सागर को बनाया रोल मॉडल
बिजरी (Bijari) कहानी बहुत रोचक है. आज बिजरी (Bijari) महिलाओं के लिए रोल मॉडल है. सागर (Sagar) के बंडा (Banda) ब्लॉक की कलावती लोधी कहती है- "शादी के साथ ही परिवार में गरीबी का सामना किया. तीन बच्चों को बड़ा करना मुश्किल हो रहा था. आजीविका मिशन ने ज़िंदगी बदल दी.सीता स्वयं सहायता समूह बनाकर 16 महिला सदस्य को जोड़ा. सिलाई सीखी और कई महिलाओं को सिखाया. मैं खुश हूं कि अब रेडीमेड गारमेंट्स, यूनिफॉर्म का काम हमें मिलता है. मैं कम से कम 30 हजार रुपए महीना कमा लेती हूं. और महिलाएं भी अच्छी कमाई कर रहीं."
यहां अब हर महिला काम में बिज़ी रहती है. चौकाभेडा गांव की सुरमा यादव ने भी काम को कमाई का जरिया बना लिया. सुरमा बताती है- "12 वीं तक पढाई की.फिर भी कोई काम नहीं था. राधा कृष्ण समूह से जुड़ कर काम शुरू किया. अब दूध कारोबार. कियोस्क सेंटर सहित कई काम से जुड़ गई. मेरी कमाई 25 हजार रुपए महीने से अधिक होने लगी."
बिजरी समूह की सदस्य द्वारा संचालित ब्यूटी पार्लर (Image Credits: Ravivar Vichar)
लगातार मिल रही ट्रेनिंग
बंडा (Banda) ब्लॉक के पुष्प संकुल संगठन (CLF) में 310 समूह जुड़ गए. बिजरी (Bijari) गांव की ही 280 महिलाएं अलग तरीके से काम कर रहीं. इस इलाके में दूध कारोबार, चील्ड प्लांट, कड़कनाथ कुक्कुट पालन सिलाई, डेयरी, कियोस्क, नंदन वन उद्यान, प्याज की खेती ,किराना दुकान, आटा चक्की ,ब्यूटी पार्लर, सीएससी सहित महिलाएं कृषि सखी, बैंक सखी बन गई. इस ब्लॉक में लगातार ट्रेनिंग देकर महिला सदस्यों को ट्रेनिंग दी जा रही.
बंडा के आजीविका मिशन (Ajeevika Mission) के ब्लॉक मैनेजर (BM) गोपाल पटेल बताते हैं- "छह साल पहले तक बिजरी (Bijari) गांव में सभी परिवारों की महिलाएं घरेलु कामकाज या छोटी-मोटी मजदूरी के लिए जाती थी. आजीविका मिशन से महिलाओं को जोड़ा. ट्रेनिंग दी. धीरे-धीरे ये महिलाएं कई तरह के काम से जुड़ गईं. कमाई के साथ आत्मनिर्भर हों गईं."
जिला पंचायत (ZP) सीईओ (CEO) पीसी शर्मा कहते हैं- "बिजरी (Bijari) गांव की महिलाओं में बहुत उत्साह है. जिले में आजीविका मिशन (Ajeevika Mission)से जुड़े समूह को रोजगार के लिए मौका दिया जा रहा है. रोजगार के लिए लोन की सुविधा भी शासन देता है."