याद कीजिये जब आपने अपने कॉलेज के दोस्तों के साथ बिज़नेस (business) शुरू करने का सपना देखा था. उस सपने को पूरा करना अक्सर मुश्किल होता है, पर इन दो दोस्तों ने कर दिखाया.
एग्रो-टूरिज़म के साझा पैशन को बदला प्रोफेशन में
जयपुर, राजस्थान (Rajasthan) की सीमा सैनी (Seema Saini) और इंद्रा राज जाट (Indraraj Jat) ने साथ मिलकर ग्रीन वर्ल्ड फाउंडेशन (Green World Foundation) शुरू किया. दोनों ने एक ही कॉलेज से कृषि (agriculture) की पढ़ाई की, सीमा ने MSc और इंद्रा ने BSc किया. एग्रो-टूरिज़म (Agro-tourism) के साझा पैशन को उद्यम में बदलने का फैसला किया.
Image Credits: Green World Foundation
सीमा और इंद्रा ने राजस्थान के खोरा श्यामदास गांव में लगभग डेढ़ हेक्टेयर जमीन किराए पर ली और पशुपालन (animal husbandry) के साथ-साथ सस्टेनेबल फार्मिंग (sustainable farming) शुरू की जिसमें मुर्गी पालन, बकरी पालन, गाय पालन, ऊंट पालन आदि शामिल थे. ख़ास बात यह है कि फार्म कृषि-पर्यटन (Agro-tourism) को भी बढ़ावा देता है. यहां आये मेहमानों (Rajasthani tourism) को मिट्टी के घरों में ठहराया जाता है, उन्हें राजस्थानी परंपरा (Rajasthani tradition) का अनुभव करने का मौका मिलता है.
कृषि-उद्यम ने पिछले साल किया 35 लाख रुपये का कारोबार
“सब्जियों और अनाज के अलावा, हम डेयरी उत्पाद, मसाले और अचार जैसे वैल्यू-एडेड प्रोडक्ट्स भी बेचते हैं. लेकिन हमें कभी भी उन्हें खेत के बाहर मार्केटिंग करने की ज़रुरत नहीं लगी.” इंद्रा आगे कहती हैं.
Image Credits: Green World Foundation
उनके सफल कृषि-उद्यम (agro-enterprise) ने पिछले साल लगभग 35 लाख रुपये का कारोबार किया. टिकाऊ कृषि (sustainable agriculture) और कृषि-पर्यटन के दायरे को समझने के बाद, दोनों ने इसे बढ़ावा देने के लिए एनजीओ (NGO) के रूप में अपनी पहल पंजीकृत की. तब से वे हजारों किसानों को ऑर्गेनिक और इंटीग्रेटेड खेती (Organic and integrated farming) में ट्रेनिंग दे रहे हैं और उन्हें कृषि-पर्यटन के लिए भी प्रोत्साहित कर रहे हैं.
“जैसा कि हम एक टिकाऊ खेती मॉडल का पालन कर रहे हैं, हम पशु आहार से लेकर खेत की खाद तक, सब कुछ खेत में ही तैयार करते हैं. इसलिए, हमें किसी भी चीज़ के लिए बाहर जाने की ज़रूरत नहीं है,'' इंद्रा ने बताया.
हर महीने कर रहे करीब 50 मेहमानों की मेजबानी
" ग्रीन वर्ल्ड फाउंडेशन (green world foundation) खेती के अलावा कृषि-पर्यटन (agro-tourism)को भी बढ़ावा देता है और एक महीने में करीब 50 मेहमानों की मेजबानी करता है." सीमा कहती हैं, "खेत की सारी उपज खेत में ही बेची जा रही है."
कृषि-पर्यटन के बारे में बात करत हुए सीमा ने बताया, “जब हमने शुरुआत की, तो खेत में रहने के लिए मिट्टी का घर बनाया. यहां आने वाले लोग मिट्टी के घरों से आकर्षित हुए और कई लोगों ने ऐसे मिट्टी के घरों में रहने में रुचि दिखाई. इस तरह हमें ऐसे पारंपरिक मिट्टी के घर बनाने और मेहमानों की मेजबानी करने का मौका मिला, जिससे उन्हें खेती का अनुभव मिल सके. आज हमारे पास पांच मिट्टी के घर और एक छात्रावास हॉल है. हमारा कार्यालय भी मिट्टी से बना है,” सीमा कहती हैं.
Image Credits: Green World Foundation
अभी तक 8 हज़ार किसानों को ऑर्गेनिक फार्मिंग (organic farming in Rajasthan) के तरीके सिखाये जा चुके हैं, जिससे उन्हें आमदनी बढ़ाने में मदद मिली. इस अनोखी पहल से न सिर्फ किसानों को फायदा पहुंच रहा है, बल्कि सस्टेनेबल लाइफस्टाइल (sustainable lifestyle) के प्रति लोगों में जागरूकता भी बढ़ रही है.