कमलजीत कौर (Kamaljeet Kaur) सिख पंजाबी हैं. कोलकाता (Kolkata) में पली-बढ़ीं. फ़िलहाल मध्यप्रदेश (MP) के इंदौर (Indore) में रह रहीं हैं.कमलजीत को हिंदी (Hindi) के अलावा चार और भाषाएं अच्छे से आती हैं. लेकिन कमलजीत ने अपने चार साल के बेटे सूर्यांश को हिंदी बोलना-पढ़ना सिखाया.
बेटा बोलने लगा फर्राटे से हिंदी
कमलजीत (Kamaljeet) कहती हैं- "मेरी मातृभाषा पंजाबी के अलावा हिंदी, उड़िया, बंगाली और इंग्लिश भाषा की पकड़ है. मैं मानती हूं यदि बेटा सूर्यांश, हिंदी (Hindi) अच्छे से बोलता-पढ़ता है तो उसे बाकी भाषाएं सीखने में समय नहीं लगेगा. हिंदी भाषा (Hindi Language) से मेरे पूरे परिवार को प्यार है. हमारे देश का अधिकांश हिस्सा हिंदी (Hindi) बोलता है,इसलिए मुझे यह भाषा पसंद है." कमलजीत कौर की शादी मूलतः उड़ीसा के उड़िया परिवार में एसके मोहंती (S.K. Mohanty ) से हुई.मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब करने वाले एसके मोहंती कहते हैं- "मुझे ख़ुशी है कि बेटा हिंदी में बोलता है. वह दोस्तों में घुल मिल गया. घर में उड़िया और पंजाबी भी बोलते हैं. बेटा सूर्यांश इंग्लिश,उड़िया और पंजाबी भाषा भी समझता है. सभी भाषाओं का अपना महत्व है." इंदौर (Indore) की ही दीपिका नागर (Deepika Nagar) बताती हैं- "मोहंती परिवार को कई भाषाएं आती हैं. हिंदी के प्रति उनका लगाव अलग दिखाई देता है. ऐसे लोगों की समाज को जरूरत है."
इंग्लिश की प्रोफेसर हिंदी साहित्यकार!
इंदौर के एक कॉलेज की प्रोफेसर (Professor) भी हिंदी(Hindi) का मखौल उड़ाने वालों के लिए मिसाल है. डॉ.गरिमा दुबे (Dr.Garima Dubey) एक कॉलेज में इंग्लिश (English) की प्रोफेसर (Professor) हैं. प्रो.गरिमा की जितनी पकड़ मातृभाषा हिंदी पर है,उतनी ही इंग्लिश पर भी है. उच्च पढ़ाई और फिर पीएचडी इंग्लिश सब्जेक्ट में की. पढ़ाई के आधार पर जॉब भी इंग्लिश अध्यापन के लिए हुआ. गरिमा ने बचपन से हिंदी की साहित्य यात्रा शुरू की वह अवार्ड की मंज़िल तक पहुंच गई.प्रो.गरिमा कहती है- "इंग्लिश इंटरनेशनल भाषा है.इसे बोलते-पढ़ते आना चाहिए, लेकिन हिंदी को दोयम दर्जे पर रख कर नहीं. बचपन से हिंदी से लगाव रहा. विद्यार्थियों को 'इंग्लिश सब्जेक्ट' पढ़ाती हूं. हिंदी का महत्व भी बताती हूं. हिंदी के एक ही शब्द के कई पर्याय मिल जाते हैं. भावनाओं की अभिव्यक्ति के लिए हिंदी खूबसूरत भाषा है. हिंदी दिवस (Hindi divas) इस बात को दर्शाता है कि हमारी भावनाएं और आत्मा हिंदी में बसी है."
डॉ गरिमा को मंत्री उषा ठाकुर, मप्र साहित्य अकादमी के निदेशक विकास दवे और आशुतोष राणा सम्मानित करते हुए (Image Ravivar Vichar)
हिंदी हस्ताक्षर अभियान का जूनून
प्रो.गरिमा का हिंदी (Hindi) में लेखन-सृजन करना दिनचर्या का नियमित हिस्सा है. 'दो ध्रुवों के बीच की आस' उनका कहानी संग्रह है. जिसे कई सम्मान मिल चुके हैं. हाल ही में 'समर्पयामि' ललित निबंध संग्रह भी उनका प्रकाशित हो चुका है.इस समय प्रदेश में हिंदी का प्रचलन बढ़ने में कई संगठन और हिन्दी प्रेमी जुटे हुए हैं. इंदौर (Indore) के ही डॉ.अर्पण जैन(Dr.Arpan Jain) अपनी पत्नी शिखा जैन (Shikha Jain) के साथ अपनी संस्था के माध्यम से 21 लाख लोगों को हिंदी में हस्ताक्षर (Signature) करने का संकल्प दिलवा चुके हैं. राज्यपाल मंगुभाई पटेल भी इस पहल की सराहना कर चुके. उन्हें कई सम्मान हिंदी सेवा पर मिल चुके हैं. खरगोन के साहित्यकार राकेश राणा भी इस दिशा में काम कर रहे. वे भी हिंदी में हस्ताक्षर अभियान चला रहे हैं.
डॉ अर्पण जैन दंपति का सम्मान करते राज्यपाल पटेल (Image Ravivar Vichar)