MP के Chhatarpur जिले में जिला प्रशासन की पहल रंग ले आई.यहां कई एकड़ में fruits forest खड़ा कर दिया.इसकी देखरेख को जिम्मा self help group की महिलाओं सौंपा.नतीजा ये हुआ कि इन पेड़ों से मिलने वाले फलों को बेचकर कमाई होने लगी.
150 एकड़ ज़मीन मुक्त कर लगा दिए 16 fruit forest
जिला प्रशासन ने जिले की अतिक्रमण हटाकर लगभग 150 एकड़ जमीन मुक्त करवा दी.इससे ज़मीन पर 16 fruit forest खड़ा करना प्लान किया.देखते ही देखते कई इलाकों में फलदार पौधे दिखने लगे.
कलेक्टर DM IAS Sandeep GR ने इसे SHG महिलाओं के लिए रोजगार का साधन बना दिया. इसकी देखभाल के साथ फलों को मंडी और बाज़ारों में बेचने के लिए अधिकार दे दिए.
छतरपुर जिले में fruit forest का नज़ारा (Image: Ravivar Vichar)
श्रीराम SHG की प्रेम सुधा और बजरंगबली SHG की पूनम बताती है-"हमने पहले इन बगीचों में काम में किया.इससे भी हमें मजदूरी का पैसा मिला.पौधे लगाने के बाद हम इन्हें बेचने भी लगे.खासकर अमरुद,जामुन,अनार,आंवला, नीबू जैसे पेड़ बन गए.हमारी लगातार कमाई होने लगी."
जिले में अलग-अलग जगह पर ये फॉरेस्ट तैयार किए गए.ख़ास कर गांव देरी,खौप और मुड़हेरा इलाके में यह तैयार हो गए.
एक लाख पौधों से तैयार हुआ घना फलों का जंगल
छतरपुर जिले में कई कई स्थानों पर यह जंगल तैयार किया.इस प्रोजेक्ट में लगभग एक लाख पौधे लगाए गए.
Ajeevika Mission के DPM Syam Gautam बताते हैं-"जिले में 16 जगह ये फ्रूट फॉरेस्ट लगाए गए.इनमें देरी.खौप और मुड़हेरा इलाके में यह पूरी तरह तैयार हो गए.यहां 16 स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को रोजगार मिला.जहां अभी फलों की आवक नहीं हो रही,वहां समूह की महिलाएं सब्जियां उगाकर कमाई कर रहीं.इन बगीचों को तैयार करने में भी MNREGA yojana का लाभ दिया गया."
फलदार पौधों में आने लगे अमरुद (Image: Ravivar Vichar)
जिले के झमटुली में 4 एकड़ में 24 हज़ार,मऊसानिया में 36 हज़ार पौधे तक लगाए गए.बड़ा मलहरा,धरमपुरा और पड़रिया जैसे लेक में 46 हज़ार से अधिक पौधों को मियावाकी पद्धति से पौधे लगाए.तालाब भी इनकी खूबसूरती बढ़ा रहे.
जिला पंचायत CEO IAS Tapasya Parihar और कलेक्टर DM IAS Sandeep GR का मानना है यह पहल सार्थक है. Environment के साथ महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में ये fruit forest वरदान साबित होंगे.