राखियों पर नज़र आ रही गौंडी आर्ट

रक्षाबंधन पर राखियां बनाने वालों में ज्यादा उत्साह है. इको फ्रेंडली राखी के बाद पहली जीआई टैग वाली गौंडी कला राखियों में नज़र आ रही. यह अनूठी राखी सबका मन मोह रही. अब तक गौंडी कला दीवारों, कैनवास या ख़ास किस्म के ग्रीटिंग पर दिखाई देती थीं.

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गौंडी आर्ट उकेर कर तैयार की गई नई तरह की राखियां (Image Credits: Ravivar Vichar)

मंडला में बहनों ने बनाई मनमोहक राखियां

मध्यप्रदेश (MP) के डिंडोरी (Dindori) और मंडला (Mandla) जिले की राखियां बहनों के लिए पहली पसंद बन गई. (Mandla(Self Help Group) की महिलाओं ने राखियों को तैयार करने में गौंडी कला (Gondi Art) उकेर दी. इस इलाके की गौंडी कला (Gondi Art) को प्राचीन आदिवासी संस्कृति (Traditioanal Tribal Culture) माना जाता है. आजीविका मिशन (Ajeevika Mission) के अधिकारियों और जिला प्रशासन ने लगातार प्रोत्साहन दिया. ऐसी राखी यहां कई समूह की महिलाएं बना कर बाजार सहित ऑनलाइन बिक्री कर रहीं. 

मंडला (Mandla)जिले के नैनपुर विकासखंड के प्रकाश स्वयं सहायता समूह, शांति स्वयं सहायता समूह तिलई, रानी दुर्गावती स्वयं सहायता समूह कमता और सागर स्वयं सहायता समूह बहेरी की सदस्य राखियां बना रहीं. 

तिलई गांव की सुमन बंदेवार बताती है- "हमने साल 2022 में ग्रामीण विकास व महिला उत्थान संस्था से  से गौंड चित्रकारी का प्रशिक्षण लिया था.लगभग 20 महिलाओं अभी राखी बना रहीं." 

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गौंडी आर्ट की सुंदर राखी (Image Credits: Ravivar Vichar) 

राखी कारोबार से बढ़ी कमाई 

अभी तक गौंडी आर्ट (Gondi Art) को राखी बनाने में कभी प्रयोग नहीं किया गया. आजीविका मिशन (Ajeevika Mission) के जिला परियोजना प्रबंधक (DPM) बीडी भेसारे कहते है- "समूह की महिलाओं को राखी कारोबार से काफी रिस्पॉन्स मिला है. अगली बार और भी समूह  को प्रमोट किया जाएगा. लगभग 200 राखी बना चुकीं हैं और एक हजार नग से ज्यादा बनाने का प्रयास है."

समूह सदस्यों ने बताया- "राखी बनाए में 10 से 40 रुपए तक की लागत आ रही. बेचने के लिए 25 से 100 रुपए तक की  राखी है. लगातार डिमांड बनी हुई है." 

गिफ्ट हैंपर से मिलेगी नई पहचान 

मंडला (Mandla) और डिंडोरी (Dindori) जिले की गौंडी आर्ट (Gondi Art) को  जीआई टैग (GITag) मिलने के बाद इलाके के कलाकारों में खासा उत्साह है. जिला प्रशासन भी स्वयं सहायता समूह (Self Help Group) से जुडी सदस्यों को प्रोत्साहित कर रहा. कलेक्टर (DM) डॉ.सलोनी सिडाना (Dr.Saloni Sidana) कहती हैं - "यहां की आर्ट को नई पहचान मिली. समूह की महिलाओं सहित दूसरे आर्टिस्ट को और रोजगार के अवसर और कमाई बढ़ने के लिए योजना बनाई जा रही है. लोकल प्रोडक्ट्स का गिफ्ट हैंपर तैयार कर रहे. इसमें कोदो-कुटकी के बिस्किट,आवंला के लड्डू, बेल केंडी सहित गोंडी पेंटिंग की राखियां रहेंगी.इस हैंपर से अधिक कमाई मिलेगी."

कलेक्टर सिडाना ने साड़ियों पर भी गौंडी आर्ट का काम शुरू करवाया.

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मंडला डीएम डॉ सलोनी सिडाना  (Image Credits: Ravivar Vichar) 

साक्षरता मिशन भी था चर्चा में 

इसके पहले भी मंडला जब चर्चा में आया था जब तत्कालीन कलेक्टर (DM) और वर्तमान में इंदौर की नगर निगम (NN)आयुक्त (Commisinor) हर्षिका सिंह (Harshika Singh) ने महिलाओं के साक्षरता का मिशन चलाया. खुद गांव-गांव जाकर पढ़ाती. नतीजा यह हुआ कि इसका असर साक्षरता दर बढ़ा. 

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