'फीमेल रेस्टरूम ऑन व्हील' से मिला हाइवे सफ़र को आसान बनाने का न्यू वे

दीप्तेंदु कहते हैं, "हाइवेज़ पर महिलाओं के लिए सफ़र को आरामदायक बनाना इस स्टार्टअप को शुरू करने का  मेरा मुख्य लक्ष्य था." उन्होंने छत्तीसगढ़ सरकार की फेलोशिप में रजिस्टर कर, ये विचार सरकार के सामने रखा.

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मिस्बाह
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Eloo Diptendu roy

Image Credits: Twitter/@eloostop

कोई धंधा छोटा नहीं होता और धंधे से बड़ा धर्म कोई नहीं होता’. SRK का ये फ़ेमस डायलॉग हर किसी को पसंद आया, लेकिन उसे अपनी ज़िंदगी में उतारा है दीप्तेंदु रॉय (Diptendu Roy) ने. 2018 में, जब दीप्तेंदु ने अपना बिजनेस आइडिया एंटरप्रेन्योर्स के सामने रखा तो हंसी और ठहाकों की आवाज़ से कमरा गूंज उठा.आईडिया था हाइवेज़ के किनारे महिलाओं के लिए सुलभ और साफ़ पब्लिक टॉयलेट्स बनाना (Diptendu Roy's Startup make safe toilets for women travellers). अक्सर देखा जाता है कि रोड ट्रिप या फैमिली वेकेशन का मज़ा महिलाओं के लिए तब किरकिरा हो जाता है, जब सफर के दौरान साफ़ रेस्टरूम्स नहीं मिलते (No washrooms at highways make travel hardfor females).  

Eloo Diptendu roy

Image Credits: LinkedIn

एक बार सफ़र के दौरान उनकी पत्नी को भी इस तरह की परेशानी का सामना करना पड़ा, जिसके बाद उन्होंने इस समस्या को दूर करने का इरादा किया. जर्नलिस्ट दीप्तेंदु ने अपनी नौकरी छोड़ इस प्रोजेक्ट पर काम करने का फैसला लिया. दीप्तेंदु कहते हैं, "हाइवेज़ पर महिलाओं के लिए सफ़र को आरामदायक बनाना इस स्टार्टअप को शुरू करने का  मेरा मुख्य लक्ष्य था." उन्होंने छत्तीसगढ़ सरकार की फेलोशिप कार्यक्रम में रजिस्टर कर, ये विचार सरकार के सामने रखा. वहां से शुरू हुआ एलू (Eloo) के ज़रिये अपने विज़न को रियलिटी बनाने का सफर.

पुरानी बसों से एलू ने बनाये टॉयलेट

Eloo Diptendu roy

Image Credits: Twitter/@eloostop

पुरानी बंद हो चुकी बसों का इस्तेमाल कर (reusing old buses to make toilets), स्टार्टअप एलू ने शांतिनिकेतन में अपना पहला प्रोटोटाइप लॉन्च किया. वह कहते हैं, “ये टॉयलेट (toilet) यूनीक हैं क्योंकि हम पुरानी बसों को रीयूज करते हैं, जिसका मतलब यह हुआ कि हमारी सेट-अप लागत काफी सस्ती है. शांतिनिकेतन (Shantiniketan) में महिलाओं के लिए तीन शौचालय हैं- एक जेंडर न्यूट्रल (gender neutral toilets), एक बाथिंग एरिया (bathing area) और एक चेंजिंग रूम (changing room), जो स्तनपान कराने के लिए भी काम आ सकता है.

रेस्टरूम्स मैनेजमेंट कर रही SHG महिलाएं 

रेस्टरूम्स के मैनेजमेंट का काम स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को सौंपा गया (SHG women managing restrooms). बोलपुर महिलामहासंघ की महिलाओं द्वारा प्रबंधन किया जा रहा है. अपनी आय को बढ़ाने के लिए, रेस्टरूम के सामने के हिस्से में पेंट्री (pantry) के लिए जगह दी गई है. SHG की महिलाएं रिफ्रेशमेंट बेच अपनी आमदनी बढ़ा रही हैं.

बेतुके सवालों और तिरछी निगाहों का जवाब दीप्तेंदु कुछ इस तरह देते हैं, “मेरा मानना है कि सभी नौकरियां समान हैं.  महिला यात्रियों के लिए सफ़र को आरामदायक बनाने में यह मेरा छोटा सा योगदान है.'' 

समुदाय से जुड़ी समस्याओं का समाधान ढूंढ़ने के लिए समुदाय के लोगों का आगे आना ज़रूरी है. महिलाओं से जुड़ी समस्याओं को जहां अक्सर नज़रअंदाज़ किया जाता है, वहीं दीप्तेंदु ने रेस्टरूम से जुड़ी महिलाओं की समस्या को क्रिएटिव और सस्टेनेबल तरीके से सुलझाया.     

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