Agro-tourism के साथ बदलाव का सफ़र तय कर रही Seema Saini

सीमा सैनी ने एग्रो-टूरिज़्म का रास्ता अपनाया और 2018 में कृषि से जुड़ी सामाजिक संस्था Green World Foundation शुरू की. सीमा सैनी GWF के ज़रिये करीब 10 हज़ार किसानों को लो कॉस्ट एग्रो-टूरिज़्म और लो कॉस्ट IFS से जुड़ी ट्रेनिंग दे चुकी हैं.

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मिस्बाह
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Seema Saini

Image: Ravivar Vichar

"अरे, इतना पढ़-लिखकर ये क्या अनपढ़ो वाले काम कर रही हो"

सीमा सैनी को कई बार इस तरह की बातें सुनने को मिली. कृषि (agriculture) से उनका जुड़ाव इतना गहरा था कि एग्रीकल्चर में MSc करने के बाद इसी क्षेत्र में काम करने लगी.

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मिट्टी से जुड़कर सामाजिक बदलाव का ज़रिया बनी सीमा सैनी 

रविवार विचार (Ravivar vichar) से बात-चीत के दौरान सीमा सैनी ने बताया कि वह अजमेर जिले के बघेरा कस्बे में किसान परिवार में जन्मी थी. वह हमेशा से ही किसानों की चुनौतियों को दूर करने के बारे में सोचती रहती. पढ़ाई पूरी कर उन्होंने नौकरी की जगह कुछ ऐसा काम चुना जिसके ज़रिये वह मिट्टी से जुड़कर सामाजिक बदलाव का ज़रिया बन सके.

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साल 2017 में अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए उन्होंने किसी शहर को नहीं, बल्कि जयपुर में बसे खोराश्यामदास गांव को चुना. सीमा सैनी ने एग्रो-टूरिज़्म का रास्ता अपनाया और 2018 में कृषि से जुड़ी सामाजिक संस्था Green World Foundation (GWF) शुरू की. इस काम में उनके कॉलेज साथी इंद्रा राज जाट ने को- फाउंडर बन सीमा का साथ दिया. 

GWF के ज़रिये करीब 10 हज़ार किसानों के साथ कर चुकी है काम 

शुरुआत में फंड की कमी का सामना किया तो खुद ही ज़मीन पर मेहनत कर काम की शुरुआत की. एग्रो टूरिज्म के ज़रिये शहरी लोगों को खेती के बारे में समझने, प्रदुषण से दूर खुली हवा में वक़्त बिताने और राजस्थानी परंपरा को जीने का मौका दिया. साथ ही, इंटीग्रेटेड फार्मिंग सिस्टम (IFS) का ज्ञान किसानों के साथ साझा किया ताकि फ़सल की उपज में बढ़ोतरी कर वह अपनी आमदनी बढ़ा सकें.

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रविवार विचार (Ravivar vichar) को सीमा ने बताया कि अभी तक वह GWF के ज़रिये करीब 10 हज़ार किसानों के साथ जुड़कर उन्हें लो कॉस्ट एग्रो-टूरिज़्म और लो कॉस्ट IFS से जुड़ी ट्रेनिंग दे चुकी हैं. NABARD के साथ वह कई जिलों और राज्यों के किसानों के लिए काम कर चुकी हैं. 

Integrated Farming के साथ खेती अब नहीं है घाटे का सौदा  

किसानों से बात-चीत के दौरान पता चला कि उन्हें खेती घाटे का सौदा लग रही थी क्योंकि इससे होने वाली आमदनी उनके परिवार का खर्चा उठाने के लिए पर्याप्त नहीं थी. आज के दौर में यदि किसान एक ही फ़सल पर निर्भर रहें तो खेती सही में घाटे का सौदा साबित होगी. 

