में प्लेग (plague) की बीमारी का अंधेरा छाया, तो अपनी जान की परवाह किए बगैर बीमारों की सेवा की. वह खुद भी प्लेग से ग्रसित हो गई. इलाज के लिए लंदन (London) गई जहां श्यामजी कृष्ण वर्मा (Shyamji Krishna Verma) और फिर दादाभाई नौरोजी (Dadabhai Naoroji) से मिली. बाद में वह होम रूल सोसाइटी (Home Rule Society) की सहयोगी बन गई. 74 साल की उम्र में उन्होंने पारसी जनरल हॉस्पिटल (Parsi General Hospital) में 13 अगस्त 1936 को अंतिम सांस ली (Bhikaji Cama death).

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Image Credits: Women Planet

विशेष कैम्पेन में भीकाजी कामा ने निभाई अहम भूमिका

भीकाजी कामा का अहम योगदान था विशेष कैम्पेन (campaign) में, जिसका मुख्य लक्ष्य था भारतीय स्वतंत्रता संग्राम (Indian freedom struggle) को अंग्रेजों के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रमोट करना (promoting Indian freedom struggle internationally). इस कैम्पेन के ज़रिये भीकाजी कामा ने लंदन, जर्मनी, और अमेरिका जैसे देशों में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के पक्ष में माहौल बनाया.

भीकाजी कामा ने अंतरराष्ट्रीय सोशलिस्ट कांग्रेस (International Socialist Congress) में भी नेतृत्व किया और उनके भाषणों (Bhikaji Cama speech) में वे भारतीय स्वतंत्रता के पक्ष में आवाज बुलंद करती थीं. उन्होंने देश के लिए अपनी आवाज़ उठाई और भारतवासियों से सहयोग की अपील करते हुए कहा, "आगे बढ़ो, हम हिंदुस्तानी हैं और हिंदुस्तान हिंदुस्तानियों का है."

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Image Credits: Mintage World

पहली बार विदेशी धरती पर भारतीय झंडा फहराने वाली और स्वतंत्र भारत का सपना देखने वाली भीकाजी कामा आज़ादी के उस सुनहरे दिन को नहीं देख पाईं. लेकिन, आज भी भारत की आज़ादी में उनके योगदान, साहस, और सूझ-बूझ को याद रखा जाता है.

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