अच्छे और सबसे अलग दिखने वाले फर्नीचर की खोज कई शॉप्स और इंटीरियर डिज़ाइन स्टूडियोज (interior design studios) के चक्कर लगवा देती है. थोड़ा भटकने के बाद, मनपसंद फर्नीचर (furniture) तो मिल जाता है, पर हम इस बात पर ध्यान देना भूल जाते हैं कि उसे बनाने में पर्यावरण का कितना नुक्सान हुआ. दिल्ली (Interior designing studio in Delhi) स्थित इंटीरियर और प्रोडक्ट डिज़ाइन स्टूडियो डेरा (Daera), यूनिक डिज़ाइन और ईको-फ्रेंडली फर्नीचर (eco-friendly furniture), दोनों टार्गेट्स को पूरा कर रहा है. डेरा अपने सस्टेनेबल फर्नीचर डिज़ाइन (sustainable furniture design) और स्टाइलिश सिल्हूट (stylish silhouettes) के लिए फेमस है. 2018 में शुरू हुआ डेरा, जन्नत गिल और शेरोन सेठी (Jannat Gill and Sharon Sethi) के रंगों और बनावट के प्रति प्रेम और क्रिएटिविटी को प्रदर्शित करता है.
500 किलो फार्मास्युटिकल कचरे से बनाया कपड़ा
डेरा ने आर्किटेक्ट मल्लिका रेड्डी (architect Mallika Reddy) के साथ मिलकर "डेरा X कैंसिल्ड प्लान्स" (Daera X Cancelled Plans) नाम से कलेक्शन तैयार किया. इसकी ख़ास बात यह है कि यह कलेक्शन 500 किलोग्राम फार्मास्युटिकल कचरे को फर्नीचर (500 kg of pharmaceutical waste into intricate fabrics) बनाने के लिए कपड़ों में बदल देता है. 2015 में शेरोन, जो फैशन की फील्ड में नए विचारों की खोज कर रही थी, जन्नत से मिली, और दोनों को उनकी बिज़नेस शुरू करने की साझा रुचि ने जोड़ा. 2017 में, उन्हें ब्रेक मिला जब जन्नत के सजाए गए घर को होम डेकोर लीड्स (home decor leads) मिली. फैशन और डिज़ाइन के पैशन की वजह से दोनों ने इस प्रोजेक्ट के लिए हां कहा.
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उनके शुरुआती प्रोजेक्ट्स की सफलता ने 2018 में डेरा को शुरू करने का रास्ता खोला. आज, डेरा इंटीरियर डिज़ाइन और फर्नीचर बनाने का काम कर रहा है. वेस्ट मटेरियल को कपड़े में बदलने के लिए हैदराबाद (Hyderabad artisans) के कारीगर डेरा का साथ देते हैं. पारंपरिक कढ़ाई करने वाले, हैंडलूम वीवर्स (handloom weavers) और टेक्सटाइल वर्कर्स (textile workers) अपनी कलाओं का इस्तेमाल कर यूनिक फैब्रिक (fabric made from waste material) बनाते हैं. इस बीच, जन्नत और शेरोन बॉहॉस युग (Bauhaus era) से प्रेरित ऐसी फर्नीचर डिज़ाइन बनातीं हैं जो मिनिमलिस्ट और फंक्शनल (minimalistic and functional aesthetic) हो. वेस्ट मटेरियल से लाउंज चेयर्स (lounge chairs), वार्प चेयर्स (warp chairs), शटल बेंच (shuttle benches), झूमर (chandeliers), पॉड लाइट्स (pod lights) और ओरेकल मिरर (oracle mirrors) बनाये जाते हैं.
इंटीरियर डिज़ाइन और फर्नीचर बनाने के काम से बनाया नाम
डेरा फेंके हुए कचरे को, जो प्रदुषण (pollution) फैलाता है, उसे इस्तेमाल कर खूबसूरत फर्नीचर (furniture) में तब्दील कर रहा है.अपने सस्टेनेबल डिज़ाइन (sustainable design) और सर्कुलर इकोनॉमी एप्रोच (circular economy approach) से, वे बता रहे हैं कि फेंका हुआ सामान भी स्टाइल के साथ रोजमर्रा के ज़रूरी उत्पादों में बदला जा सकता है (reusing waste to make furniture). मटेरियल के ज़रिये अलग कहानी कहने और सस्टेनेबिलिटी पर ध्यान देते हुए डिज़ाइन करना, उन्हें इंटीरियर और डिज़ाइन डिजाइन की दुनिया में अलग खड़ा करता है.
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आज सरकारें और संस्थाएं पर्यावरण (environmental pollution) पर हो रहे नुक्सान को कम करने के लिए तरह-तारा के कदम उठा रहे हैं. डेरा (Daera) जैसे बिज़नेस अपने सस्टेनेबल प्रोजेक्ट्स (sustainable projects) के ज़रिये इन प्रयासों को सफल बनाने और दूसरे उद्योगों को इस दिशा में सोचने के लिए मदद कर रहे हैं.