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इस चुनौती को पहचानते हुए सीमा ने किसानों को इंटीग्रेटेड फार्मिंग सिखाने का फैसला लिया. इंटीग्रेटेड फार्मिंग सस्टेनेबल कृषि प्रणाली है जो फसल उत्पादन के साथ मछली/ मुर्गीपालन, पेड़ लगाने जैसे कामों को करने का सिस्टेमेटिक तरीका सिखाती है. 

ग्रामीण महिलाओं को किया SHG के ज़रिये संगठित 

ग्रामीण महिलाएं कृषि में अहम योगदान देती हैं. साथ ही, घर की सारी ज़िम्मेदारियां भी बखूबी संभालती हैं. इसके बावजूद, उन्हें मान-सम्मान नहीं मिलता. जब एहसाह हुआ कि ये मान-सम्मान घर की चार दीवारी से बाहर निकलकर आएगा, तो सीमा ने महिलाओं को SHG के ज़रिये संगठित कर उनके साथ काम करने का फैसला किया.

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सीमा सैनी ने उत्पादन के सही तरीके से जुड़ी जागरूकता फैलाने के लिए IFS और एग्रो टूरिज़्म (Agro-tourism) के लाइव मॉडल और ट्रेनिंग सेंटर शुरू किये. एग्रो टूरिज़्म के ज़रिये स्टूडेंट्स और युवाओं को ऑर्गनिक फार्मिंग (trained youth in organic farming) के बारे में सीखने का मौका मिल रहा है. साथ ही, इंटीग्रेटेड खेती के साथ टूरिज़्म अतिरिक्त आय का ज़रिया भी बन रहा है.

एग्रो-टूरिज़्म को बदलाव का ज़रिया बना सकती है महिलाएं 

सीमा सैनी, एक युवा इंटरप्रेन्योर होने के नाते, युवाओं को सलाह देती हैं कि, "कृषि में अपार संभावनाएं हैं. अगर युवा कृषि के साथ टेक्नॉलोजी को जोड़ें तो देश में क्रान्ति ला सकते हैं, जिससे न सिर्फ उनका, पर देश का विकास भी संभव हो सकेगा." 

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सीमा का मानना है कि ग्रामीण महिलाओं को कृषि के साथ-साथ परम्पराओं और देसी खान-पान की अच्छी समझ होती है (rural women making agri-food system successful). यदि उन्हें स्वयं समूहों के ज़रिये एग्रो-टूरिज़्म से जोड़ा जाये, तो वह अपने और समाज के विकास में अहम भूमिका निभा सकेंगी.

आर्थिक आज़ादी हासिल कर लैंगिक समानता को बढ़ावा दे रही महिलायें 

ग्रामीण महिलाओं के साथ काम कर सीमा सैनी ने देखा कि खुद आमदनी कमा कर महिलाओं के जीवन में काफी बदलाव आया है. अब वे सिर्फ अपने पति की कमाई पर निर्भर नहीं रहतीं, घर खर्च में हाथ बटाती हैं. इससे समाज में उनके स्टेटस में सुधार आया और उनसे राय ली जाने लगी. आर्थिक आज़ादी हासिल कर ये महिलाएं समाज में लैंगिक समानता (gender equality) की अहमियत पर ज़ोर दे रही हैं.

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महिलाओं को पारम्परिक भोजन जैसे अचार, मुरब्बे, चटनी और ट्रेडिशनल प्रोडक्ट्स का काफी ज्ञान है. सीमा सैनी का मानना है कि महिलाओं के इस ज्ञान को सफ़ल बिज़नेस में बदला जा सकता है. समूह के ज़रिये महिलाएं संगठित होकर आत्मनिर्भर बनने का सफ़र तय कर सकती हैं. 

शहर में नौकरी की जगह सीमा ने कृषि क्षेत्र को चुना. खुद चुनौतियों का सामना कर सीमा सैनी आज दूसरी महिलाओं को सशक्तिकरण का रास्ता अपनाने के लिए प्रेरित कर रही है. 

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